जब नवाज़ुद्दीन को गुस्से से घुर रहे थे अबराम खान, पापा शाहरुख़ ने बतायी थी ये बात

शाहरुख़ खान ने बताया था कि अबराम खान उन्हें लेकर ओवरप्रोटेक्टिव

शाहरुख़ खान ने बताया था कि अबराम खान उन्हें लेकर ओवरप्रोटेक्टिव

कई बार ऐसा होता है कि अबराम शाहरुख़ खान से उनकी स्टारडम थोड़ी देर के लिए चुरा लेते हैं और सबका ध्यान अपनी तरफ खींचने में कामयाब होते हैं| अबराम खान 5 साल के हो गए हैं| उनका जन्म सरोगेसी के जरिए 27 मई, 2013 को हुआ था| अबराम उन स्टार किड्स में से शामिल हैं जो सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा पॉपुलर है| अक्सर उन्हें अपने पापा शाहरुख खान के साथ देखा जाता है|

एक प्रमुख दैनिक के साथ एक साक्षात्कार में शाहरुख ने कहा था, “अबराम मेरा छोटा मोंस्टर है।”

क्या वह एक बहुत ही प्रोटेक्टिव पिता है या नहीं, इस सवाल पर शाहरुख ने कहा था नहीं, मैं बिल्कुल भी प्रोटेक्टिव नहीं हूं। मैं ऐसी बातें कर सकता हूँ या फिर शो कर सकता हूँ हालाँकि मैं ऐसा नहीं हूँ| आप चाहते हैं कि आप उनकी रक्षा करें लेकिन आप उन्हें ज़िन्दगी ज़ीने का तरीका नहीं बता सकते|

आर्यन खान और सुहाना खान की तुलना में, शाहरुख अपने सबसे छोटे बेटे अबराम के साथ ज्यादा बच्चों की तरह नज़र आते हैं?

इस पर, शाहरुख खान ने कहा, “अब आपने मुझसे पहले एक प्रोटेक्टिव पिता होने के बारे में पूछा था, मुझे कहना होगा कि अबराम मेरे प्रति बहुत ही प्रोटेक्टिव है। कई बार वह मुझे देखता है कि किसी ने मुझे स्क्रीन पर मारा और वह सोचता है कि यह असली है। जब वह उनसे मिलते हैं, तो वह उन्हें गुस्से की नज़र से देखता है। दिलवाले में इंटरवल के बाद वाले सीन की वजह से उसने काजोल के साथ कुछ ऐसा ही किया था| जब हम दुबई में रा वन के राइड के लिए गए तो उसे भी ले गए थे| रईस देखने के बाद वो नवाज भाई को देखकर वो उनसे बहुत नाराज हो रहा था| इसके अलावा वो कूल रहता है|

मुझे लगता है उसे मेरे आसपास रहना पसंद है| सुहाना और आर्यन के उलट , वह और ज्यादा लोगों से फ्रेंडली है|

उसे मेरे फैन्स को देखकर बहुत ख़ुशी होती है| मेरे जन्मदिन पर वो हर घंटे बालकनी से बाहर आता है| लोग मेरा नाम चिल्लाते रहते हैं| वो भाग के मेरे पास आयेगा और कहता है ‘पापा, लोग आ गए हैं। चलो उनसे मिलते हैं।’ वो उन्हें (फैन्स) को ‘लोग’ कहते हैं और फिर, वह मुझे बाहर निकालता है क्योंकि उन्हें उनसे प्यार करने में मज़ा आता है| अबराम एक स्मार्ट, बुद्धिमान बच्चा है और उसके साथ होना बहुत ही मज़ेदार है| उसके साथ मैं खुद भी बच्चा बन जाता हूँ| मैं उसे सारे खिलौनों को देने की
कोशिश करता हूं क्योंकि कहीं न कहीं, यह मेरे अपने सपने जीने का एक तरीका है। शायद, जब मैं बच्चा था तब भी मैं उन खिलौनों को चाहता था, लेकिन हम इसे अफ़ोर्ड नहीं कर सकते थे| अब, जब मैं अबराम के साथ खेलता हूं, तो मैं उन क्षणों को दोबारा जी लेता हूँ|”

 

श्रेया दुबे :खबरें तो सब देते हैं, लेकिन तीखे खबरों को मजेदार अंदाज़ में आपतक पहुंचाना मुझे बहुत अच्छा लगता है। पिछले चार साल से पत्रकारिता के क्षेत्र में हूं। कुछ नया सीखने की कोशिश कर रही हूं। फिलहाल इंटरनेट को और एंटरटेनिंग बना रही हूं।