भोजपुरी की इन 7 फिल्मों ने दी थी बॉलीवुड को टक्कर, मनोज तिवारी और रानी चटर्जी के नाम है ये रिकॉर्ड

भोजपुरी (Bhojpuri Cinema) में ऐसी कई फिल्में बनी जिसने बॉलीवुड की फिल्मों को टक्कर दी और इन्हें राष्ट्रीय स्तर पर देखा गया और सराही गई। यहां हम आपको ऐसी ही भोजपुरी फिल्मों के बारे में बताने जा रहे हैं।

मनोज तिवारी और रानी चटर्जी की फिल्म ससुरा बड़ा पईसा वाला का पोस्टर। (फोटोः यूट्यूब)

बॉलीवुड में हर साल लगभग 150 से ज्यादा फिल्में रिलीज होती हैं। इस इंडस्ट्री में सैंकड़ों कलाकार हैं। बॉलीवुड मनोरंजन (Bollywood Industry)  की सबसे बड़ी इंडस्ट्री है। इस इंडस्ट्री में ऐसे कई बड़े कलाकार है जो यूपी-बिहार की बोली यानी भोजपुरी में बोलते हैं और अपनी फिल्में हिट करवा जाते हैं। लेकिन जो मूलरूप से भोजपुरी बोलने वाले स्टार्स हैं उनकी विस्तार नहीं हो पाया है। हम बात कर रहे हैं दिनेश लाल यादव, पवन सिंह, खेसारी लाल यादव, रितेश पांडेय, अरविंद अकेला कल्लू जैसे भोजपुरी स्टार की जो सिर्फ भोजपुरी इंडस्ट्री तक सीमित है।

इनकी फिल्मों और गानों को अश्लीलता के तौर पर देखा जाता है कि खुद भोजपुरी बोलने वाले लोग भोजपुरी की फिल्मों को देखना पसंद नहीं कर रहे हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं भोजपुरी सिनेमा ऐसा नहीं था, भोजपुरी  में ऐसी कई फिल्में बनी जिसे राष्ट्रीय स्तर पर देखा गया और सराही गई। यहां हम आपको ऐसी ही भोजपुरी फिल्मों (Bhojpuri Films) के बारे में बताने जा रहे हैं।

गंगा मैया तोहे पीयरी चढ़ाईबो
आपको बता दें कि भोजपुरी सिनेमा की शुरुआत साल 1960 के दशक में हुई। भारत के तात्कालिक राष्ट्रपति राजेंद्र प्रदेश ने बॉलीवुड एक्टर नाजिर हुसैन को बुलाकर भोजपुरी फिल्म बनाने को कही। इस पर संज्ञान लेते हुए नाजिर हुसैन साल 1963 में भोजपुरी फिल्म गंगा मैया तोहे पीयरी चढ़ाईबो बनाई और ये सफल भी हुआ। इससे पहले किसी ने बड़े पर्दे पर भोजपुरी फिल्म नहीं देखी थी। यहीं से भोजपुरी सिनेमा की शुरुआत हुई।

लागी नाहीं छूटे राम
गंगा मैया तोहे पीयरी चढ़ाईबो के डायरेक्टर कुंदन कुमार ने 1963 में ही अगली भोजपुरी फिल्म ‘लागी नाहीं छूटे राम’ बना। इस फिल्म के गानों को तलत महमूद और लता मंगेशकर ने गाया। इसके बोल भी मजरूह सुल्तानपुरी ने लिखा। ये फिल्म भी सुपरहिट साबित हुई और इसके सॉन्ग लोगों की जुबां पर भी चढ़ें।

बिदेसिया
दोनों भोजपुरी फिल्मों की सफलता को देखते हुए 1963 में ही एनएन त्रिपाठी ने फिल्म बिदेसिया बनाई। इस फिल्म भी सुपरहिट हुई। ये साल की तीसरी हिट बनी। फिर माना जाने लगा कि भोजपुरी सिनेमा बॉलीवुड को टक्कर दे सकता है। क्योंकि तब तक भोजपुरी बोलने वाले पूरे देश में अपने पैर पसार चुके थे। भले ही वे रोजी-रोटी के लिए गए हों।

बलम परदेसिया
इसके बाद लगभग 4 साल तक किसी भी भोजपुरी फिल्म पर काम उतना अच्छा काम नहीं हुआ। क्योंकि लोग हिंदी के साथ-साथ भोजपुरी सिनेमा में हाथ आजमाने की तैयारी कर रहे थे। फिर नासिर हुसैन ने बलम परदेसिया बनाई जिसने फिर कामयाबी हासिल की।

चनवा के ताके चकोर
नाजीर हुसैन और नासिर हुसैन ने 1981 में मिलकर चनवा के ताके चकोर फिल्म बनाई। इसमें मोहम्मद रफी ने गाने गाए थे। इसके बाद भोजपुरी फिल्म बनना बंद हो गई।

नदिया के पार
इसके बाद साल 1982 में आई फिल्म नदिया के पार। ये हिंदी भाषा की फिल्म थी जो भोजपुरी पृष्ठभूमि में बनी थी। यह एक भोजपुरी एख उपन्यास कोहूर की शर्त पर आधारित फिल्म थी।

 

ससुरा बड़ा पईसा वाला
इसके बाद ऐसे कोई फिल्म भोजपुरी फिल्म नहीं बनी जो लोगों पर खास छाप छोड़ सके। साल 2003 में मनोज तिवारी और रानी चटर्जी (Rani Chatterjee) स्टारर भोजपुरी फिल्म ससुरा बड़ा पईसा वाला आई। ये भोजपुरी की अब तक की सबसे ज्यादा कमाई वाली फिल्म है। इस फिल्म से मनोज तिवारी जैसा एक्टर उभर कर आया। इसके बाद भोजपुरी में फुहड़ता और अश्लीलता ने जगह बनानी शुरू कर दी।

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रमेश कुमार :जाकिर हुसैन कॉलेज (डीयू) से बीए (हॉनर्स) पॉलिटिकल साइंस में डिग्री लेने के बाद रामजस कॉलेज में दाखिला लिया और डिपार्टमेंट ऑफ पॉलिटकल साइंस में पढ़ाई की। इसके बाद आईआईएमसी दिल्ली।