EXCLUSIVE: क्यों घाटे में जा रही हैं पवन, खेसारी और निरहुआ की महंगी फ़िल्में ? मनोज टाइगर ने बताई हकीकत

पवन सिंह, निरहुआ और मनोज टाइगर की तस्वीर (फोटो इंस्टाग्राम)

भोजपुरी (Bhojpuri Cinema) की शायद ही ऐसी कोई फिल्म हो जिसमे हम कॉमेडियन मनोज टाइगर (Manoj Tiger) को कॉमेडी करते हुए नहीं देखते। इंडस्ट्री के छोटे बड़े सभी एक्टरों के साथ काम कर चुके मनोज टाइगर थियेटर और बॉलीवुड फिल्मों में भी सक्रीय हैं। मंगलवार शाम मुंबई में भोजपुरी फिल्म अर्धांगिनी फिल्म (Ardhangini Bhojpuri Film) का ट्रेलर लांच था जहां फिल्म के हीरो सूरज सम्राट, अंजना सिंह (Anjana Singh), शुभी शर्मा, संजय पांडे और मनोज टाइगर भी मौजूद थे। हिंदी रश डॉट कॉम से एक्सक्लूसिव बात करते हुए मनोज टाइगर ने ना सिर्फ अर्धांगिनी फिल्म के बारे में बातचीत की बल्कि भोजपुरी के एक अहम् मुद्दे पर भी रौशनी डाली।

हमने टाइगर साहब से पुछा कि पवन सिंह (Pawan Singh), खेसारी लाल यादव (Khesari Lal Yadav), दिनेश लाल यादव निरहुआ (Dinesh Lal Yadav Nirahua) की महंगी फ़िल्में घाटे में क्यों जा रही हैं ? जवाब में मनोज टाइगर कहते हैं – देखिए कोशिशे ही कामयाब होती हैं। आज फ़िल्में नहीं चल रहीं तो क्या हुआ। पहले कई फ़िल्में इन सुपरस्टारों ने दी है। ठीक है अभी सिनेमाघरों का और तमाम चीजों का हाल थोड़ा खराब चल रहा है पर बॉलीवुड में भी तो ये ही हाल है। वहां भी कभी कभी बड़ी फ़िल्में नहीं चलती हैं पर छोटी फ़िल्में चल जाती हैं।

अपनी बातों को आगे बढ़ाते हुए मनोज टाइगर (Manoj Tiger Comedy) कहते हैं – अब हमारी भोजपुरी फिल्म अर्धांगिनी को ही ले लीजिए। इसमें हीरो भले ही नया है पर बाकी की सारी चीजे नंबर 1 है। कहानी की बात करलो, या फिर किसी और चीज की। मुझे लगता है कि भोजपुरी के इस बुरे दौर में अर्धागिनी संजीवनी का काम करेगी।

अपने थियेटर शो के बारे में मनोज ने कहा – इस महीने की 31 तारीख को मेरा प्ले है शांकुतलम थियेटर में जिसका नाम है राम सजीवन की प्रेमकथा, इसमें मेरे साथ सुशील सिंह और संजय पांडेय भी हैं। इसके अलावा मांस का रुदन, बुरे फंसे, अमर प्रेम, घुंघरू, कुंवर अस्तभान नाम के बहुत सारे प्ले मैं कर रहा हूं।

एक्सक्लूसिव वीडियो में देखें मनोज टाइगर ने पवन सिंह को लेकर क्या कहा?

धर्मेंद्र दुबे :मेरा नाम धर्मेंद्र दुबे है। फिल्म जगत की खबरें आप तक पहुंचना मेरा काम है। अजय देवगन ने मेरे लिए कहा था, 'तुम एक अच्छे पत्रकार ही नहीं बल्कि एक अच्छे इंसान भी हो'।