बॉलीवुड की बातें: पुरानी कहानी, नया सिनेमा…ऐसे दौर से गुजर रही है इंडियन फिल्म इंडस्ट्री

पूरी दुनिया में ऐसे ही सिनेमा को सहज कहा जाता है, जो अपने समाज और समय के मौजूदा संदर्भ के मुताबिक अपनी कहानियां चुनता है, या बुनता है. चुनना और बुनना फिल्म निर्माण की दो प्रक्रियाएं हैं.

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बॉलीवुड की बातें: पुरानी कहानी, नया सिनेमा…ऐसे दौर से गुजर रही है इंडियन फिल्म इंडस्ट्री
समाज और समय का आईना है सिनेमा (फोटो क्रिएटिव)

सिनेमा की दुनिया में नया पुराना जैसा कुछ मानकर नहीं चला जाता. ये माध्यम ही ऐसा है. जो घड़ी की सुई के साथ चलता है. अपने आज से कदमताल की तरह. यहां जो भी रचा जाता है, वो किसी अतीत की घटना होते हुए भी अपने आज में घटित होता है. इसीलिए सिनेमा को अपने समाज और समय का आईना भी कहा जाता है. अपने अतीत को आज के अक्स में देखने वाला सबसे सशक्त माध्यम. सिनेमा की दुनिया में अपने समय का ये अक्स ही मायने रखता है. पूरी दुनिया में ऐसे ही सिनेमा को सहज कहा जाता है, जो अपने समाज और समय के मौजूदा संदर्भ के मुताबिक अपनी कहानियां चुनता है, या बुनता है. चुनना और बुनना फिल्म निर्माण की दो प्रक्रियाएं हैं. एक में कहानियां अपनी विरासत से चुनी जाती हैं और दूसरी में अपने समाज और दर्शकों की पसंद की मुताबिक गढ़ी जाती हैं. एक में कहानियां और किरदार असल जिंदगी या घटनाओं से उठाए होते हैं और दूसरे में वो कल्पना के धागों से बुने होते हैं. आज के बॉलीवुड में ये दोनों ही प्रक्रियाएं अपने चरम पर हैं.

बॉलीवुड का वर्तमान सिनेमा अपने आज के साथ अतीत की तहें भी कुरेद रहा है. और दिलचस्प बात ये, कि इसे दर्शक भी खूब पसंद कर रहे हैं. पिछले साल बॉलीवुड में जो 300 करोड़ रुपये से ज्यादा का कलेक्शन करने वाली 2 फिल्में थीं, वो दोनों ही बायोपिक्स थीं- पद्मावत और संजू. एक में 8 सदी पहले की पौराणिक कहानी, तो दूसरी में बीते कुछ दशकों की सच्ची घटनाएं. इन्हें लेकर सवाल और बवाल दोनों ही खूब हुए. पद्मावत की रिलीज के पहले करणी सेना और पुराने राजघरानों की तरफ से ऐतराज. फिल्म में हमारी परंपराओं को गलत रौशनी में दिखाया गया. संजू की रिलीज से पहले तो सब ठीक था.

इस फिल्म की रिलीज के बाद कहा गया कि इसमें संजय दत्त के जीवन की वो कहानियां हैं, जिसे बहुत कम लोग जानते हैं. लेकिन फिल्म रिलीज के बाद कुछ समीक्षकों और सिनेमा की दुनिया से जुड़े लोगों ने कई सवाल उठाए. कहा गया कि संजू के जीवन का बहुत कुछ ऐसा है जो फिल्म में नहीं दिखाया गया. जो दिखाया गया उसके मुताबिक ऐसा लगता है कि जैसे ये फिल्म संजय दत्त की छवि और सुधारने के लिए बनाई गई हो. लेकिन इस पूरी बहस से दर्शकों की जिज्ञासा अलग रही. दर्शकों ने पद्मावत और संजू दोनों को ही बड़ी तादाद में देखी. रानी पद्मावती और अलाउद्दीन खिलजी के जिन किरदारों पर सबसे ज्यादा विवाद थे, उन्हीं को लेकर रणवीर सिंह और दीपिका पादुकोण की सराहना सबसे ज्यादा हुई. इसी तरह संजू के किरदार में रणबीर कपूर भी बेस्ट एक्टर का खिताब बटोरने में कामयाब रहे.

