तनुश्री दत्ता के साथ दस साल पहले घटी घटना ने कई राज से पर्दा उठा दिया है। 2008 में ‘हॉर्न ओके प्लीज’ (Horn ok Pleassss) के सेट से लौटने के दौरान उनकी कार पर हमला किया गया। वीडियो में साफ दिख रहा है कि किस तरह एक भीड़ तनुश्री की कार को घेरकर तोड़ने लगती है। गुंडे-बदमाश टाइप लोग भद्दी-भद्दी गालियां देने लगते हैं। भयानक माजरा को देखकर तनुश्री दत्ता डरी-सहमी कार में बैठी रहती हैं। जैसे ही आज इस घटना के बारे में जिक्र हुआ तो वीडियो सामने आया। एक्ट्रेस रवीना टंडन ने भी वीडियो देखकर अपना स्टैंड बदल दिया है।
जानकारी के अनुसार, 2008 में ‘हॉर्न ओके प्लीज’ (Horn ok Pleassss) के एक आइटम सांग पर तनुश्री ने कपड़े खोलकर नाचने से इनकार किया था। इसके बाद ही सारा मामला बिगड़ा। तनुश्री के मना करने के बाद नाना पाटेकर गुस्सा हो गए थे। तनुश्री का आरोप है कि इस बात को लेकर उनके कार पर हमला कराया गया। वीडियो में साफ दिख रहा है कि लोग उनकी कार को तोड़ रहे हैं और जबरन दरवाजा खोलने की कोशिश करते हैं। हालांकि बाद में पुलिस इस मामले को सुलझाती है और तनुश्री को वहां से लेकर जाती है।
तनुश्री का कहना
इस मामले को लेकर तनुश्री ने एक टीवी इंटरव्यू के दौरान बताया था कि उन पर हमला करने वाले मनसे कार्यकर्ता थे। इसके अलावा फिल्म निर्माता ने मीडिया को भी बुला लिया ताकि फिल्म की पब्लिसिटी हो जाए। इनका कहना है कि उनको डराया-धमकाया गया ताकि बाहर जाकर मुंह ना खोलूं। वाकई में वह डर गईं थीं जो कि वीडियो में साफ देखा जा सकता है। वीडियो के सामने आते ही लोग तनुश्री के साहस को सलाम करते दिख रहे हैं।
रवीना का ट्वीट
हालांकि इस मुद्दे पर पहले रवीना टंडन ने तनुश्री को सपोर्ट नहीं किया था। लेकिन जैसे ही वीडियो सामने आया तो रवीना टंडन ने ट्वीट किया, ‘इतने पुराने वीडियो को पहली बार देखी हूं। अब समझ में आ रहा है कि वह कैसे बुरे वक्त से गुजरी है। वाकई वह बहुत बहादुर है। लेकिन एक कैमरामैन जो कि गुंडे की तरह काम कर रहा है। क्या वह मीडिया का है? इसको लेकर जांच होनी चाहिए और केस दर्ज किया जाना चाहिए।’
रवीना ने पहले नाना को किया सपोर्ट
रवीना टंडन ने 28 सितंबर को सबसे पहला ट्वीट दोपहर 02 बजकर 36 मिनट पर किया और 02 बजकर 52 मिनट में लास्ट ट्वीट किया। पंद्रह मिनट तक वह लगातार लिखती रहीं। उन्होंने पहले लिखा कि जब फिल्म इंडस्ट्री ही खुद की रक्षा करने में असफल रहता है। महिला सशक्तिकरण पर खोखले फिल्में बनती हैं। तनुश्री दत्ता का मामला बीमारी की तरह है। विवाद टूटने तक याद रखें। साथ ही आगे पत्रकारिता पर हमला करते हुए लिखती हैं कि आज सोशल मीडिया है, 10 साल पहले ज्यादातर लोग गॉसीप मैगजीन पर भरोसा करते थे जो घृणित शीर्षकों को बेचते थे। किसी को वास्तविकता और येलो जर्नलिज्म के बीच का अंतर नहीं पता था। हमें मीडिया लिंच को समझने की जरूरत है।
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