एक्सक्लूसिव: फिल्म मर्द को दर्द नहीं होता के विलेन गुलशन-डायरेक्टर वासन ने खोले कई राज, राधिका को लेकर कहा ये

जहां गुलशन ने बताया कि इस फिल्म को करना उनके लिए पुर्नजन्म जैसा था वहीं, डायरेक्टर वासन बाला ने बताया कि सेट पर सबसे ज्यादा शरारती कौन था। ऐसी कई बाते उन्होंने शेयर की। इतना ही नहीं, राधिका को लेकर भी गुलशन ने बड़ी बात कह दी।

गुलशन दैवेया और वासन बाला(फोटो:हिंदी रश)

डायरेक्टर वासन बाला की फिल्म ‘मर्द को दर्द नहीं होता’ 21 मार्च को बड़े पर्दे पर दस्तक देगी। इस फिल्म से भाग्यश्री के बेटे अभिमन्यु दसानी बॉलीवुड में एंट्री करेंगे। इस फिल्म के प्रमोशन के मौके पर इसके स्टारकास्ट और डायरेक्टर दिल्ली आए। इस दौरान फिल्म में विलेन के रोल में नजर आने वाले गुलशन दैवेया और डायरेक्टर वासन बाला ने हिंदी रश डॉट कॉम से एक्सक्लूसिव बातचीत  के साथ बातें की। अपने इंटरव्यू में उन्होंने कई राज से पर्दा उठाया। आप भी जानिए इनके बारे में।

गुलशन दैवेया के सवाल-जवाब
सवाल – सबसे पहले अपने रोल के बारे में बताए
गुलशन – इस फिल्म में मेरा डबल रोल है। दो भाई हैं एक का नाम कराटे मनी और दूसरे का जिमी है। कराटे मनी कराटे मास्टर काफी डिप्रेस्ड आदमी है और दोनों भाईयों में बनती नहीं है। और दोनों के बीच बचपन से तकरार होता रहता है।

सवाल – आप वेब सीरीज में भी काम कर चुके हैं? तो आपका एक्सपीरिएंस क्या रहा है? किसमें ज्यादा रूचि है?
गुलशन – मेरी ज्यादा रूचि तो फिल्मों में ही है क्योंकि फिल्में देखकर बड़ा हुआ हूं। वेब सीरीज में निर्भर करता है कि किस तरह की कहानी और किरदार है उस हिसाब से चुनता हूं। वैसे बतौर एक्टर हमें सब ट्राय करना चाहिए और आगे चलकर ऑनलाइन का ही जमाना है। तो उस हिसाब से वेब सीरीज अच्छा ऑप्शन है, लेकिन मेरी पहली पसंद सिनेमा ही रहेगी।

सवाल – क्या आपको लगता है कि फिल्मों की तुलना में आजकल वेब सीरीज का क्रेज बढ़ता जा रहा है और आगे चलकर फिल्मों के प्रति दर्शकों का रूझान कम हो जाएगा?

गुलशन – ऐसा बिल्कुल हो सकता है कि सिनेमा या सिनेमाघर नहीं रहेगा। टेक्नॉलजी आ जाने से लोग हो सकता है घर बैठे ही सब देखेंगे। इससे थोड़ा दुख तो होता है, लेकिन ऐसा नहीं है कि जो कह रहा हूं कि वो सच्चाई हो ऐसा नहीं भी हो सकता है। आपको बता दूं कि जब टीवी आया था तब भी लोगों को लगा था कि अब सिनेमा का फ्यूचर नहीं रहा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। सिनेमा अपनी जगह अभी भी बरकरार है।

सवाल – बॉलीवुड के विलेन का आयकॉनिक रोल जो आप करना चाहते हों?
गुलशन – कभी ऐसा सोचा नहीं है। किसी एक किरदार को लेकर स्टिक नहीं हूं। बचपन से घर में हिंदी गाने चलते रहे थे। इसे सुनकर ही हिंदी फिल्मों में रूचि जगी। हिंदी फिल्मों में काम करना है अभिनेता बनना है यहीं मेरा सपना था। बचपन से ही नाटक करता था। अलग-अलग रोल करता था। मैंने कभी ऐसा नहीं सोचा कि यहीं रोल करना है। मुझे नहीं पता मैं क्या करना चाहता हूं। एक एक्टर के तौर पर सब करना चाहता हूं।

सवाल – इस फिल्म का अनुभव कैसा और क्या रहा है?

गुलशन – ऐसा लगा जैसे पुर्नजन्म हुआ है। इस फिल्म से पहले मैं एक गंभीर सर्जरी से गुजरा था। घुटना टूट गया था। काम करने की हालात में नहीं था। सब वापस सीखना पड़ा। सर्जरी के दो महीने बाद वसन ने कहानी सुनाई। उन्होंने रोल के बारे में बताया और ये फिल्म करने के लिए मनाया। अनुभव काफी अच्छा रहा। मैं तो सर्जरी के बाद घर बैठा था। जब वसन फिल्म लेकर आए तो मुझे लगा मुझे उठाना चाहिए परिश्रम करना चाहिए। अभी लगता है कि सब खून पसीना बहाना सफल हुआ।

सवाल – फिल्मों में हमने आपको सीरियस और निगेटिव रोल में ही देखा है। रियल लाइफ में गुलशन कैसे हैं?
गुलशन – वो डिपेंड करता है। ज्यादातर मैं अकेले रहता हूं और चीजों के बारे में सोचते रहते हूं। यूट्यूब पर अलग-अलग वीडियो देखते रहता हूं। मुझे नहीं पता मैं असल में कैसा हूं। मूड पर डिपेंड करता है। कभी काफी हंसी मजाक करता तो कभी चुप-चुप रहता हूं।