ऐसा नहीं, कि बॉलीवुड में 2018 में दिखा बायोपिक्स या सच्ची कहानियों से प्रेरित फिल्मों का ये नया ट्रेंड है. बल्कि हिंदुस्तान की तो पहली फिल्म ही बायोपिक थी. 1913 में दादा साहब फाल्के की बनाई पहली साइलेंट फिल्म राजा हरिश्चंद्र, इस पौराणिक किरदार के जीवन सफर पर आधारित थी. ये सिलसिला उस दौर में भी चला. फिल्में काल्पनिक कथाओं पर भी बनीं और सच्ची घटनाओं पर आधारित भी. हालांकि आजादी के बाद तक के कई दशकों में ऐसी उल्लेखनीय फिल्म नहीं बनी. जबकि तब के सिनेमा के सामने आजादी की लड़ाई से लेकर उसके कई महानायकों की कहानियां थी्. गांधी और पटेल जैसे नायकों पर फिल्में 80 और 90 के दशक में बनीं. इस दौर में तमाम साहित्यिक कृतियों पर बनी फिल्में भी नाकाम रहीं. लेकिन आज के बॉलीवुड को जैसे ऐसी कहानियों में कामयाबी का नया धागा मिल गया है. यदि बात करें 2019 की, तो सच्ची कहानियों पर आधारित फिल्मों की लंबी लाइन दिख रही है.

2019 की शुरुआत ही मणिकर्णिका जैसी फिल्म से हुई. हालांकि अपने जॉनर में बनी दूसरी फिल्मों जोधा अकबर, बाजीराव मस्तानी या पद्मावत जितनी कामयाब नहीं हुईं. लेकिन झांसी की रानी की सच्ची कहानी के साथ कंगना रनौत जरूर सुर्खियों में रहीं. जिस स्केल पर उन्होंने फिल्म पूरी की और रानी का किरदार जिस तेवर के साथ निभाया, उसकी तारीफ भी खूब हुई. इसी सिलसिले में अक्षय कुमार की फिल्म केसरी है, जिसका ट्रेलर यूट्यूब से लेकर सोशल मीडिया पर ट्रेंडिंग है. फिल्म 122 साल पहले सारागढ़ी के युद्ध पर आधारित है. 10 हजार अफगानी हमलावरों के खिलाफ जिस तरह 21 सिख सैनिकों ने मोर्चा संभाला था, उसका जिक्र ऐतिहासिक गाथाओं में कहीं गुम है. लेकिन अक्षय कुमार और उनकी टीम ने पूरी लड़ाई को व्यापक रूप में बड़े पर्दे पर उतारने की कोशिश की है.

इस कहानी पर अजय देवगन ने भी फिल्म बनाने का ऐलान किया था. लेकिन अक्षय की फिल्म पहले तैयार हो जाने के बाद उन्होंने ये आइडिया ड्रॉप कर दिया. एक तरफ इतिहास के असली वीरों पर फिल्म तो दूसरी तरफ करण जौहर जैसे कैंप की कलंक जैसी फिल्म. ये फिल्म भी 1940 के दशक की एक सच्ची घटना पर आधारित है. फिल्म की जो पहली झलक आई है, वो उस दौर की रूढ़ियों और मान्यताओं के बीच प्रेम और उसके लिए संघर्ष की कहानी लगती है. ये फिल्म संजय दत्त, माधुरी दीक्षित, वरुण धवन, सोनाक्षी सिन्हा और आलिया भट्ट जैसे बड़े सितारों के साथ बड़े स्केल पर बनाई गई है. इसी तरह 1983 के वर्ल्ड कप जीत पर कबीर खान जैसे डायरेक्टर की फिल्म 83, बिहार के मैथेमेटिशियन आनंद की जिंदगी पर आधारित सुपर-30 जिसमें रितिक रोशन जैसे सुपरस्टार लीड रोल में हैं. पानीपत की लड़ाई पर आशुतोष गोवारिकर की अगली फिल्म भी चर्चा में है.

