Chaitra Amavasya 2020 Date: इस तारीख को है चैत्र अमावस्या, जानिए पूजा करने का शुभ मुहूर्त

Chaitra Amavasya Kab Hai, Chaitra Amavasya 2020 Date: हिंदू ग्रंथों के अनुसार नववर्ष का शुभारंभ चैत्र मास में होता है। चैत्र माह के लगते अगले दिन यानी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से चैत्र नवरात्रि प्रारंभ होते हैं।

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Chaitra Amavasya 2020 Date: इस तारीख को है चैत्र अमावस्या, जानिए पूजा करने का शुभ मुहूर्त
Chaitra Amavasya 2020

Chaitra Amavasya 2020 Date: हिंदू ग्रंथों के अनुसार नववर्ष का शुभारंभ चैत्र मास में होता है। चैत्र माह के लगते अगले दिन यानी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से चैत्र नवरात्रि प्रारंभ होते हैं। हिंदू मान्यताओं के आधार पर चैत्र अमावस्या पर शुभ मुहूर्त के दौरान विधिवत पूजा करनी चाहिए। जिससे आपको जीवन में लाभ मिलेगा। इस वर्ष चैत्र अमावस्या 24 मार्च की पड़ रही है।

चैत्र अमावस्या का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि:

सवार्थ सिद्धी योगी- सुबह 6 बजकर 20 मिनट से अगले दिन 4 बजकर 19 मिनट तक।
अभिजित मुहूर्त- दोपहर 12 बजकर 3 मिनट से दोपहर 12 बजकर 52 मिनट तक।

चैत्र अमावस्या का महत्व:

हिंदू धर्म की मान्यतों के आधार पर कहा जाता है कि चैत्र मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली अमावस्या को चैत्र अमावस्या के नाम से जाना जाता है। वहीं चैत्र अमावस्या को विक्रमी संवत का अंतिम दिन भी कहा जाता है। इस तिथि के अगले ही दिन प्रतिप्रदा तिथि से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत होती है। अमावस्या तिथि के दिन सूरज और चंद्रमा एक साथ होते हैं। इसी वजह से यह दिन पितरों के मोक्ष के लिए काफी जरूरी माना जाता है। इस दिन पितरों का तर्पण करने से पितृ दोष से भी मुक्ति मिलती है।

Chaitra Amavasya 2020

चैत्र अमावस्या के दिन श्रद्धालु गंगा स्नान कर दान और अन्य धार्मिक कार्य करते हैं। इस दिन श्रद्धालु ब्राह्मणों को भोजन कराते हैं साथ ही उन्हें वस्त्र, दक्षिणा और जरुरी वस्तुएं दान करते हैं। चैत्र अमावस्या के दिन स्नान के बाद नदी में तिल प्रवाहित करें। इससे आपके दोष दूर होते हैं। वहीं इसके बाद सूर्य देव को अर्घ्य देकर पितरों का तर्पण करें।

चैत्र अमावस्या की पूजा विधि:

चैत्र अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण सबसे ज्यादा श्रेष्ठ माना गया है। ऐसा करने से पितरों को मुक्ति मिलती है। चैत्र अमावस्या के दिन किसी पवित्र नदी या सरोवर में स्नान करें और तिल को नदी में बहा दें। जिसके बाद सफेद रंग के वस्त्र धारण करें। इसके बाद अपने पितरों को याद करते हुए उनके नाम पर ब्राह्मणों को खाना खिलाएं। वहीं पितरों के स्थान पर देसी घी का दीप जलाए। इसके बाद ब्राह्मण भोजन कराने के बाद प्रसाद के रूप में परिवार के साथ ग्रहण करें।

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Story Author: lakhantiwari

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