15 मार्च को देश के सिनेमा घरों में एक ऐसी फिल्म रिलीज होने वाली है, जो समाज के एक नहीं बल्कि कई मुद्दे को बेहतरीन तरीके से उठाएगी। डायरेक्टर राकेश ओमप्रकाश मेहरा की फिल्म मेरे प्यारे प्राइम मिनिस्टर की पूरी कास्ट के साथ हिंदी रश की संवाददाता दीपाक्षी शर्मा ने खास बातचीत की। इस फिल्म में अंजली पाटिल, ओम कनौजिया और नितेश वाधवा लीड़ रोल में नजर आ रहे हैं। हिंदी रश डॉट कॉम को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में तीन कलाकारों ने अपने किरदार, फिल्म के लिए की गई तैयारियों और डायरेक्टर ओमप्रकाश मेहरा के साथ अपनी बॉन्डिंग का जिक्र किया। यहां देखिए उनके साथ खास बातचीत के कुछ अंश –
पहली फिल्म को लेकर था काफी एक्साइडेट – नितेश वाधवा
सवाल – आपको जब इस फिल्म के लिए चुने गए तो उस वक्त आपको दिमाग में क्या चल रहा था?
नितेश वाधवा- यह मेरी पहली फिल्म है तो जाहिर सी बात है ये मेरी लिए खुशी की बात थी। इससे पहले मैं भाग मिल्खा भाग फिल्म में असिस्टेंट डायरेक्टर भी रह चुका हूं। मैंने इस फिल्म में राकेश ओमप्रकाश मेहरा सर के साथ काम किया है। वो फिल्म मेरे लिए एक स्कूल की तरह थी। इसके बाद में कस्टिंग डायरेक्टर था। मैंने दंगल जैसी फिल्मों में कस्टिंग की है। जब मुझे लगा कि मैं तैयार हूं। मुझे पता है कि फिल्म की टीम किस तरह से काम करती है। फिल्म के पीछे कितनी मेहनत लगती है। तो इसके बाद मैंने ऑडिशन दिए। फिर मुझे पता लगा कि राकेश ओमप्रकाश मेहरा एक फिल्म बना रहे हैं। जिसमें मेरे उम्र का एक एक्टर ढूंढ रहे हैं। तो मैं तुरंत उनके पास पहुंच गया और मैंने ऑडिशन दिया। कुछ वक्त के बाद मैं शॉर्ट लिस्ट हुआ और उसमें कई बड़े-बड़े नाम थे, फाइनली मुझे एक दिन कॉल आया कि मैं इसमें सेलेक्ट हो चुका हूं। मेरे लिए ये एक खुशी की बात थी।
इस फिल्म में मेरे किरदार का नाम है पप्पू पांडे। जो कि इलाहाबाद से है। उनके पिता का एक बुक स्टोर हुआ करता था। जब वह छोटे बच्चे थे तो वो वहीं, उनकी टेबल के नीचे किताबे पढ़ते रहते थे। तो उनको किताब का बहुत शौक था। इसके बाद जब वो बड़े हुए तो मुंबई आए नौकरी की तलाश में। तो उन्होंने एक रेलवे स्टेशन पर मैगजीन और न्यूजपेपर का एक स्टॉल खोला। इसके बाद हम टाइटल और रिसर्च के मुताबिक आगे बढ़ते गए।
सवाल – अपने किरदार पप्पू पांडे के लिए आपने किस तरह की तैयारियां की?
नितेश वाधवा – इलाहाबादियों का अपना एक बात करने का तरीका होता है। जैसे कि हम तू तड़क से बात करते हैं, लेकिन वो बेहद ही रिसपेक्ट के साथ बात करते हैं हम जैसे शब्दों का इस्तेमाल करके। बहुत ही प्यार है उनकी जुबान में। जब हमारी फिल्म की रैकिंग चल रही थी तो मैं फिल्म की टीम के साथ लोकेशन पर गया था। हमारी लोकेशन घाट कोपर में थी। एक खंडुआ जगह में जहां एक दो किलोमीटर चलकर ऊपर तक जाना होता था। जब आप वहां हम पहुंचते थे तो हमारी हवा निकल जाती थी। वहां के लोगों के बारे में मैंने जाना। फिर मैंने अपने किरदार पप्पू पांडे के लिए वहां मौजूद कई न्यूजपेपर और मैग्जीन वालों से बातचीत की। उनके रहने के तरीकों के बारे में बात की। कितना कमाते है, क्या बोलते हैं। उनकी जिंदगी के बारे में जो भी जानकारी मैं ले सकता था मैंने ली और जितना मेरी लाइफ से मेल खाता वो करने की मैंने कोशिश की।
सवाल- लड़कियों की सुरक्षा के मुद्दे को लेकर आप लड़कों से क्या कहना चाहेंगे?
