“भारत को लेकर मेरी एक दृष्टि है- ऐसा भारत जो भूख, भय, निरक्षरता और अभाव से मुक्त हो।”
अटल बिहारी बाजपेयी अब नहीं रहे| 93 साल की उम्र में उनका निधन हो गया है| दिल्ली के एम्स हॉस्पिटल में उन्होंने अपनी आखिरी सांस 5 बजकर 5 मिनट पर ली| अटल बिहारी वाजपेयी का नाम आते ही हम उनके प्रधानमंत्री काल को याद करते है| वैसे तो उन्होंने अपनी राजनीती सुझबुझ से अपने राजनीती करियर में सभी का सम्मान हासिल किया बल्कि उन्ही की वजह से आज भारत पर राज कर रही पार्टी बीजेपी मजबूत स्थापित हो सकी| एक समय था बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद दक्षिणपंथी झुकाव के कारण उस जमाने में बीजेपी को राजनीतिक रूप से अछूत माना जाता था| हालाँकि वाजपेयी के कमाल व्यक्तित्व ही था कि उस समय भी बीजेपी के साथ नए सहयोगी दल जुड़ते गए| वे जीवन भर भारतीय राजनीति में सक्रिय रहे। हालाँकि अटल बिहारी बाजपेयी ने कभी शादी नहीं की| उन्होंने अपना जीवन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के रूप में बिताने का फैसला कियाऔर आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लिया| वाजपेयी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के पहले प्रधानमन्त्री थे जिसने गैर काँग्रेसी प्रधानमन्त्री पद के 5 साल बिना किसी समस्या के पूरे किए थे। उन्होंने अपने राजनीती करियर में 24 दलों के गठबंधन से सरकार बनाई थी जिसमें 81 मन्त्री थे। इतने बड़े दल को सँभालने का काम उन्होंने बखूबी किया इससे उनके महान नेतृत्व का पता चलता है|
ऐसा रहा बचपन
अटल बिहारी बाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में हुआ था| अटल के पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी और मां कृष्णा देवी थे| अटलजी के पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी ग्वालियर में अध्यापन का कार्य करते थे लेकिन इसके अलावा वो हिन्दी और ब्रज भाषा के जाने-माने कवि थे। शायद यही वजह थी कि अटल जी ने भी कई किताबें और पत्रिकाएँ लिखी| अटल जी हमेशा डिबेट में भाग लेते थे| उन्होंने रामचन्द्र वीर द्वारा अमर कृति “विजय पताका” पढ़ी और यही से उनके जीवन की दिशा ही बदल गयी।
अटल जी ने ग्वालियर के विक्टोरिया कालेज से अपना बी.ए पूरा किया| इसके बाद वो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक बने कई राष्ट्रीय स्तर की वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में भाग लेते रहे। बाद में उन्होंने अपनी पढ़ाई को ज़ारी रखते हुए कानपुर के डी०ए०वी० कालेज से राजनीति शास्त्र में एम०ए० की पढाई पूरी की| राजनीती शाष्त्र ही नहीं बल्कि उन्होंने अपने पिताजी के साथ-साथ कानपुर में ही एल०एल०बी० की पढ़ाई भी शुरू की थी लेकिन राजीनीति में अपना सहयोग पूरी तरह से देने के लिए उन्होंने ये पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी|
12 बार बने सांसद
अटल बिहारी वाजपेयी के राजनीती में आने का सफ़र 1951 में शुरू हुआ| उन्होंने 1955 में पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ा था लेकिन उस समय वो इस चुनाव को हार गए थे| हालाँकि 6 साल बाद 1957 में वह सांसद बने| अटल बिहारी वाजपेयी कुल 10 बार लोकसभा के सांसद रहे वहीं इसके अलावा वह दो बार 1962 और 1986 में राज्यसभा के सांसद भी रहे| इसके बाद अटल ने उत्तर प्रदेश, नई दिल्ली और मध्य प्रदेश से लोकसभा का चुनाव लड़ा और और सभी जगह उनकी जीत हुई| इसके बाद वो गुजरात से राज्यसभा पहुंचे थे|
