भोजपुरी फिल्मों के कलाकार अवधेश मिश्रा जिन्हे इंडस्ट्री का सबसे खलनायक भी कहा जाता है पहुंचे हुए थे हिंदी रश के मुंबई दफ्तर में। हिंदी रश डॉट कॉम से एक्सक्लूसिव बातचीत करते हुए अवधेश मिश्रा ने अपने करियर और पर्सनल लाइफ से जुड़े कई अहम् किस्से हमारे साथ शेयर किए हैं।
सवाल- भोजपुरी फिल्मों में आपका आना कैसे हुआ?
अवधेश मिश्रा- मेरे संघर्ष की कहानी बड़ी लम्बी है। मैंने ऐसी कोई प्लानिंग नहीं की थी कि मुझे भोजपुरी जगत में ही आना है। मै थियेटर किया करता था। मेरी कोशिश जारी थी कि मुझे भी बॉलीवुड में काम मिले। पर मुझे ना टीवी इंडस्ट्री में काम मिला और ना ही बॉलीवुड में। भोजपुरी से जुड़ना मेरे लिए किसी हादसे से कम नहीं है। मेरे परिचय में एक निर्देशक निर्माता हैं जिन्होंने मुझे भोजपुरी के लिए ऑफर दे रखा था पर मै उस फिल्म के बारे में सोच नहीं पा रहा था। आर्थिक तंगी ने मुझे ऐसा परेशान किया कि मुझे भोजपुरी में जाना ही पड़ा। मेरी पहली फिल्म का नाम था दूल्हा अइसन चाही। मैंने इस फिल्म को सिर्फ पैसे के लिए किया था।
सवाल- पैरेंट्स चाहते हैं कि मेरा बच्चा डॉक्टर बने। इंजिनियर बने। आपके माता-पिता क्या चाहते थे?
अवधेश मिश्रा- देखिए मै बिहार एक छोटे से गावं से हूं, जिसका नाम है सीतामढ़ी। हमारे गावं में 5 वीं तक का स्कूल था जिसमे हम कंधे पर अपना बस्ता लेकर जाते थे। मैंने गावं की लाइफ बखूबी जी है। भैस चराना, भैस पर बैठकर गाना वाना गाना, फ़िल्मी डायलॉग बोलना। वहां से शुरुवात हुई मेरी। हम चार भाइयों में मै ही सबसे नालायक था। सभी के माता-पिता सोचते हैं कि उनका बेटा डॉक्टर इंजिनियर बने। लेकिन मेरा मन एक्टिंग में था तो मै पटना आकर थियेटर से जुड़ गया। मेरे घर का कोई भी सदस्य मेरी एक्टिंग देखने नहीं आते थे लेकिन मेरे बाउजी देखने के लिए आते थे। वो मेरी प्रतिभा को कुछ हद तक समझते थे। उसके बाद मै दिल्ली गया। फिर मुंबई पहुंचा। अब वो सब अलग कहानी है। मैंने बहुत परेशानी झेली है। बहुत ही स्ट्रगल किया है। अपने दुखी जीवन की बात अपने फैंस के साथ शेयर नहीं करना चाहता। उन्हें दुखी करना नहीं चाहता।
सवाल- आप फिल्मों में हीरो बनने आए थे या विलेन?
अवधेश मिश्रा- विलेन की चाहत मेरी शुरू से थी। मै प्राण साहब से बहुत प्रेरणा लेता था। जब वो विलेन करते थे तो लोगों में दहशत फैला देते थे पर फिर उन्होंने सकारत्मक रोल करना शुरू किया। वो कभी रुला देते थे। कभी गुदगुदा देते थे। उनसे संजीदा एक्टर मैंने कभी लाइफ में नहीं देखा। इसलिए उन्हें देखने के बाद मेरे भी मन में था कि मै खलनायकी से शुरुवात करूँ। वैसे भी मुझे हर किसी ने विलेन का ही रोल दिया। किसी ने कहा मेरी नाक अच्छी नहीं है तो किसी ने कहा कि चेहरा अच्छा नहीं है।
सवाल- आप फिल्मों में बहुत डराते हैं। आपके फैंस आपसे कैसे मिलते हैं?
अवधेश मिश्रा- दर्शकों का अपशब्द मैंने बहुत झेला है। गालियां लोगों ने बहुत दी हैं। एंट्री पर मेरे तालियां भी पड़ती थी पर गालियां भी मिली। अरे एक बार मै अपनी फिल्म लहरियां लुटा ए राजा का प्रमोशन करने गया हुआ था। उत्सुकता बस वहां बैठी कुछ महिलाओं से मैंने पूछ लिया कि कैसी लगी फिल्म ? पता नहीं उनके मन में क्या आया, उन्होंने चप्पल उठाया लगे मुझे मारने। बाद में लोगों ने कहा कि ये तो तुम्हारे लिए तारीफ है पर बाद में मैंने फील किया कि यार ये बुरा हो गया।
एक्सक्लूसिव वीडियो में देखिए भोजपुरी एक्टर अवधेश मिश्रा से पूरी बातचीत…