सवाल – राधिका मदान के बारे में क्या कहना है?
गुलशन – राधिका का पूरा रोल मैंने किया है विग पहनकर उसे कुछ नहीं आता (हंसते हुए)। राधिका काफी एनर्जी से भरी लड़की हैं। सुबह 4 बजे भी उसी एनर्जी से साथ काम करती हैं। गलत भी हो जाए तो बुरा नहीं मानती है और दोबारा करती है। कोई भी काम ईमानदारी और श्रद्धा से करती है। इतनी कम उम्र में इतनी मैच्योर है। फिल्म में सारे स्टंट उसने खुद किया है। मैंने उसे मेहनत करते देखा है।

डायरेक्टर वासन बाला के सवाल-जवाब

सवाल – अपने फिल्म के बारे में बताइए, आइडिया कहां से आया और इस नाम के पीछे क्या वजह है?
वासन – ये फिल्म एक रियल कंडीशन पर बनी है जिसमें कैरेक्टर को दर्द नहीं होता है। ये फिल्म 80 और 90 के दशक से काफी प्रभावित है तो ये नाम भी वहीं से आया। अमिताभ बच्चन की एक फिल्म थी मर्द तो वहां से ये डायलॉग चला आ रहा है कि मर्द को दर्द नहीं होता, तो वहां से भी ये आईडिया आया। इसके पीछे कोई डीप मीनिंग नहीं है।

सवाल – राधिका, गुलशन और अभिमन्यु तीनों में सबसे ज्यादा शरारतें कौन करता था?
वासन- वैसे तो सेट पर सब लोग बिजी रहते थे, तो शरारतें कम ही होती थी। लेकिन इन तीनों में सबसे यंग गुलशन को मानता हूं फिर राधिका और सबसे बुजुर्ग अभिमन्यु। सबसे ज्यादा शरारतें गुलशन करते थे और सरताज जो सूर्या के बचपन का किरदार फिल्म में निभा रहे हैं।

सवाल – आपकी फिल्म केसरी के साथ रिलीज हो रही? इस बारे में आपका क्या कहना है?
वासन – अक्षय कुमार के हम सब फैन हैं। आप पहला उनका शो देख लीजिएगा और दूसरा हमारा (हंसते हुए)।

सवाल – आपके हिसाब से सबसे बड़ा दर्द क्या है
वसन – दिल टूटने का दर्द, लेकिन ये सिर्फ ये प्यार के लिए नहीं होता। जब आपके सपने पूरे नहीं होते हैं तब भी दिल टूटता है और दर्द होता है। ऐसा एक्सपीरियंस होना भी अच्छी बात है, लेकिन इस दर्द को आप ईधन समझकर आगे बढ़ें तो अच्छी बात है पर उसे ब्रेक मानकर रूक गए तो बुरी बात है।

सवाल – वेब सीरीज का आजकल काफी चलन है उसको लेकर क्या राय है?
वासन – इंटरनेट पर अमिताभ बच्चन जी का एक बीबीसी का इंटरव्यू है जिसमें उन्होंने कहा है कि वीएचएस के आने से सिनेमा खत्म हो जाएगा। अलटरनेट मीडियम हमेशा मौजूद रहेंगे। मेरे ख्याल से दोनों को लेकर अबतक एक्साइटमेंट वहीं है। लेकिन मैं आज भी सिनेमाहॉल में जाकर 500-600 लोगों के बीच फिल्म देखना पसंद करूंगा। वो एक्सपीरिएंस को कुछ भी रिप्लेस नहीं कर सकता है।

सवाल – नेपोटिज्म को लेकर क्या कहना है? क्या स्टार किड को स्ट्रगल नहीं करना पड़ता है?
वासन – सभी को स्ट्रगल करना पड़ता है। हम सिर्फ उनको देखते हैं जिन्हे करण जौहर ने लॉन्च किया है। बाकी लाखों ऐसे हैं जो बाकियों की तरह लाइन में लगकर ऑडिशन देते हैं। जिन्हें मौका मिल जाता है उनके लिए आगे स्ट्रगल है क्योंकि उसके बाद आगे कामयाबी के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। स्टारडम के साथ जजमेंट भी आता है। वो प्रेशर भी कम नहीं है। मेहनत से कोई नहीं बच सकता है। नेपोटिज्म का डिबेट अब खत्म कर देना चाहिए।

सवाल- अभिमन्यु की ये पहली फिल्म है उनको लेकर आपकी क्या राय है? उनके बारे में क्या कहना है?
वासन – वो कमाल के एक्टर हैं इसलिए इस फिल्म में हैं। ये जो कैरेक्टर था मुझे इसके लिए काफी टाइम लगा। लोग अपनी पर्सनैलिटी बनाकर आते हैं और मुझे ऐसे शख्स की तलाश थी जो अपने आप से जूझ रहा हो और अपने बचपन को कहीं बचाकर रखा हो। ये दोनों खूबू अभिमन्यु में दिखी और वो बहुत ही मेहनती लड़का है। उसके बैकग्राउंड से कुछ लेना देना नहीं है वो अपने दम पर खड़ा होना चाहता है। उससे अच्छा कोई सूर्या नहीं हो सकता है।

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जागृति प्रिया :मुझे एंटरटेंमेंट, लाइफस्टाइल, हेल्थ, ट्रेंड और ब्यूटी की खबरें लिखना पसंद है। पाठकों को इनसे जुड़ी खबरों से अवगत कराती हूं। मैंने पॉलिटिकल साइंस में ग्रेजुएशन करने के बाद माखनलाल यूनिवर्सिटी से मास्टर इन जर्नलिज्म किया है।