गांधी जयंती: लगे रहो मुन्ना भाई से गांधी तक, इन 5 फिल्मों ने दिया बापू का संदेश

महात्मा गांधी वो इंसान थे जिन्होंने अहिंसक तरीकों से अग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़कर...

2 अक्टूबर सिर्फ एक तारीख या फिर राष्ट्रीय अवकाश नहीं है। बल्कि इस दिन राष्ट्र के हमारे प्यारे पिता महात्मा गांधी जी का जन्मदिन है। महात्मा गांधी वो इंसान थे जिन्होंने अहिंसक तरीकों से अग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़कर देश को आजादी दिलाने में मदद की थी। आज उनकी 150वीं जयंती हैं। इंडियन फिल्म इंडस्ट्री ने भी हमेशा महात्मा गांधी के संदेश को लोगों तक पहुंचने का काम अपनी फिल्मों के जरिए किया हैं।

अहिंसा और समानता सबसे ऊपर है इसी को दर्शाते हुए फिल्म इंडस्ट्री ने कई बार ऐसी फिल्में लोगों को सामने पेश की हैं। इसके साथ ही कुछ फिल्म बापू के जीवन से जुड़ी बातों और उन पर बनाई गई हैं। कि कैसे एक आदमी ने अपनी काम और इरादों की प्रतिभा से पूरे विश्व भर पर गहरा प्रभाव डाला है। ऐसे में हम आपको बताने जा रहे 5 कुछ ऐसी फिल्मों के बारे में जिन्होंने केवल लोगों का मनोरंजन ही नहीं किया बल्कि बापू के संदेश भी लोगों के दिल में पहुंचने का काम किया हैं।

लगे रहो मुन्ना भाई: राजकुमार हिरानी की ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘लगे रहो मुन्ना भाई’ उनकी पहली फिल्म का दूसरा पार्ट थी। इस फिल्म में संजय दत्त, अरशद वारसी, विद्या बालन, बोमन ईरानी ने एक्टिंग की थी।

वहीं, दिलीप प्रभावलकर ने इस फिल्म में महात्मा गांधी का रोल निभाया था। यह फिल्म बापू पर बनी सबसे मनोरंजक फिल्मों में से एक थी। फिल्म में दिखाया गया कि कैसे महात्मा गांधी की शिक्षाओं का पालन करने के बाद गैंगस्टर का जीवन बदल जाता है। यह फिल्म बॉलीवुड की सबसे सफल फिल्मों में से एक थी और अभी भी लोग इसे देखना पसंद करते हैं।

गांधी: फिल्म में गांधी की भूमिका निभाते हुए हॉलीवुड एक्टर बेन किंग्सले ने सभी को अपनी एक्टिंग से दिवाना बना दिया था। वह इस फिल्म में बिल्कुल असली महात्मा गांधी लग रहे थे और इसी चीज ने दर्शकों को पूरी तरह चौंका दिया था।

रिचर्ड एटनबरो की 1982 की फिल्म गांधी बापू के जीवन पर आधरित थीं। अमरीश पुरी, ओम पुरी और सईद जाफरी जैसे भारतीय अभिनेता भी फिल्म का हिस्सा थे। बेन किंग्सले स्क्रीन पर महात्मा गांधी की छवि को दर्शने में सक्षम रहें।यह फिल्म आज तक बॉलीवुड में कला का सबसे अच्छा काम मानी जाती है। इतना ही नहीं उन्होंने इस फिल्म के लिए ऑस्कर भी जीता।

मैंने गाँधी को नहीं मारा: मैंने गाँधी को नहीं मारा फिल्म डिमेंशिया से ग्रस्त हिंदी के रिटायर्ड प्रोफेसर की कहानी है। इसमें फिल्म में अनुपम खेर ने प्रोफेसर का रोल निभाया है। उसको ऐसा लगने लगता है कि गलती से उसके हाथों गांधी जी हत्या हो गई है।

 

बाद में प्रोफेसर के बच्चे डॉक्टर्स की मदद लेकर उनका इलाज करते है और इस बात का उन्हें विश्वास दिलाते है कि उनके हाथों गांधी की हत्या नहीं हुई है। इस अनुपम खेर ने इस फिल्म के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में एक विशेष जूरी पुरस्कार जीता।

 

हे राम: हे राम फिल्म एक बेहद ही शानदार फिल्म है जो की विभाजन की कहानी के आसपास ही घूमती हुई नजर आती है। इसमें फिल्म के निर्देशक कमल हसन थे जो की खुद इस फिल्म में साकेत राम नाम के एक कट्टर हिंदुवादी की भुमिका निभा रहे थे।

जो की गांधी जी से नफरत करता है और उन्हें मारना चाहता है। लेकिन बाद में उसकी सोच बदल जाती है और वह गांधी जी से अपनी भूल के लिए क्षमा मांगते है। बॉक्स ऑफिस पर भले ही यह फिल्म काफी अच्छी नहीं चली लेकिन आलोचकों का दिल जीतने में यह फिल्म सफल रही। इस फिल्म में एक्टर नसीरुद्दीन शाह ने महात्मा गांधी की भूमिका निभाई थी।

द मेकिंग ऑफ महात्मा गांधी: द मेकिंग ऑफ महात्मा गांधी फिल्म में दर्शाया गया है कि कैसे मोहनदास करमचंद गांधी महात्मा गांधी बने थे? यह फिल्म श्याम बेनेगल द्वारा निर्देशित की गई है।

इस फिल्म में एक्टर रजत कपीर ने गांधी के शुरुआती वकेत को बेहतरीन तरीके से निभाया था। इसके साथ ही कस्तूरबा गांधी का करिदार पल्लवी जोशी ने निभाया था। इस फिल्म को कई पुरस्कारों से नवाजा गया हैं।

दीपाक्षी शर्मा :सभी को देश और दुनिया की खबरों के साथ-साथ एंटरटेनमेंट जगत से रुबरु कराने का काम करती हूं। राजनीतिक विज्ञान का ज्ञान लेकर एमए पास किया है। मास कम्युनिकेशन में पीजी डिप्लोमा के बाद फिलहाल पत्रकारिता कर रही हूं।