एक्सक्लूसिवः केसरी के सेट पर कैसा व्यवहार करते थे अक्षय कुमार? परिणीति चोपड़ा ने किया इन 3 बातों का खुलासा

'केसरी' फिल्म में अक्षय कुमार के अपोजिट परिणीति चोपड़ा हैं। हिंदीरश डॉट कॉम के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत में परिणीति ने अक्षय से जुड़ी तीन बातें बताईं, जिनके बारे में शायद ही उनके किसी फैन को पता होगा।

अक्षय कुमार और परिणीति चोपड़ा की फिल्म 'केसरी' 'बैटल ऑफ सारागढ़ी' पर आधारित है। (फोटो- इंस्टाग्राम)

21 मार्च को देश 21 सिख सैनिकों के शौर्य से जुड़े ऐतिहासिक युद्ध ‘बैटल ऑफ सारागढ़ी’ के बारे में जानेगा। अक्षय कुमार और परिणीति चोपड़ा की फिल्म ‘केसरी’ 21 मार्च को रिलीज हो रही है। यह फिल्म इसी युद्ध पर आधारित है। फिल्म में अक्षय हवलदार ईश्वर सिंह के किरदार में नजर आएंगे, जिनकी अगुवाई में 20 सिख सैनिकों ने 10 हजार अफगान लड़ाकों को नाकों तले चने चबवा दिए थे। फिल्म की स्टारकास्ट इस समय कई शहरों में प्रमोशन कर रही है। हिंदी रश डॉट कॉम के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत में परिणीति ने फिल्म से जुड़े कई किस्से सुनाए। उन्होंने अक्षय से जुड़ी खास तीन बातें भी बताईं।

अक्षय कुमार के साथ काम करके आपको कैसा लगा, इस सवाल के जवाब में परिणीति चोपड़ा ने कहा, ‘अक्षय सर सबसे बेस्ट हैं। उनकी टाइमिंग और मेरी टाइमिंग बहुत मैच करती है। वो भी सुबह जल्दी उठते हैं और मैं भी सुबह जल्दी उठ जाती हूं।’ जब उनसे पूछा गया कि अक्षय कुमार के बारे में कोई भी ऐसी 3 बातें बताइए जो कोई नहीं जानता हो, तो परिणीति ने जवाब दिया, ‘अक्षय सर जब गाने सुनते हैं तो वो बिल्कुल बच्चे बन जाते हैं। दूसरी बात कि वो इकलौते मेरे ऐसे को-एक्टर हैं जो मुझे अपने साथ ले जाए बिना सेट पर नहीं जाते। वो मेरे कमरे से आने का इंतजार करते हैं। मेरा शॉट नहीं भी है तो भी साथ में ले जाते हैं। तीसरी चीज है कि वो हर मील के साथ मीठा खाते हैं। उन्हें मीठा बहुत ज्यादा पसंद है।’

बताते चलें कि केसरी फिल्म का ट्रेलर और गाने दर्शकों को काफी पसंद आ रहे हैं। सारागढ़ी के युद्ध के बारे में बतलाती यह फिल्म आपको उसी दौर में ले जाती है। 1897 में यह युद्ध हुआ था। ब्रिटिश सेना के अधीन 36 सिख रेजिमेंट के 21 सिख सैनिकों को भारत-अफगान सीमा पर स्थित कोहट के सारागढ़ी पर बने ‘गुलिस्तान का किला’ पर तैनात किया गया था। 12 सितंबर, 1897 को 10 हजार अफगानी लड़ाकों ने किले पर हमला बोल दिया था। इतने कम समय में जब ब्रिटिश सेना के आने की कोई उम्मीद नहीं थी तो अपने कमांडर ईश्वर सिंह की अगुवाई में सिख जवानों ने अफगानियों को मुंह तोड़ जवाब दिया। 21 सिखों ने करीब 600 अफगान लड़ाकों को मौत के घाट उतारा था। इस लड़ाई में सिख सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए थे। मरणोपरांत उन 21 जांबाजों को उस समय के बहादुरी के सर्वोच्च पुरस्कार ‘इंडियन ऑर्डर ऑफ मेरिट’ से नवाजा गया था।

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राहुल सिंह :उत्तराखंड के छोटे से शहर हल्द्वानी से ताल्लुक रखता हूं। वैसे लिखने को बहुत कुछ है अपने बारे में, लेकिन यहां शब्दों की सीमा तय है। पत्रकारिता का छात्र रहा हूं। सीख रहा हूं और हमेशा सीखता रहूंगा।