यदि बात करें बायोपिक्स की, तो सायना नेहवाल की भूमिका में श्रद्धा कपूर से लेकर साउथ की एडल्ट फिल्म स्टार शकीला की भूमिका में ऋचा चढ्ढा और शूटिंग के वर्ल्ड चैंपियन अभिनव बिंद्रा के रोल में हर्षवर्धन कपूर प्रेरक कहानियों को पर्दे पर उतार रहे हैं. ये बॉलीवुड के उसी नए सिनेमा का सिलसिला है, जो पिछले कुछ बरसों में लोकप्रियता के नए रिकार्ड बना रहा है. 2011 में साउथ की एडल्ट स्टार सिल्क स्मिता के जीवन पर बनी फिल्म में विद्या बालन, 2012 में चंबल के डकैत पान सिंह तोमर के रोल में इरफान खान, 2013 में फ्लाइंग सिख कहे जाने वाले मिल्खा सिंह की भूमिका में फरहान अख्तर, 2014 में बॉक्सिंग चैंपियन मैरी कॉम के रोल में प्रियंका चोपड़ा ने बॉक्स ऑफिस पर अपना सिक्का जमाया. ये फिल्में न सिर्फ सराही गईं, बल्कि कमाई के लिहाज से भी सुपरहिट रही. 2016 तक आते-आते बॉलीवुड में ये सुपरहिट ट्रेंड के रूप में स्थापित हो गया.

ऐश्वर्या राय की भूमिका वाली सरबजीत, सोनम कपूर की भूमिका वाली नीरजा, महेन्द्र सिंह धोनी पर बनी फिल्म एमएस धोनी और हरियाणा की रियल रेसलर्स गीता-बबीता और महावीर फोगाट की जिंदगी पर आधारित फिल्म दंगल ने बॉक्स ऑफिस पर कामयाबी का परचम लहराया. इसी तरह रुस्तम, पैडमैन, अलीगढ़, डैडी, हसीना, द गाजी अटैक, राजी, गोल्ड जैसी फिल्में रियल स्टोरीज के ट्रेंड को आगे बढ़ाती रहीं. उरी हमले और उसके बाद सर्जिकल स्ट्राइक पर फिल्म बनाने का ऐलान भी इसी दौर में हुआ. वो फिल्म इस साल रिलीज हुई, तो दर्शकों के जबरदस्त रिस्पॉन्स ने उसे 300 करोड़ की कमाई वाली फिल्म बना दिया. इस ट्रेंड में नया ट्विस्ट पुलवामा अटैक और उसके बाद सर्जिकल स्ट्राइक के बाद आया है. बॉलीवुड में इस पूरी घटना के साथ विंग कमांडर अभिनंदन के पराक्रम की कहानी पर फिल्म बनाने की होड़ लगी है. करीब आधा दर्जन प्रोडक्शन कंपनियों और बड़े निर्माता निर्देशकों ने इस पर फिल्म बनाने के लिए टाइटल रजिस्टर कराया है.

