कोंकणी रस्म निभाकर हमसफर बनें ‘दीपवीर’, जानिए साउथ की इस परंपरा की खास बातें

दीपिका पादुकोण और रणवीर सिंह की शादी 14 नवंबर को पूरी हुई। दक्षिण भारत के इस खास रस्म के अनुसार दीपिका पादुकोण और रणवीर सिंह ने साथ जीने-मरने की कसमें खाईं।

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कोंकणी रस्म निभाकर हमसफर बनें ‘दीपवीर’, जानिए साउथ की इस परंपरा की खास बातें

दीपिका पादुकोण और रणवीर सिंह की शादी (Deepika Padukone Ranveer Singh Wedding) 14 नवंबर को पूरी हुई। दक्षिण भारत के इस खास रस्म के अनुसार दीपिका पादुकोण और रणवीर सिंह ने साथ जीने-मरने की कसमें खाईं। छह साल से चोरी-छोपी मिलने वाली जोड़ी आखिरकार दुनिया के सामने एक-दूसरे को अपना ली।

इस खास रस्म के बाद 15 नवंबर को दीपिका पादुकोण और रणवीर सिंह सिंधी परंपरा के अनुसार शादी करेंगे। इससे पहले यह जान लें कि कोंकणी रस्म कैसे किया जाता है। इसकी आखिर क्या मान्यता है? इस रस्म में दीपिका पादुकोण और रणवीर सिंह का परिवार शामिल हुआ। इतना ही नहीं संजय लीला भंसाली और शाहरुख खान भी इसका हिस्सा बने।

कोंकणी रस्म की पहली विधि उडिडा मुहूर्त होती है। इसको सीधे भाषा में कहें तो इसका मतलब चना से है। इस रस्म के अनुसार लड़का-लड़की के घर वाले वर-वधु को चना पीसना सीखाते हैं। इसके बाद इस पीसे हुए चने के आटा यानी के बेसन से इडली बनाई जाती है। दरअसल, इस रस्म के अनुसार वर-वधु को गृहस्थ जीवन का पाठ पढाया जाता है। आखिर शादी का मतलब गृहस्थ जिंदगी ही तो होती है।

इस शुभ मौके पर चने का उपयोग किया जाता है। इसके बाद अगली रस्म के अनुसार लड़का काशी यात्रा पर निकलता है। इसी बीच लड़की के पिता लड़के को रोकते हैं और शादी के गिफ्ट्स आदि देते हैं। फिर आगे का काम मंत्रोच्चारण के साथ किया जाता है। फिर इसके बाद वरमाला, सिंदूरदान आदि की प्रक्रियाएं होती है। फिर वर-वधु एक-दूसरे के हो जाते हैं। इसे अपना कर दीपिका-रणवीर ने 14 नवंबर को शादी की।

 

सिंधी रस्म से शादी
वैसे शादी की सभी परंपरा का मकसद तो वैवाहिक जीवन में बांधना होता है। लेकिन हर रस्म के कुछ कायदे-कानून होते हैं जो कि उनके क्षेत्र परंपरा के अनुसार होते हैं। वैसे ही सिंधी परंपरा के अनुसार दुल्हन के घर वाले मिठाईयां, मिश्री, मसाले, चावल, नारियल, खजूर और हल्के हरे रंग का सिल्क धागा लेकर जाते हैं। जयमाला, पाल्ली-पालो, सप्तपादी आदि के साथ शादी की रस्म अदा की जाती है।

इसमें एक संगीत सेरेमनी होती है जिसे लाड़ा कहते हैं। इसका रंग भी 15 नवंबर को देखने को मिल सकता है। दीपिका-रणवीर की शादी इसी रस्म के साथ संपन्न होगी। चूंकि रणवीर सिंह पंजाबी-सिंधी परिवार से ताल्लुक रखते हैं, इसलिए दीपवीर की शादी के बाद आनंद करज सेरेमनी भी होगी। इसमें पंजाबी-सिंधी रीति-रिवाज से दोनों की दोबारा शादी होगी। बताते चलें कि ‘आनंद करज’ सिख विवाह समारोह का नाम है। इसका अर्थ है ‘आनंदमय संघ’ या ‘जॉयफुल यूनियन’।

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Story Author: रवि गुप्ता

पत्रकार, परिंदा ही तो है. जैसे मैं जन्मजात बिहारी, लेकिन घाट-घाट ठिकाने बनाते रहता हूं. साहित्य-मनोरंजन के सागर में गोते लगाना, खबर लिखना दिली तमन्ना है जो अब मेरी रोजी रोटी है. राजनीति तो रग-रग में है.

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