भोजपुरी सिनेमा (Bhojpuri Cinema) को सात दशक पुरे होने आए। लेकिन भोजपुरी सिनेमा आज तक उन ऊचाइंयों तक नहीं पहुंचा है जहां अन्य भाषा वाली फिल्मे हैं। भोजपुरी सिनेमा का नाम आते ही अश्लीलता का जिक्र होता है। लोग अपने परिवार के साथ भोजपुरी फ़िल्में नहीं देख पाते। कारण ये है कि सिंगर्स बड़े ही आसानी से डबल मीनिंग गानों के जरिए दर्शकों को अश्लीलता परोस रहे हैं। भोजपुरी फिल्म जगत अश्लीलता का प्रतिक बनता जा रहा है। इस गंभीर विषय पर भोजपुरी की जानी मानी सिंगर कल्पना पटोवरी (Kalpana Ptowary) ने हिंदी रश डॉट कॉम से एक्सक्लूसिव बात करते हुए क्या कहा है आइए जानते हैं।
हमने कल्पना ने सवाल पूछा कि क्या भोजपुरी सिनेमा में डबल मीनिंग अश्लील गाने बनाने जरूरी हैं ? जवाब में कल्पना कहती हैं – अश्लीलता तय करने के लिए सेंसर बोर्ड है। जहां तक बात है, भोजपुरी फिल्मों की अश्लील शब्दों का प्रयोग किया जाता है। ऐसे अश्लील सीन होते हैं. जिसे हम परिवार के साथ बैठ कर नहीं देख सकते। शायद निर्माताओं के पास कहानियों की कमी है या वह खुद अच्छी साफ़ सुथरी फिल्मे बनाना ही नहीं चाहते। अश्लीलता ही जरिया बन गया है फिल्मो को हिट पॉइंट तक पहुंचाने का।
अपनी बातों को आगे बढ़ाते हुए कल्पना (Kalpana Ptowary Song) कहती हैं – आज मराठी या बंगाली फिल्मो को ही देख लिया जाए जिन्हे अंतर्राष्ट्रीय तौर पर सम्मान दिया जा रहा है,अंतराष्ट्रीय अवार्ड से नवाजा जा रहा है। भोजपुरी फिल्मों के निर्माता और अभिनेता सिर्फ मीडिया इंटरव्यू में नई साफ़ सुथरी कहानियों की बात करते है, लेकिन यथार्थ में ऐसा कुछ नहीं होता।अगर हम बातों के अलावा असलियत में एक अच्छी कहानी के साथ फिल्म लेकर आये तो भोजपुरी फिल्मो को भी अन्य भाषिक फिल्मो की तरह सम्मान मिले।अगर अच्छी साफ सुथरी फिल्मे नहीं है तो निर्माता बनाये साफ़ सुथरी फिल्मे।
एक्सक्लूसिव वीडियो में देखें कल्पना पटोवरी के साथ हुआ वीडियो इंटरव्यू