बॉलीवुड एक्टर मनोज बाजपेयी और साउथ की एक्ट्रेस प्रिया मणि ने अपना डिजिटल डेब्यू कर लिया है। 20 सितंबर को इनकी वेब सीरिज द फैमिली मैन की स्ट्रीमिंग हो रही है। सीरिज में मनोज बाजपेयी एक एनआईए के ऑफिसर का किरदार निभा रहे हैं, जबकि प्रियामणि उनकी पत्नी का किरदार निभाते हुए नजर आएंगी। ये वेब सीरिज अमेजन प्राइम वीडियो पर स्ट्रीम होगी। द फैमिली मैन में एनआईए अफसर का किरदार निभा रहे मनोज बाजपेयी ने हिंदीरश.कॉम के संपादक मुकेश कुमार गजेंद्र से एक्सक्लूसिव बातचीत में अपनी वेब सीरिज के बारे में बताया और कई अहम खुलासे किए। यहां पढ़िए उन्होंने क्या कहा…
सवाल: बहुत सारी फिल्मों में आपने काम किया और अचानक आप डिजिटल पर आ गए। इसके पीछे क्या कारण है?
मनोज बाजपेयीः डिजिटल एक ऐसा मीडियम है जो आज तो बढ़ ही रहा है। कल बहुत बढ़ा होगा। कल आपको कई सारे एक्टर कहीं और नहीं डिजिटल पर ही दिखाई देंगे। मुझे लगा कि डिजिटल का पार्ट हुआ जाए लेकिन एक सही समय पर और वो में ढूंढ रहा था, इंतजार कर रहा था कि कौन देगा। क्योंकि जो ऑफर आ रहे थे वो कमाल के नहीं थे और जम नहीं रहा था। जो कमाल के होते भी थे, तो उसमें कुछ नया नहीं लग रहा था। जब ये प्रोजेक्ट आया, तो मैंने तुरंत हां कर दिया था। उसके बाद से हम लोग काम पर लग गए।
सवाल: डिजिटल के आने से थियेटर के सिनेमा को खतरा है क्या?
मनोज बाजपेयीः नहीं। कोई खतरा नहीं है। यह एक मीडियम है। एक बार जो मीडियम बन गया है, तो उस पर काम होता रहेगा। अब अच्छी बात ये होगी कि एक्टर हर जगह दिखेंगे। वो ये भी करते दिखेंगे, थियेटर करते भी दिखेंगे, वो सिनेमा करते भी दिखेंगे। अब कोई ये नहीं कहेगा की ये टीवी का एक्टर है या सिनेमा। लोग कहेंगे कि ये एक्टर हर जगह दिखता है।
सवाल: द फैमिली मैन के ट्रेलर को लोग काफी पसंद कर रहे हैं। आपका इस सीरिज में आपका रोल कैसा है?
मनोज बाजपेयीः श्रीकांत तिवारी इसका नाम है। बनारस का रहने वाला है। श्रीकांत तिवारी बहुत ही शार्प आदमी है। इंटेलीजेंट आदमी है। पढ़ाई लिखाई में अच्छा रहा है। यह अपने दोस्तों का, प्रिंसिपल का सबका चहेता होता है। सारे लोगों के विचार के विपरीत जाकर काम चुनता है। एनआईए में जाने का। यहां पर टास्क उसका नाम है। इसकी शादी लव मैरेज है। बनारस का आदमी है, वह साउथ की रहने वाली लड़की है, जो मुंबई के माटुंगा में रहने रहती है। तो बहुत ही कल्चरल डिफ्रेंस है। ये बहुत ही परिवार वाला आदमी है। ईमानदारी से परिवार के साथ रहना चाहता है। लेकिन उसका जॉब इतना ज्यादा डिमांडिंग है कि परिवार उससे छूटता जाता है। परिवार को संभालने के चक्कर परिवार हाथ से चला जाता है। बहुत ही गालियां खाता है। अपने बच्चों के साथ उसका बहुत ही दोस्ताना व्यवहार है। बच्चे उसे कुछ भी कहकर निकल लेते हैं। बच्चें उसके करीब भी हैं और नहीं भी हैं। दोनों ही चीजें हैं। बच्चों को इस पर शक भी होता है और विश्वास भी होता है। पत्नी के साथ भी ऐसा संबंध है। बीबी को समझ नहीं आता है कि उस आदमी पर विश्वास करुं या नहीं। अपने काम लेकर ज्यादा बहुत प्रोफेशनल है। रेस्पक्टेड है। दो अलग-अलग पर्सेनेलिटी है।
सवाल: आप इस सीरिज में दो अलग-अलग किरदार निभा रहे हैं। एक अपने परिवार से जूझ रहा है और दूसरा अपनी नौकरी में 100 प्रर्सेंट देने की कोशिश कर रहा है। अपनी निजी जिंदगी में इन दोनों तरह के रोल कैसे करीब पाते हैं?
