Navratri Kalash Sthapana 2020: वासंतिक नवरात्रि या चैत्र नवरात्रि का प्रारंभ आज से यानी बुधवार से हो रहा है। नवरात्रि में नौ देवियों की आराधना से पूर्व घट स्थापना या कलश स्थापना किया जाता है और देवी माँ का पूजा किया जाता है। कलश स्थापना मुख्यत: नौ दिन तक व्रत रखने वाले लोग करते हैं, लेकिन कई जगहों पर जो लोग नवरात्रि में प्रतिपदा और अष्टमी के दिन व्रत रखते हैं, वे भी कलश स्थापना करते हैं। कलश स्थापना शुभ मुहूर्त में किया जाता है, ऐसा करना फलदायी और शुभ माना जाता है। यदि आप नवरात्रि का व्रत रखने वाले हैं तो आपको कलश स्थापना की तैयारी पहले से ही कर लेनी चाहिए। आप स्वयं घर पर कलश स्थापना करना चाहते हैं तो उसकी सामग्री, मुहूर्त, विधि आदि के बारे में जान लें और विधि अनुसार देवी माँ की पूजा आराधना करें।
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि का प्रारंभ 24 मार्च दिन मंगलवार को दोपहर 02 बजकर 57 मिनट पर हो रहा है, जो 25 मार्च दिन बुधवार को शाम 05 बजकर 26 मिनट तक रहेगी। बुधवार सुबह कलश स्थापना के लिए 58 मिनट का शुभ समय प्राप्त हो रहा है। आप सुबह 06 बजकर 19 मिनट से सुबह 07 बजकर 17 मिनट के मध्य कलश स्थापना कर सकते हैं।
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अभी तक आप कलश स्थापना नहीं कर पाए हैं तो परेशान न हों। आप अमृत मुहूर्त सुबह 07 बजकर 51 मिनट से 09 बजकर 23 मिनट तक है, इसमें भी कलश स्थापना कर सकते हैं। इसके अलावा चौघड़िया का शुभ मुहूर्त सुबह 10 बजकर 55 मिनट से दोपहर 12 बजकर 27 मिनट तक है। इस मुहूर्त में भी कलश स्थापना हो सकता है, लेकिन अमृत मुहूर्त कलश स्थापना के लिए श्रेष्ठ रहेगा।
कलश स्थापना या घट स्थापना विधि
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को प्रात:काल स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। फिर कलश स्थापना के लिए सामग्री पूजा स्थल पर एकत्र कर लें। अब एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं और मां दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर को स्थापित कर दें। इसके पश्चात मां दुर्गा के बाईं ओर सफेद वस्त्र पर 9 कोष्ठक नौ ग्रह के लिए बनाएं और लाल वस्त्र पर 16 कोष्ठक षौडशामृत के लिए बना लें। इतना करने के बाद कलश के गले में मौली या रक्षा सूत्र बांधें और उस पर रोली से स्वास्तिक बनाएं।
इसके पश्चात कलश स्थापना करें और पेंदी के पास गेहूं तथा चावल रख दें। फिर कलश में जल भरें तथा आम की पत्तियां डाल दें। इसके बाद एक मिट्टी के पात्र में चावल लें और उस पर नारियल के गोले में रक्षा सूत्र लपेट कर रखें। उस पात्र को कलश के मुख पर रख दें। अब एक अखंड दीपक जलाकर वहां रखें। इसके अलावा मिट्टी के पात्र में जौ को मिट्टी के साथ भर लें और उसे जल से सिंचित करें। अब उस पात्र को माता रानी की चौकी के बाईं ओर स्थापित करें।
कलश स्थापना की सामग्री
मां दुर्गा को लाल रंग खास पसंद है इसलिए लाल रंग का ही आसन खरीदें। इसके अलावा कलश स्थापना के लिए मिट्टी का पात्र, जौ, मिट्टी, जल से भरा हुआ कलश, मौली, इलायची, लौंग, कपूर, रोली, साबुत सुपारी, साबुत चावल, सिक्के, अशोक या आम के पांच पत्ते, नारियल, चुनरी, सिंदूर, फल-फूल, फूलों की माला और श्रृंगार पिटारी भी चाहिए।
कलश स्थापना कैसे करें?
– नवरात्रि के पहले दिन यानी कि प्रतिपदा को सुबह स्नान कर लें।
– मंदिर की साफ-सफाई करने के बाद सबसे पहले गणेश जी का नाम लें और फिर मां दुर्गा के नाम से अखंड ज्योत जलाएं।
– कलश स्थापना के लिए मिट्टी के पात्र में मिट्टी डालकर उसमें जौ के बीज बोएं।
– अब एक तांबे के लोटे पर रोली से स्वास्तिक बनाएं. लोटे के ऊपरी हिस्से में मौली बांधें।
– अब इस लोटे में पानी भरकर उसमें कुछ बूंदें गंगाजल की मिलाएं. फिर उसमें सवा रुपया, दूब, सुपारी, इत्र और अक्षत डालें।
– इसके बाद कलश में अशोक या आम के पांच पत्ते लगाएं।
– अब एक नारियल को लाल कपड़े से लपेटकर उसे मौली से बांध दें. फिर नारियल को कलश के ऊपर रख दें।
– अब इस कलश को मिट्टी के उस पात्र के ठीक बीचों बीच रख दें जिसमें आपने जौ बोएं हैं।
– कलश स्थापना के साथ ही नवरात्रि के नौ व्रतों को रखने का संकल्प लिया जाता है।
– आप चाहें तो कलश स्थापना के साथ ही माता के नाम की अखंड ज्योति भी जला सकते हैं।
यह कलश स्थापना की संपूर्ण विधि है। कलश स्थापना के बाद देवी माँ की विधिपूवर्क पूजा करें। पूजा के बाद पाठ पढ़कर माँ का वंदन करें।