नए सिनेमा के सहज अंदाज के साथ सच्ची कहानियों पर आधारित फिल्मों का ये सिलसिला और भी दिलचस्प हो जाता है. न्यूटन, शुभ मंगल सावधान, लिपस्टिक अंडर माय बुर्का, अनारकली ऑफ आरा, स्त्री, सीक्रेट सुपरस्टार, बरेली की बर्फी और हाल ही में आई बधाई हो और लुका छुपी जैसी फिल्मों ने बॉलीवुड के तमाम मिथक ध्वस्त किए. स्टार सिस्टम से लेकर फार्मूला फिल्मों की जो धाक थी, वो इन फिल्मों की कामयाबी के साथ ध्वस्त हो चुकी है. ग्लैमर और स्टार पॉवर से अलग आज के सिनेमा का हीरो है उसकी कहानी. कहानी नई हो या पुरानी, इससे फर्क नहीं पड़ता. दर्शकों ने अपना इशारा साफ कर दिया है कि यदि फिल्म सहज है, उसके किरदार और उनकी कहानी दिल को छूती है, तो वो फिल्म देखने जरूर जाएंगे. उनके लिए सितारा कोई मायने नहीं रखता.

यदि अंग्रेजों के खिलाफ लोहा लेने वाले मध्य भारत के ठग्स पर भी बनी ठग्स ऑफ हिंदोस्तान जैसी फिल्म उन्हें बनावटी लगती है, तो वो अपने चेहेते सितारों के बावजूद भी उसे नकार सकते हैं. वो शाहरुख खान को भी नकार सकते हैं अगर जीरो जैसी फिल्म में अगर वो कहानी और अदाकारी की नई उम्मीदों पर खरे नहीं उतरते. वो सिर आंखों पर बिठा सकते हैं नवाजुद्दीन सिद्दीकी, आयुष्मान खुराना, राजकुमार राव, कार्तिक आर्यन और पंकज त्रिपाठी जैसे कलाकारों को, जो अपने-अपने किरदारों में दर्शकों के बीच से उठाए लगते हैं. वो गल्ली बॉय जैसी फिल्म को को गले लगा सकते हैं. अगर फिल्म की कहानी में असल जिंदगी का संघर्ष और सपने सच करने की चुनौतियां अपने जैसी लगे.

ये ट्रेंड इतनी मजबूती से उभरा है कि बॉलीवुड के बड़े निर्माता-निर्देशक और स्टार भी ऐसी कहानियों के साथ अपनी अगली फिल्मों पर काम कर रहे हैं. राजी की कामयाबी के बाद मेघना गुलजार 1971 युद्ध के हीरो जनरल सैम मानकेशॉ पर फिल्म बनाने से लेकर तलवार 2 बनाने की तैयारी में है. आरुषि हत्याकांड पर बेहतरीन फिल्म बनाने के बाद मेघना तलवार 2 की कहानी रायन पब्लिक स्कूल में हुए प्रद्युम्न हत्याकांड पर बुन रही हैं. इसी तरह अमिताभ बच्चन गरीब बच्चों को फुटबॉल सिखाने वाले विजय बरसे की जिंदगी पर झुंड, आंध्र प्रदेश के योद्धा की जिंदगी पर आधारित सई रा नरसिम्हा रेड्डी जैसी फिल्म में काम कर रहे हैं. प्रियंका चोपड़ा मोटिवेशनल स्पीकर और लाइलाज बीमारी से पीड़ित अदिति चौधरी की जिंदगी पर फिल्म स्काई इज पिंक में फरहान अख्तर के साथ दिखेंगी तो आमिर खान महाभारत पर अपनी सीरीज का ऐलान जल्द ही कर सकते हैं. सलमान खान भी अपनी फिल्म भारत को सच्ची घटनाओं से प्रेरित बता रहे हैं.

नीचे देखिए बॉलीवुड के किंग खान शाहरुख खान और हिन्दी रश डॉट कॉम के मुकेश के गजेंद्र की खास बातचीत…

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Story Author: मुकेश कुमार गजेंद्र

प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में कार्य करने का समान अनुभव। सियासत, सिनेमा और समाज के बीच कुछ नया गुनने, बुनने और गढ़ने की कोशिश जारी। फिलहाल हिन्दी रश डॉट कॉम में बतौर संपादक कार्यरत।

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