मनोज बाजपेयीः इसमें एक शादीशुदा आदमी जो ऐसे रोल करता है, तो जाहिर सी बात है कि परिवार उसके काम करने के डाइमेंशन को समझता है। इसके अलावा और कोई समानता नहीं है। श्रीकांत तिवारी किसी भी समय झूठ बोल सकता है और मनोज तिवारी जल्दी झूठ नहीं बोलता है। मुझे एक परेशानी हो जाती है। झूठ बोलने की एक खतरनाक बात यह है कि झूठ आपको अगले दिन याद नहीं रहता। इसलिए झूठ से आप जितना दूर रहिए उतना बेहतर है। मैं अपने काम में 100 प्रर्सेंट देने की कोशिश करता हूं, लेकिन श्रीकांत तिवारी जैसा काम करता है, वैसा हम लोगों में कोई नहीं करता। वो जान जोखिम में डालता है, जहां पर वह पूरे देश को बचाने में लगे हुआ है। हमारे देश में जो टेररिस्ट अटैक नहीं होते हैं, उसके पीछे जो इंटेलीजेंस एजेंसी है, उसका बहुत बड़ा हाथ होता है। लेकिन उसके बारे में बात नहीं होती है, जिससे कि किसी को पता ही चल पाता। बात उसी की होती है, जब कोई अटैक फेल हो जाता है।
सवाल: आप एक कलाकार हैं। फिल्मों को लेकर आप बिजी रहते हैं। क्या आपको लगता है कि आप परिवार को टाइम दे पाते हैं?
मनोज बाजपेयीः हां! मुझे पता है कि मेरी प्राथमिकता क्या है। प्राथमिकता एक ऐसी चीज है, जिस पर आप ध्यान देंगे तो कभी प्रोब्लम नहीं होगी, तो मैं प्राथमिकताएं बनाता हूं। अगर इस समय मेरी फैमिली प्राथमिकता है, तो मैं उसमें कोई काम नहीं करता और वो डेट्स ही नहीं देता हूं। तो ज्यादातार मैं बच जाता हूं गालियां खाने से (हंसते हुए)।
सवाल: स्पेशल 26 में सीबीआई अफसर, सत्यमेव जयते में डीएसपी, अय्यारी में आर्मी अफसर होते हैं और अब फैमिली मैन में आप एनआईए अफसर हैं। तो इस तरह के किरदार में आपको मजा आता है या फिर मिलते हैं?
मनोज बाजपेयीः गैंगस्टर के रोल भी किए हैं। मुझे लगता है कि मैं 25 साल के करियर में सभी तरह के प्रोफेशन निभा चुका हूं। लेकिन रोल निभाने के लिए प्रोफेशन मायने नहीं रखता है।
सवाल: 1994 में बैंडिट क्वीन से आपने शुरुआत की, इसके बादसत्या से आपको पहचान मिली और 2012 में गैंग ऑफ वासेपुर के बाद से आप ज्यादा पॉपुलर हुए और अब फैमिली मैन से डिजिटल डेब्यू करने जा रहे हैं। 1994 में से 2019 तक सफर को कैसे देखते हैं आप?
मनोज बाजपेयीः इस सफर में बहुत ही उतार-चढ़ाव रहा। गिरना चढ़ना रहा है। इस तरह बहुत ही रोमांचक रहा है। मेरी पर्सनैलिटी में एक बात रही है, जो मुझे हमेशा आगे धकेलती रहती है। मैं बहुत जिद्दी आदमी हूं। अगर मैं गिर भी जाऊंगा, तो मकड़ी तरह चढ़ता रहता हूं। केकड़े की तरह चढ़ने की कोशिश करता रहूंगा, गिरता है। गिरने का मतलब वहां पर रुकना नहीं है। मैं इस तरह का आदमी हूं।
सवाल: एक एक्टर को नेशनल अवार्ड मिलता है, तो बीच में मामला ठंडा रहता है। ये जो बीच में आपका डाउन टाइम होता है, तो आप इसे कैसे देखते हैं?
मनोज बाजपेयीः जब डाउन टाइम होता है ना तो मुझे लगता है कि भगवान एक अवसर दिया है, अपने ऊपर काम करने के लिए। डाउन टाइम में मेरे लिए वो होता है, जहां पर मैं परिवार के साथ ज्यादा वक्त बिताते हैं। डाउन टाइम वो होता है, जब आप बहुत बार गांव जाओ। डाउन टाइम वो होता है, जब आप दिल्ली में अपने दोस्तों के साथ बैठकर बहुत सारे गप्पे मार सकते हैं। डाउन टाइम में पढ़ता बहुत ज्यादा हूं। पढ़ने का बहुत शौक है। पढ़ता बहुत ज्यादा हूं। डाउन टाइम को आर्शिवाद की तरह लेता हूं, कर्ज की तरह नहीं लेता।
मनोज बाजपेयी की वेब सीरीज ‘द फैमिली मैन’ का ट्रेलर हुआ रिलीज