एक्सक्लूसिव इंटरव्यू: सोनिया स्वर्णकार जिंदगी को मात देकर बन गईं मॉडलिंग स्टार

छत्तीसगढ़ की डॉ. सोनिया स्वर्णकार मिसेज एशिया इंटरनेशनल वर्ल्ड पीस क्राउन से नवाजी गईं हैं। 35 देशों को हराकर सोनिया आज दुनिया में चर्चा का विषय बनीं हैं।

छत्तीसगढ़ की डॉ. सोनिया स्वर्णकार ने मिसेज एशिया इंटरनेशनल का खिताब- 2018 अपने नाम कर लिया। मिसेज एशिया इंटरनेशनल के वर्ल्ड पीस क्राउन से नवाजी गईं सोनिया आज दुनिया में चर्चा का विषय बनीं हैं। रायपुर शहर की डॉ. सोनिया स्वर्णकार ने विश्व स्तर पर छत्तीसगढ़ प्रदेश और रायपुर शहर ही नहीं भारत का नाम रौशन किया है। थाईलैंड में आयोजित मिसेज एशिया इंटरनेशनल में सोनिया ने अपनी जी तोड़ मेहनत के दम पर ये मुकाम हासिल किया है। थाईलैंड के रियान शहर में 8 से 14 नवंबर तक आयोजित हुई थी। 35 देशों ने यहां पर हिस्सा लिया था।

सोनिया ने हिंदी रश डॉट कॉम दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में बताया कि वे अपना आइडल शहीद भगत सिंह को मानतीं हैं। अनाज से बनें ड्रेस पहनकर अपनी माटी की छाप छोड़ने वाली सोनिया इसी कारण पहला इंटरनेशल अवार्ड जीत पाईं। सोनिया इससे एक साल पहले जिंदगी के विकट दौर से गुजरी थीं। एक पल के लिए लगा था कि वह अपना सफर अधूरा छोड़ जाएंगी। लेकिन देखिए कैसे सोनिया ने अपने पिता को खोने के बाद, दो परिवारों को संभाला और कभी भी मॉडलिंग की ट्रेनिंग नहीं ली। इसके बाद भी वह कैसे मॉडलिंग की दुनिया में ताज अपने नाम करती जा रही हैं। जबलपुर की बेटी और रायपुर की ‘ब्यूटी क्वीन’ की कहानी सुनकर आंखे नम हो जाएंगी। हिंदी रश डॉट कॉम की टीम की ओर से सलाम है ऐसी नारी को…

इंटरव्यू की खास बातें

सवाल- कैसा लग रहा है पहला इंटरनेशनल खिताब जीतकर?
सोनिया- बता नहीं सकती लेकिन इतना कहना चाहूंगी टूटते सपने को सच होते देखकर बहुत खुश हूं। क्योंकि इससे एक साल पहले मैंने कुछ कारणवश सबकुछ छोड़ दिया था। लेकिन ऐसे वापसी करूंगी सोची नहीं थी।

सवाल- भगत सिंह से इतना प्रभावित कैसे रहीं?
सोनिया- हमें हमेशा महात्मा गांधी, पंडित नेहरू आदि के नाम बताए जाते हैं लेकिन कभी भगत सिंह का व्यापक तौर पर जिक्र नहीं किया गया। जब मुझे मौका मिला तो मैंने इंटरनेशल लेवल अपने आइडल भगत सिंह का स्कैच बनाया। इसके बाद थाईलैंड के जज बहुत प्रभावित हुए। इसके साथ ही पांच राउंड क्लीयर करने के बाद मैंने खिताब अपने नाम कर लिया।

