एक्सक्लूसिव: माहामारी की तरह फैल रहा है कैंसर, इस वजह से सबसे ज्यादा यूपीवाले होते हैं शिकार

कैंसर से ग्रसित होने वाले मामले में उत्तर प्रदेश टॉप 10 में सबसे ऊपर है, यहां मरने वालों की संख्या भी कम नहीं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में संबोधन के दौरान काशी को मेडिकल सेंटर का हब बनाने का जिक्र किया तो वहीं वाराणसी को कैंसर इलाज के लिए विश्व लेवल पर ले जाने की बात कही। इस बात से कहीं ना कहीं कैंसर और बीमारी का कनेक्शन है। जो कि पीएम को उस क्षेत्र में काम करने के लिए प्रेरित कर रहा है।

नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम, भारत सरकार और अस्पतालों के आंकड़ों को देखने पर पता चलता है कि उत्तर प्रदेश कैंसर से ग्रसित राज्य है। कैंसर की चपेट से राज्य को मुक्त करना बहुत जरूरी है। यूपी के आंकड़े वाकई चिंताजनक होने के साथ-साथ डराने वाले हैं। अगर इस पर जल्द ही काम ना किया गया तो यूपी को कैंसर से बचा पाना मुश्किल हो जाएगा।

सबसे ज्यादा कैंसर मरीज
अब अगर हम तथ्यों की बात करें तो 2017 में करीब 15 लाख कैंसर मरीज, 2016 में 14 लाख मरीज पूरे भारत में थे। वहीं केवल उत्तर प्रदेश से 2.5 लाख कैंसर के मरीज थे। ये आंकड़े बढ़ते ही जा रहे हैं। वहीं लोकसभा में जारी आंकड़ों से पता चलता है कि वर्ष 2014 में 82,121 लोगों की कैंसर से मौत हुई थी जिसने कि देश को झकझोर कर रख दिया था। यूपी में सबसे ज्यादा कैंसर के मरीज हैं तो वहीं महाराष्ट्र दुसरे नंबर का राज्य है।

यूपी के कैंसर ग्रसित इलाके
उत्तर प्रदेश के कानपुर को कैंसर कैपिटल तक कहा जाता है क्योंकि यहां पिछले साल करीब 12हजार मरीज भर्ती हुए थे। साथ ही इलाहाबाद में भी तंबाकू से कैंसर पीड़ितों की संख्या बढ़ती जा रही है। पिछले साल यूपी के कमला नेहरू अस्पताल में 12हजार से अधिक मरीज आए थे। ये तो सिर्फ एक अस्पताल के आंकड़े हैं। कानपुर, इलाहाबाद, वाराणसी, लखनऊ से सटे इलाके कैंसर के गढ़ हैं।

यूपी में कैंसर का कारण
उत्तर प्रदेश में कैंसर का कारण मुख्य रूप से तंबाकू और गुटखा है। साथ ही खबरों की मानें तो उत्तर प्रदेश में गुटखा और तंबाकू उत्पादन का काम अधिक होता है। जिसमें कि कानपुर का इलाका प्रसिद्ध है। इसके बावजूद भी सरकार इन कारखानों को बंद करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा पा रही है।

यूपी में कैंसर अस्पताल
उत्तर प्रदेश में कैंसर मरीजों की संख्या इतनी ज्यादा होने के बावजूद भी अस्पतालों की संख्या काफी कम है। कुल मिलाकर 10 बड़े और अच्छे कैंसर अस्पताल हैं लेकिन कैंसर मरीजों की संख्या करीब 2.5 लाख है जो कि पर्याप्त नहीं लगती। इतना ही नहीं इन अस्पतालों में कैंसर इलाज को लेकर अभाव और लापरवाही की खबर भी हमेशा सामने आती रहती है।

PM मोदी का योगदान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने भारत को स्वस्थ बनाने के लिए जन आरोग्य योजना और आयुष्मान भारत शुरू किया है जिसके जरिए गरीबों को बेहतर इलाज मिलेगा। लेकिन इन्होंने कैंसर को देखते हुए काशी को 2014 में 385 करोड़ का
महामना मदन मोहन मालवीय कैंसर सेंटर का तोहफा दिया जो कि अब तक बन रहा है। इसके अलावा टाटा मेमोरियल ट्रस्ट की ओर से दो अस्पताल बनाए जा रहे हैं जिसमें कि एक का काम पूरा हो गया है।

महामना मदन मोहन मालवीय कैंसर सेंटर
यहां पर कैंसर के लिए स्पेशल इलाज की सुविधा मुहैया करानी है। इस कैंसर सेंटर में आठ विभागों का सहयोग होगा। इनमें रेडियो डायग्नोसिस, रेडियोथेरेपी, सर्जिकल ऑन्कोलाजी, न्यूक्लियर मेडिसीन, पैथोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी, कैंसर रजिस्ट्री, एनिस्थीसिया, फिजिकल मेडिसीन और रिहैब विभाग शामिल होंगे। महामना मदन मोहन मालवीय कैंसर सेंटर कुछ कारणों से 14 माह बाद शुरू हुआ और अभी तो काशी को कैंसर इलाज के लिए विश्व स्तर पर बनाया जाएगा।

टॉप 10 कैंसर पीड़ित राज्य

उत्‍तर प्रदेश-2,57,353
महाराष्ट्र- 1,38,271
बिहार- 1,37,656
पश्चिम बंगाल- 1,12,466
मध्य प्रदेश- 93,754
राजस्थान- 86,675
तमिलनाडु- 83,554
गुजरात- 77,097
कर्नाटक- 76,867
आंध्र प्रदेश- 60,475

रवि गुप्ता :पत्रकार, परिंदा ही तो है. जैसे मैं जन्मजात बिहारी, लेकिन घाट-घाट ठिकाने बनाते रहता हूं. साहित्य-मनोरंजन के सागर में गोते लगाना, खबर लिखना दिली तमन्ना है जो अब मेरी रोजी रोटी है. राजनीति तो रग-रग में है.