दीपवीर वेडिंग: इटली के लेक कोमो में बना गुरुद्वारा, बारातियों इस तरह हुआ शानदार स्वागत

दीपिका पादुकोण और रणवीर सिंह की शादी दो दिन तक इटली में की गई। दीपिका और रणवीर की शादी सिंधी रस्म (आनंद करज) से हुई। इसके लिए गुरुद्वारा बनाया गया।

दीपिका पादुकोण और रणवीर सिंह की शादी दो दिन तक इटली में धूमधाम से मनाई गई। दीपिका पादुकोण और रणवीर सिंह की शादी दो दिन दो अलग-अलग रीति-रिवाज व परंपरा अनुसार की गई। इसमें सबसे ज्यादा चर्चा दूसरे दिन की शादी सिंधी रस्म (आनंद करज) की हो रही है। 15 नवंबर को सिंधी रस्म से शादी के लिए इटली के लेक कोमो के विला में ही अस्थायी गुरुद्वारा बनाया गया था। इस दिन विला अमृतसर की याद दिला रहा था। सिंधी रस्म से शादी के लिए गुरुद्वारा बहुत अहमियत रखता है इसलिए इसे खास तरीके बनाया गया था। इसके साथ ही बारातियों की स्वागत भी धूम-धड़ाके के साथ की गई।

रिपोर्ट्स की मानें तो सिंधी रस्म (आनंद करज) बिना गुरुद्वारा के नहीं किया जा सकता है। इसलिए विला में ही अस्थायी गुरुद्वारा बनाया गया था। इसको भी फूलों से सजाया गया था। 15 नवंबर की सुबह से ही रस्म शुरू हो गया था। जो कि दोपहर तक चला। इस दौरान कई घंटों तक रस्म चला। जिसके लिए दीपिका पादुकोण और रणवीर सिंह ने लाल रंग का शादी का जोड़ा पहना था। जो कि खास तरीके बनवाया गया था। इसके साथ ही दीपिका ने हाथ में हल्दी, चावल, मिठाई, चीनी, आदि रस्म के अनुसार रखी थी। इस दौरान जो चुनरी दीपिका ने ओढ़ी थी उस पर सदा सौभाग्यवती भव लिखा हुआ था।

दोनों रस्मों के लिए देखिए वीडियो

बारातियों का स्वागत
पहले दिन की शादी तो दुल्हन के रीति-रिवाज यानी कोंकणी रस्म से की गई। लेकिन असल में बारात मायने रखता है इसिलए जब रणवीर दूल्हे राजा बनकर निकले तो इनका स्वागत जोरदार तरीके से किया गया। पादुकोण फैमिली विला के गेट पर खड़ी इंतजार कर रही थी। जैसे ही बारात द्वार पर पहुंची तो प्रकाश पादुकोण ने अपने समधि-समधिन का स्वागत किया। इसके साथ बाकि मेहमानों का भी भारतीय परंपरा अनुसार स्वागत किया गया। दूल्हे राजा रणवीर को ससम्मान मंडप तर लेकर गए। इसके बाद शादी की रस्म शुरू हुई। बारात में अनिल कपूर और गोविंदा के फिल्म के गाने बजे। इतना ही नहीं रणवीर की फिल्म बैंड बाजा बारात का टाइटल सॉन्ग भी सुनाई पड़ा। इस दौरान विला को 10 हजार फूलों से सजाया गया था।

 

रवि गुप्ता :पत्रकार, परिंदा ही तो है. जैसे मैं जन्मजात बिहारी, लेकिन घाट-घाट ठिकाने बनाते रहता हूं. साहित्य-मनोरंजन के सागर में गोते लगाना, खबर लिखना दिली तमन्ना है जो अब मेरी रोजी रोटी है. राजनीति तो रग-रग में है.