सवाल- इंटरनेशल अवार्ड जीतकर फिल्मी सफर शुरू करेंगी?
सोनिया- मुझे फिल्मी दुनिया से बहुत लगाव नहीं है। मैं अपनी माटी और गांव के लिए बहुत कुछ करना चाहती हूं। हां, यदि किसी ने आर्ट या गंभीर विषय पर फिल्म के लिए ऑफर दिया तो इस पर जरूर विचार करूंगी। वैसे भी मैं पहले ही बता चुकी हूं कि मुझे भगत सिंह से बहुत लगाव है। मुझे लाइम-लाइट से ज्यादा माटी से जुड़कर काम करना पसंद है।

सवाल- इंटरनेशल अवार्ड के लिए कैसे तैयारी की हैं?
सोनिया- सबसे पहली बात की मैंने कभी मॉडलिंग के लिए तैयारी नहीं की। इससे पहले मिस रायपुर, मिस छत्तीसगढ़ जीतने के बाद हौंसला मिला और सफर मिसेज इंडिया चार्मिंग फेस, सेंट्रल इंडिया में विनर, मिसेज इंडिया ग्लोबल अम्बेसडर की ओर बढ़ता चली गई। 10-12 साल पहले शादी हो गई थी। इसिलए घर संभालने के साथ-साथ आर्ट पर काम करती। आर्ट की देन है कि एक मॉडल के रूप में सामने आई हूं। मैंने टाइम मैनेजमेंट किया तब जाकर इस सपने को पूरा कर पाई। पिताजी के मृत्यु (2008) और शादी के बाद जिम्मेदारी बढ़ी लेकिन कभी घबराई नहीं। हां, इस अवार्ड से पहले 2017 में एक घटना ने मुझे तोड़ दिया। तब मुझे लगा था कि सपना पूरा नहीं कर पाऊंगी।

सवाल- 2017 में ऐसा क्या हुआ जो कि आपको तोड़ दिया?
सोनिया- मिसेज इंडिया चार्मिंग फेस जीतने के बाद मैं बहुत खुश हुई, मैं फिलीपींस जाने वाली थी। लेकिन उसके बाद पता चला कि मेरे छोटे भाई को कैंसर हो गया है। मैं भाई को लेकर अस्पताल में जिंदगी बिताने लगी। इसके बाद जिंदगी पटरी से उतर गई थी, परंतु कभी हिम्मत नहीं हारी। अस्पताल में भी आर्ट को लेकर कभी-कभार सोच लेती थी। लेकिन भाई की हालत सुधरी और फिर मैं थाईलैंड के लिए निकली।

सवाल- पति और परिवार का कितना सहयोग मिलता है?
सोनिया- शादी से पहले तो परिवार ने बहुत सपोर्ट किया लेकिन 2004 में शादी के बाद ससुराल वाले मुझे देर से समझ पाए। मुझे खुद पर भरोसा था इसलिए बस घर-परिवार के साथ-साथ तैयारी जारी रखी। आखिरकार पति को मुझ पर भरोसा हुआ और सपोर्ट करने लगे। अब तो एक बेटा भी है तो उसको भी मां का प्यार देती हूं और अपने काम को जारी रखी हूं।

सवाल- आर्ट के फिल्ड में आगे क्या करना है?
सोनिया- अभी मुझे ज्वेलरी विज्ञापन का पहला काम मिला है। इसके अलावा मैं फाइन आर्ट में पीएचडी कर चुकी हूं। इसके साथ-साथ मैं गांव और छोटे शहर की बच्चियों को आर्ट से जोड़ने का काम करूंगी। उनसे कहना चाहूंगी कि वे अपने सपने को पूरा करने के लिए समय का सदुपयोग करना सीखें।

यहां देखिए सोनिया के अवार्ड कार्यक्रम की खास तस्वीरें

 

 

रवि गुप्ता :पत्रकार, परिंदा ही तो है. जैसे मैं जन्मजात बिहारी, लेकिन घाट-घाट ठिकाने बनाते रहता हूं. साहित्य-मनोरंजन के सागर में गोते लगाना, खबर लिखना दिली तमन्ना है जो अब मेरी रोजी रोटी है. राजनीति तो रग-रग में है.