अक्षय कुमार नहीं मानते खुद को मार्डन भारत कुमार, कहा मैं हूँ ऐसा इंसान जो…

क्या अक्षय कुमार हैं मार्डन भारत कुमार? हैरान करेगा उनका जवाब

क्या अक्षय कुमार हैं मार्डन भारत कुमार? हैरान करेगा उनका जवाब

बॉलिवुड के खिलाड़ी यानी अक्षय कुमार एक के बाद एक कई ऐसी फिल्में करते हुए नज़र आ रहे जो या तो देशभक्ति से जुड़ी होती है या फिर हमारे देश के कई सामाजिक मुद्दों पर आधारित होती है| एक तरफ जहाँ उनकी फिल्म गोल्ड 15 अगस्त के मौके पर रिलीज़ हुई है वहीँ उनके करियर में ऐसी अब कई फिल्में शामिल हो गयी है| ऐसी ही फिल्मों में बेबी, एयरलिफ्ट, टॉयलेट एक प्रेम कथा जैसी फिल्में हैं|

ऐसी फिल्में करने की वजह से अक्षय कुमार को मनोज कुमार के बाद ‘भारत कुमार’ का तगमा दे दिया गया है| हालाँकि अक्षय कुमार खुद को मिले इस ख़िताब के बारे में कुछ और ही सोचते हैं| हाल में ही अक्षय कुमार से पूछा गया कि उन्हें लगातार देशभक्ति से जुडी फिल्में करने के लिए भारत कुमार का ख़िताब मिल गया है ऐसे में वो इसे कैसे देखते हैं? इसपर खिलाड़ी कुमार ने कहा, “भारत कुमार जैसा उपनाम देना मेरे लिए गलत है। मैं जो भी काम करता हूं इसलिए नहीं करता हूं कि मैं अपना खुद का ब्रैंड बनाऊं। मेरे लिए ब्रैंड इंडिया ज्यादा महत्वपूर्ण है। मेरा ब्रैंड तो राउड़ी राठौर और हॉउसफुल है। ”

वहीँ स्टारडम के बारे में अक्षय कुमार ने कहा, “मेरे लिए स्टारडम वह चीज है, जो आज है, लेकिन कल नहीं होगा। इसलिए इसे बहुत ज्यादा सीरियस नहीं लेना चाहिए, स्टारडम का गलत फायदा भी नहीं उठाना है, रिस्पेक्ट करना है और लगातार कड़ी मेहनत करते रहना है।”

तो अक्षय कुमार अपनी पॉप्युलैरिटी की वजह किस चीज को मानते हैं? इस सवाल पर उनका कहना था| “मुझे लगता है आज मैं सभी उम्र के लोगों और खास तौर पर यंग इंडिया से इसलिए कनेक्ट हूं क्योंकि जो दिल में आता है वही बोलता हूं। कई बार जब मैं किसी बड़े एडिटर के पास इंटरव्यू के लिए जा रहा होता हूं तो वह कहते हैं कि अगर आप चाहे तो हम सवाल भेज देते हैं आप तैयारी कर लें, लेकिन मैं इसके बेहद खिलाफ हूं, मैं उन्हें सवाल भेजने के लिए मना कर देता हूं। मेरा मानना है कि अगर सवाल पहले से मेरे पास होंगे तो जवाब बहुत रोबॉटिक, चालाकी वाला हो जाएगा। मैं ऐसा नहीं चाहता कि मेरा जवाब नैचुरल न हो।”

आप कभी भी किसी मुद्दे, व्यक्ति और विवाद से जुड़े मामले में बोलने से बचते हैं, ऐसा क्यों?

आप मुझे डिप्लोमैटिक व्यक्ति कह सकते हैं और खुद को डिप्लोमैटिक कहलाने पर मुझे कोई आपत्ति नहीं है। मैं हूं डिप्लोमैटिक क्योंकि मुझे ऐसा लगता है कि मेरे पास किसी को नुकसान पहुंचाने का कोई अधिकार नहीं है। मैं यह भी नहीं चाहता कि कोई मुझे पीड़ा पहुंचाए, न मुझे किसी को कोई दर्द देना है।

तो आपने कभी भी कोई ऐसा काम नहीं किया जिससे किसी को दुःख

श्रेया दुबे :खबरें तो सब देते हैं, लेकिन तीखे खबरों को मजेदार अंदाज़ में आपतक पहुंचाना मुझे बहुत अच्छा लगता है। पिछले चार साल से पत्रकारिता के क्षेत्र में हूं। कुछ नया सीखने की कोशिश कर रही हूं। फिलहाल इंटरनेट को और एंटरटेनिंग बना रही हूं।