BJP का उदारवादी चेहरा बने अटलजी
अटल बिहारी बाजपेयी के बाद अपनी अनोखी भाषणकला थी| उनकी मनमोहक मुस्कान व विचारधारा के साथ ठोस फैसले लेने की क्षमता ने भारत व पाकिस्तान के मतभेदों को दूर करने की दिशा में प्रभावी पहल की| उनके द्वारा लिए गए कुछ ऐसे ही फैसलों ने उन्हें बीजेपी के राष्ट्रवादी राजनीतिक एजेंडे से अलग, एक दमदार राजनेता बनाया|
कांग्रेस को मात देकर देश के सर्वाधिक लंबे समय तक प्रधानमंत्री पद पर आसीन रहने वाले वाजपेयी को बीजेपी का उदारवादी चेहरा कहा जाता है| उन्होंने भारत और पाकिस्तान के कई मुद्दों को सुलझाया था|
पाकिस्तान पहुंचे बस में
साल 1999 की वाजपेयी ने पाकिस्तान यात्रा की | हालाँकि उस दौरान उन्ही की पार्टी के कुछ नेताओं ने उनके इस कदम की आलोचना की थी| हालाँकि वो अपने वचन पर अडिग रहे और बस पर सवार होकर लाहौर पहुंचे| वाजपेयी की इस राजनयिक सफलता को भारत-पाक संबंधों में एक नए युग की शुरुआत करने की कोशिश को खूब सराहा गया| लेकिन इस दौरान पाकिस्तानी सेना ने पीठवार करते हुए गुपचुप अभियान के अंतर्गत अपने सैनिकों की कारगिल में घुसपैठ कराई …हालाँकि इस युद्ध में पाकिस्तान की हार हुई थी|
1996 में पहली बार बने प्रधानमंत्री लेकिन गिर गयी सरकार
वाजपेयी 1996 में पहली बार प्रधानमंत्री बने थे हालाँकि उनके पास संख्याबल नहीं होने की वजह से उनकी सरकार सिर्फ 13 दिन में ही गिर गई| इसके बाद दोबारा स्थिर बहुमत नहीं होने की वजह से 13 महीने बाद 1999 की शुरुआत में उनके नेतृत्व वाली दूसरी सरकार भी गिर गई| दरअसल उस दौरान अन्नाद्रमुक प्रमुख जे जयललिता ने केंद्र की बीजेपी की अगुवाई वाली गठबंधन सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया जिसके बाद वाजपेयी सरकार गिर गयी थी| हालाँकि बाजपेयी ने हार नहीं मानी और एक बार फिर 1999 के चुनाव में वाजपेयी ने एक अधिक स्थिर गठबंधन बनायी और उसके मुखिया बने| इसके बाद उन्होंने अपने प्रधानमंत्री के पांच साल का कार्यकाल पूरा किया| इस दौरान उन्हें कठोर फैसले लेने के लिए जाना गया|
परमाणु परीक्षण किया
उनके इन्ही फैसलों में से एक था 11 और 13 मई 1998 को पोखरण में पांच भूमिगत परमाणु परीक्षण विस्फोट! ये परिक्षण कर अटल बिहारी वाजपेयी ने सभी को चौंका दिया| यह भारत का दूसरा परमाणु परीक्षण था| इससे पहले 1974 में पोखरण 1 का परीक्षण किया गया था| दुनिया के कई संपन्न देश इस परिक्षण के विरुद्ध थे हालाँकि अटल सरकार ने इसके बावजूद इस परीक्षण को अंजाम दिया| उनके इस फैसले का परिणाम ये हुआ कि दुनियां के कई देश जैसे अमेरिका, कनाडा, जापान और यूरोपियन यूनियन ने भारत पर कई तरह की रोक लगा दी | इन सब के बावजूद अटल सरकार ने देश की जीडीपी में बढ़ोतरी की| पोखरण का परीक्षण अटल बिहारी वाजपेयी के सबसे बड़े फैसलों में से एक माना जाता है|
फिलहाल नाज़ुक हालत में है अटलजी
आज वाजपायी की हमारे बीच नहीं है| हालाँकि साल 2009 में भी वाजपेयी की तबीयत बहुत बिगड़ गई थी। उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही थी जिसके बाद कई दिन तक उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। हालांकि, थोड़े समय बाद वो ठीक हो गए| इसके बाद ऐसी रिपोर्ट्स आयी कि वाजपेयी लकवे के शिकार हैं। इस वजह से वे किसी से बोलते नहीं थे। बाद में उन्हें स्मृति लोप हो गया। उन्होंने लोगों को पहचानना भी बंद कर दिया।
अटल बिहारी वाजपायी जी के निधन से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गयी है|