बॉलीवुड के खिलाड़ी अक्षय कुमार और परिणीति चोपड़ा की मोस्ट अवेटेड फिल्म ‘केसरी’ का दर्शकों को बेसब्री से इंतजार है। यह फिल्म 21 मार्च को रिलीज हो रही है। अक्षय और परिणीति फिल्म के प्रमोशन में बिजी हैं। हिंदी रश डॉट कॉम के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत में परिणीति चोपड़ा ने फिल्म और अपने बारे में कई अनकही बातें साझा कीं। उन्होंने बताया कि ‘बैटल ऑफ सारागढ़ी’ के बारे में वह बचपन से पढ़ते आई हैं। वह किसी भी सूरत में इस फिल्म का हिस्सा बनना चाहती थीं। जब फिल्म के प्रोड्यूसर करण जौहर ने उन्हें फिल्म को लेकर अप्रोच किया तो उन्होंने महज 3 मिनट में फिल्म के लिए हां बोल दिया था।
परिणीति चोपड़ा से जब सवाल किया गया कि ‘केसरी’ फिल्म की स्क्रिप्ट पढ़ने के बाद आपको फिल्म के लिए हां बोलने में कितना टाइम लगा था, तो उन्होंने कहा, ‘मुझे 3 मिनट लगे थे। मैं करण जौहर से मिलने उनके ऑफिस गई थी। करण ने मुझे दो लाइन में फिल्म की कहानी बताई, फिर उसने जो गाना है मेरा फिल्म में वो मुझे सुनाया तो मैंने बोला कि ठीक है करण बताओ शूटिंग पर कब पहुंचना है। मैं तो उनके साथ ये भी मजाक करती हूं कि मैंने उस गाने के लिए ये फिल्म की है। जल्द वो गाना रिलीज होने वाला है।’
‘देश के मूड से हमारी फिल्म को जोड़कर न देखें’
पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद से देश गुस्से में है और पिछले कुछ समय से बॉलीवुड में देशभक्ति से जुड़ी फिल्में बन रही हैं तो उनकी फिल्म को इससे जोड़कर देखना कितना ठीक होगा, इस सवाल के जवाब में परिणीति चोपड़ा ने कहा, ‘फिल्म को लेकर लोगों का रिएक्शन बहुत पॉजिटिव है, लेकिन यहां पर ये कहना ठीक नहीं होगा कि इस समय देश का मूड देशभक्ति से भरा है और हमारी भी फिल्म देशभक्ति पर आधारित है। इन दोनों बातों को जोड़ना बिल्कुल भी ठीक नहीं है। अगर आपने देखा होगा तो हम इतनी मार्केटिंग भी नहीं कर रहे हैं। हम बस इतना चाहते हैं कि लोग इसके (बैटल ऑफ सारागढ़ी) बारे में जानें।’
क्या थी ‘बैटल ऑफ सारागढ़ी’?
बताते चलें कि केसरी फिल्म ‘बैटल ऑफ सारागढ़ी’ पर आधारित है। सारागढ़ी में तैनात ब्रिटिश सेना के अधीन 21 सिख सैनिकों ने पराक्रम की उस गाथा को लिखा था, जो हमेशा-हमेशा के लिए इतिहास में अमर हो गई। 21 सिख सैनिकों ने 10 हजार अफगान लड़ाकों से डटकर लोहा लिया था। उन्होंने दो दिनों तक अफगानी लड़ाकों को वहीं पर रोके रखा था। 21 सिख सैनिकों ने करीब 600 अफगानियों को मौत के घाट उतार दिया था। ब्रिटिशर्स की ओर से मरणोपरांत सैनिकों को उस समय के बहादुरी के सर्वोच्च पुरस्कार ‘इंडियन ऑर्डर ऑफ मेरिट’ से नवाजा गया था। वर्तमान समय में इस सम्मान को ‘परमवीर चक्र’ के बराबर माना जाता है।
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