राधेश्याम रसियाः भोजपुरी गानों को ‘गरम मसाला’ बनाने वाला गायक, 10 साल पहले जो गाया वैसा कोई गा ना सका

राधेश्याम रसिया (Radhe Shyam Rasiya) भोजपुरी के शुरुआती गायकों में से एक शुमार नाम। राधेश्याम दो दशक पहले भोजपुरी के लिए जो गाना गाया उसके कारण बाजार मिला। ऐसा कहा जाता है कि इनके गानों की गरमाहट के कारण बारात में गोलियां चल जाती थीं।

राधेश्याम रसिया भोजपुरी के शुरुआती गायकों में से एक शुमार नाम। राधेश्याम रसिया आज से दो दशक पहले या यूं कह लें कि 10-15 सालों में जो भोजपुरी के लिए गाना गाया उसके कारण बाजार मिला। ऐसा कहा जाता है कि इनके गानों की गरमाहट के कारण बारात में गोलियां चल जाती और अखाड़ा मेला में भी मारपीट हो जाते थे।

बिना सोशल मीडिया-इंटरनेट के राधेश्याम रसिया ने भोजपुरी गानों का जमकर मार्केटिंग किया। यही वजह है कि आज इनके गानें डिजिटल प्लेटफॉर्म पर धमाल मचा रहे हैं। राधेश्याम के गानें- का हो ना होई, चल चल तोरा माई से कहतानीं, सईंया मारे सटा-सट, सात आइटम, फुलावना फाट जाइ हो… ये गानें सुने होंगे लेकिन जान लिजिए ये सारे गाने इसी गायक के हैं।

डूबोने का भी काम…

राधेश्याम ने उस वक्त सारे गाने टी-सिरीज के बैनर तले गाए। भोजपुरी को एक चमकता सितारा मिल गया था लेकिन इनकी नशे की आदत और भोजपुरी की फूहड़ता ने इनको डूबोने का भी काम किया। इनके गानों को सुनने के बाद पता चलता है कि मनोज तिवारी, खेसारी लाल यादव, पवन सिंह, दिनेश लाल यादव निरहुआ, रितेश पांडेय, अरविंद अकेला कल्लू, चिंटू यानी कि आज के भोजपुरी सिंगर तो इनके आगे कुछ भी नहीं हैं।

लेकिन उसी वक्त एक और सिंगर गुड्डू रंगीला भी उभर कर सामने आए और कई बार तो रसिया और रंगीला के बीच झगड़े तक हो गए। ऐसा भी कहा जाता है कि ये दोनों एक-दूसरे के व्यक्तिगत जीवन को गानें के साथ जोड़कर उजागर करने लगे। इसके बाद धीरे-धीरे दोनों गायब भी हो गए।

चलाते थे नाई की दुकान…

राधेश्याम रसिया भोजपुरी के लोकगीत के लिए भी मशहूर हुए थे। इसके साथ ही इनके दर्दभरे गीत और भजन भी लोग खूब पसंद करते हैं। फिलहाल राधेश्याम की लोकप्रियता कम हो गई है। अब इनके गाने इक्का-दुक्का ही रिलीज हो रहे हैं। बताते चलें कि राधेश्याम रसिया बिहार के गोपालगंज जिला के कोन्हवां मोड़ के निवासी हैं। इनके पिताजी की नाई की दुकान भी है जिसको आज भी इनके भाई चला रहे हैं। वैसे राधेश्याम रसिया बहुत ही सरल और सहज व्यक्ति हैं।

यहां सुनिए रसिया के रसीले गाने…

रवि गुप्ता :पत्रकार, परिंदा ही तो है. जैसे मैं जन्मजात बिहारी, लेकिन घाट-घाट ठिकाने बनाते रहता हूं. साहित्य-मनोरंजन के सागर में गोते लगाना, खबर लिखना दिली तमन्ना है जो अब मेरी रोजी रोटी है. राजनीति तो रग-रग में है.