भारत शर्मा व्यास हैं भोजपुरी गानों की जान, फिदा हो जाएंगे सुनकर इनकी तान, सुनिए इनके ये शानदार निर्गुण

भोजपुरी इंडस्ट्री में कई सिंगर ऐसे भी जिन्होंने इसकी अस्मिता को अपने गानों और निर्गुण के जरिए बचाए रखा। इनमें शारदा सिन्हा, भरत शर्मा व्यास, मालिनी अवस्थी प्रमुख हैं। यहां हम आपको बता रहे हैं भोजपुरी निर्गुण के सबसे बड़े सिंगर भरत शर्मा व्यास (Bharat Sharma Vyas) के बारे में-

भरत शर्मा व्यास एक परफॉर्मेंस के दौरान। (फोटोः यूट्यूब स्टिल)

आज भोजपुरी सिनेमा और गानों को लोग बहुत अश्लील मानते हैं। इसी अश्लीलता की वजह से भोजपुरी फिल्मों और गानों का ग्रोथ नहीं हो पाया। लोग भोजपुरी गानों को गलत इंटेशन के साथ देखना और सुनना पसंद कर रहे हैं। गानों में भद्दे शब्दों का इस्तेमाल किया जा रहा है और भोजपुरी स्टार उन पर परफॉर्म करते आए हैं। यह इतना ज्यादा हुआ कि लोग भोजपुरी सिनेमा और कलाकारों की इमेज खराब हुई। अब भोजपुरी को अश्लीलता की कगार पर पहुंचाने वाले लोग अश्लीलता को हटाने और साफ-सुथरी फिल्मों और गानों को बनाने पर जोर दे रहे हैं और एक नई मुहीम चल रही है। भोजपुरी इंडस्ट्री में कई सिंगर ऐसे भी जिन्होंने इसकी अस्मिता को अपने गानों और निर्गुण के जरिए बचाए रखा। इनमें शारदा सिन्हा (Sharda Sinha Song) , भरत शर्मा व्यास, मालिनी अवस्थी प्रमुख हैं। जब भोजपुरी इंडस्ट्री में अश्लील और भद्दे गानों के जरिए लोग अपना करियर बना रहे थे, तब इन्हीं लोगों ने भोजपुरी की असली झलक अपने निर्गुण और गानों के जरिए दिखाई और भोजपुरी की संस्कृति और कला को लोगों तक पहुंचाया। यहां हम आपको बता रहे हैं भोजपुरी निर्गुण के सबसे बड़े सिंगर भरत शर्मा व्यास के बारे में-

ये होता है निर्गुण

भरत शर्मा व्यास (Bharat Sharma Vyas Song) के बारे में जानने से पहले ये जान लें कि निर्गुण क्या होता है? निर्गुण का मतलब होता है आत्मा, जिस पर किसी भी गुण यानी अच्छाई-बुराई या किसी भी तरह का कोई असर नहीं होता और परमात्मा के अलावा कुछ नहीं जानता। भगवान को प्राप्त करने लिए आत्मा जो काम करती है वही निर्गुण (Bhojpuri Nirgun Song) हैं। निर्गुण मोह-माया से परे हैं। सगुण निर्गुण के विपरीत यानी उल्टा होता है। सांसरिक लोगों को सगुण बोला जाता है।

गाए  साढ़े चार हजार से ज्यादा गाने

भरत शर्मा व्यास (Bharat Sharma Vyas) अब तक साढ़े चार हजार भोजपुरी गाना गा चुके हैं। उन्हें भोजपुरी सम्राट भी कहा जाता है। उन्होंने अपने गानों के जरिए उन्होंने भोजपुरी गायक राम कैलाश यादव और तुलसीदास रामजियावन दास बावला की परंपरा को आगे बढ़ाया। उन्होंने कबीरपंथी गानों को गाया। उनके निर्गुण में जीवन में पड़नी वाली दैनिक समस्याओं और बिरहन के बारे बताया। उनके गानों को पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड सहित भोजपुरी और मैथिली जानने वाले लोग सुनते हैं। वह भोजपुरी के सबसे सक्सेसफुल सिंगर और राइटर हैं।

गोरिया चांद के अजोरिया अइसन रोमेंटिक सॉन्ग आज भी पॉपुलर

भरत शर्मा व्यास (Bharat Sharma Song) ने सातों रे बहनिया जैसे भक्ति, चुनरिया में दाग और भवरवां के तोहरा संग जाई जैसे निर्गुण सॉन्ग के साथ-साथ गोरिया चांद के अजोरिया अइसन जैसे रोमेंटिक और खूबसूरत सॉन्ग गाए। इनके रोमेंटिक सॉन्ग में कभी भी अश्लीलता नजर नहीं आई। आपको बता दें कि उन्होंने बचपन से ही गाने का सफर शुरू किया। उस वक्त जब इंटरनेट और यूट्यूब का जमाना नहीं था, तब उनके गाने लोगों की जुबां पर चढ़े हुए थे।