नितेश वाधवा – आज की लड़कियां काफी आत्मनिर्भर हैं। वो खुद अपनी सेफ्टी का ख्याल रख लेती है। लड़कों की तरफ से मैं ये कहना चाहूंगा कि आप लड़कियों को इज्जत दे जैसे की आप अपनी मां को देते हैं। गंदी नजर से उन्हें न देखें या उनको लेकर कोई गलत बात न कहें। यदि यहीं सब चीजें भी हो जाती हैं तो हमारी सोसाइट काफी आगे बढ़ सकती है।
सरगम के किरदार से सिखा दोस्ती का रिश्ता- अंजली पाटिल
सवाल – फिल्म में आपने एक सिंगल मदर सरगम का किरदार निभाया है। इस किरदार से आपने क्या कुछ सिखा जिसे आप आगे अपनाना चाहेंगी?
अंजली पाटिल- मैंने अपने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट डाली थी कि सरगम ने दोस्ती सिखाई है मुझे। मामता का मतलब दोस्ती है। तो यदि मैं अपने बच्चों के साथ दोस्ती रख पाई तो ये मेरे लिए एक बड़ी बात होगी। क्योंकि सरगम और कानू दोनों एक दूसरे के काफी अच्छे दोस्त हैं। सरगम 16-17 साल की थी जब उसने कानू को कंसिव किया था। अभी कानू आठ साल का है और वही उसकी पूरी दुनिया है। वो एक साथ बड़े हुए है एक दूसरे के काफी अच्छे दोस्त बनें। काफी मस्ती करते है दोनों एक साथ। सरगम उसे कभी ऐसे ट्रीट नहीं करती कि वो एक बच्चा है बल्कि उसके हर सवाल का जवाब देती है। यदि वो गलत राह पर जाता है तो वो उसे डांट भी देती है। तो मैं ये कह सकती हूं कि सरगम से मैंने हिम्मत के साथ जीना सिखा है और उसी के साथ वो अपनी खूबसूरती को दर्शाती है।
सवाल -आप जल्द ही बायोपिक में काम करने वाली जो सपोर्ट्स पर आधारित होगी औऱ वो मराठी में बनाई जाएगी। इसको लेकर आप कुछ कहेंगी?
अंजली पाटिल- उसके बारे में मैं अभी कोई चर्चा नहीं करुंगी क्योंकि बहुत सारी टेक्निकल चीजें है जो इधर- उधर हो रही है। तो शायद वो न भी हो। इसको लेकर मैं 3-4 महीने से काफी तैयारियों कर रही हूं, लेकिन फिल्मों की दुनिया होती ही ऐसी है, जिसमें कभी कुछ होता है तो कभी नहीं। ऐसे में इसके बारे में मैं कुछ नहीं कह पाऊंगी।
सवाल- रेप जैसे मुद्दे को लेकर आप पीएम मोदी से कुछ कहना चाहेंगी?
अंजली पाटिल – मैं सिर्फ पीएम मोदी से नहीं कहूंगी बल्कि पूरी सोसाइटी से कहूंगी। क्योंकि ये फिल्म है एक ऐसे छोटे बच्चे की कहानी है जिसने पीएम मोदी को चिट्टी लिखी है। यह फिल्म महिलाओं की सुरक्षा, जागरूकता और शिक्षा पर बात करती है। यह फिल्म सिर्फ रेप के मुद्दे को नहीं उठती है बल्कि बहुत सारे मुद्दे को उठाती है। रही बात रेप की और सुरक्षा की तो सिर्फ पीएम मोदी के कुछ करने से कुछ नहीं होगा बल्कि ये एक बड़ा काम है ऐसे में इस की जोड़ों तक पहुंचने की जरूरत है। जो परेशानी
काफी डील लेवल की है उसे सुलझाने की जरूरत है। मैं इसके बारे में खुद सोचती हूं क्योंकि मैं जब 16 साल की थी तो मैं आर्थिक तौर पर खुद से ही स्ट्रांग हो गई थी। इसी के चलते मुझे अपने विचार और पहनावे को चुनने का अधिकार मिला। यदि कुछ करें सकें तो महिलाओं को अपने पैरों पर खड़ा करने के लिए उन्हें खुद के रोजगार उपलब्ध कराएं।
राकेश ओमप्रकाश मेहरा है हर परेशानी का हाल – ओम कनौजिया
सवाल – इस फिल्म में तो आपने पीएम नरेंद्र मोदी को चिट्टी लिखकर अपनी परेशानी बताई, फिल्म के सेट पर आपकी परेशानी कौन हल करता था?
ओम कनौजिया – मेरी परेशानी राकेश ओमप्रकाश मेहरा सर अच्छे से हल करते थे। वो कभी किसी चीजों को लेकर ऐसे नहीं कहते थे कि ये ऐसे करना है, एक बार दोबारा सहीं से ये काम करना है। वो काफी आराम से चीजों को समझते थे।
यहां देखिए फिल्म मेरे प्यारे प्राइम मिनिस्टर का ट्रेलर…