ऐसे मिला पहली बार गाना गाने मौका

एक इंटरव्यू में भरत शर्मा ने बताया है कि वह कैसे इस मुकाम तक पहुंचे हैं। कहानी शुरू होती है, भोजपुरी के शेक्सपियर कहने जाने वाले भिखारी ठाकुर (Bhikhari Thakur)  के निधन से। भिखारी ठाकुर ने गबर घिचोर और बेटी बेचवा जैसे कई भोजपुरी उपन्यास लिखे और उसे अपने नाटकों और गानो में दिखाया। भिखारी ठाकुर का निधन 10 जुलाई 1971 को हुआ था। उनके निधन के बाद भिखारी ठाकुर पर बक्सर के एक सिमहरी ब्लॉक के नगपुरा गांव में एक कार्यक्रम आयोजित हुआ। इस कार्यक्रम में बाहर से कई सिंगर, गीतकार, लेखक और कलाकार हिस्सा लेने आए। ये वो जगह थी जहां साल 1951 में एक अगस्त को भरत शर्मा व्यास का जन्म हुआ था। इस कार्यक्रम में भरत शर्मा को भी गाने का मौका मिला और गाना खत्म होते ही उन्हें काफी सराहा गया। इस वक्त वह 20 साल के थे। यहां से उनका गाने में और भी ज्यादा इंटरेस्ट हुआ। आपको बता दें कि उस दौर में बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोग पूरब में यानी कलकत्ता कमाने जाते थे और वहां बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के कई लोग जाकर बस गए थे, तो वहां भोजपुरी गानों का क्रेज था, वहां स्टूडियो थे।

1989 में आया पहला एल्बम

भरत शर्मा को कलकत्ता जाकर गायकी में अपना करियर बनाने का विचार आया और मां से 16 रुपए लेकर बक्सर से हावड़ा पहुंच गए। हावड़ा में उनको व्यास लोगों को साथ मिला, जिनसे उन्होंने बहुत कुछ सीखा। कई सालों तक उन्होंने रामायण गाई और जैसे ही ऑडियो कैसेट का जमाना आया तो उन्होंने अपने गाने रिकॉर्ड करवाने शुरू कर दिया। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। साल 1989 में उनका पहला एल्बम दाग कहां से पड़ी था। इसी के साथ उनका एक और एल्बम गवनवा काहे ले अईला था। इन दोनों एल्बम को आर सीरिज म्यूजिक कंपनी ने रिकॉर्ड किया। इसके बाद भरत शर्मा व्यास ने टी-सीरिज के लिए कई सारे निर्गुण गाए, जो काफी सुपरहिट हुए।

कई म्यूजिक कंपनियों ने बनाया अश्लील और चटकदार गाना बनाने और गाने का दबाव

भरत शर्मा व्यास ने रामायण, महाभारत सहित कई पुराणों और कबीर को गया। साल 1992 में उनका टी-सीरिज से पहला निर्गुण एल्बम गवनवा के साड़ी  रिलीज हुआ। इस एल्बम को लेकर शुरुआत में टी-सीरिज (T-Series Music) आनाकानी कर रहा था, लेकिन ये कैसेट जैसे ही मार्केट में पहुंचा तो इसने कई रिकॉर्ड तोड़ दिए। इसके बाद कई म्यूजिक कंपनियों ने सिर्फ उन्हें निर्गुण के लिए ही साइन किया। बाद में भोजपुरी इंडस्ट्री में कई सिंगर आए जिन्होंने अश्लील गानों के जरिए अपनी किस्मत को बुलंदियों पर पहुंचाया। भोजपुरी में बढ़ते द्विभाषी शब्द और अश्लील अंग प्रदर्शन की म्यूजिक कंपनियों की भी चांदी हो रही थी। ऐसे में कई म्यूजिक कंपनियों ने भरत शर्मा को अश्लील और चटकदार गाना गाने के लिए ऑफर दिए। कई कंपनियों ने उनपर दबाव भी बनाया, लेकिन वह किसी के आगे नहीं झुके और भोजपुरी कला, संस्कृति की अलग मिसाल पेश कीं।

यहां देखिए भरत शर्मा व्यास के निर्गुण सॉन्ग…

रमेश कुमार :जाकिर हुसैन कॉलेज (डीयू) से बीए (हॉनर्स) पॉलिटिकल साइंस में डिग्री लेने के बाद रामजस कॉलेज में दाखिला लिया और डिपार्टमेंट ऑफ पॉलिटकल साइंस में पढ़ाई की। इसके बाद आईआईएमसी दिल्ली।