EXCLUSIVE: ‘सोशल डिस्टन्सिंग’ के चलते देश के मर्द कर रहे हैं अपनी मां और पत्नी की इस तरह मदद, स्पेशल रिपोर्ट

दुनिया का दस्तूर हैं कि 'घर का काम सिर्फ औरतें ही करती है'। लेकिन बता दें आज के जमाने में शहरों में ऐसा नहीं होता। शहर में औरतें और पुरुष दोनों मिलकर घर और बाहर का काम संभालते है।

  |     |     |     |   Updated 
EXCLUSIVE: ‘सोशल डिस्टन्सिंग’ के चलते देश के मर्द कर रहे हैं अपनी मां और पत्नी की इस तरह मदद, स्पेशल रिपोर्ट

दुनिया का दस्तूर हैं कि ‘घर का काम सिर्फ औरतें ही करती है’। लेकिन बता दें आज के जमाने में शहरों में ऐसा नहीं होता। शहर में औरतें और पुरुष दोनों मिलकर घर और बाहर का काम संभालते है। शहर में औरतें भी 9 से 5 की ड्यूटी करती है और फिर अच्छे से अपना घर भी संभालती है। कोरोना के वजह से पूरी दूनिया थम गई है। इस भयंकर बीमारी के वजह से सभी अपने घर में कैद है। ऐसे में औरतों को बहुत ही बढ़िया मौका हैं की अपने पति के हाथ के बनाये खाना खाने का और सच बताये, कुछ महिलाये इस बात का फायदा भी उठा रही है। लेकिन बता दें पति भी ख़ुशी ख़ुशी अपने पत्नी के लिए स्वादिष्ठ भोजन बना रहे है। आज हमारे साथ कुछ ऐसे महा पुरुष जुड़े हैं जिन्होंने क्वारंटाइन के समय में, अपनी पत्नी किस तरह खुश किया जा सकता है और वह किस तरह घर के काम में मदद कर रहे है, यह साँझा किया है।

लगता है इस समय सभी पति, बेटा, भाई ने अपने घर की औरतों को मदद करने के ठान लिया है। सुप्रीम कोर्ट ऑफ़ इंडिया, के वकील वैभव चौधरी ने कहा हैं कि ‘अपने अर्धांगनी को खुश करने का सबसे अच्छा मौका है। वह कहते हैं, ‘मैं पिछले एक हफ्ते से घर पर हूँ, और घर से दफ्तर का काम नहीं कर रहा हूँ। इन दिनों मेरी पत्नी का मन खाना बनाने का बिलकुल भी नहीं हैं इसलिए मैं शेफ बना हूँ। सुबह के चाय से लेकर रात के डिनर तक सब मैं बना रहा हूँ। कभी कभी पत्नी का लाड करना अच्छा होता है।’

सभी के लिए घर से दफ्तर का काम करना जैसे ज़रूरी हो गया है लेकिन बैंगलोर से विभोर बंसल जो डिजिटल मार्केटर हैं, वह कहते हैं, ‘हफ्ते में 2 बार घर की सफाई करना मेरा काम था, लेकिन इन दिनों मेरा काम थोड़ा बढ़ गया है। लेकिन बता दूँ, जब मैं अपने हाथों से बनाया हुआ खाना खाने बैठता हूँ तो मुझे बहुत ख़ुशी होती है। दो हफ्ते पहले, मुझे पता नहीं था की मैं इतना अच्छा खाना बना लेता हूँ और वो भी इतनी सारी वैरायटी। अभी से मैं हमेशा खाना बनाता रहूंगा।

आर्टिस्ट प्रोग्रामर हरिहरन अय्यर ने कहा, ‘मैं पिछले एक हफ्ते से घरवालों के लिए खाना बना रहा हूँ और काफी अच्छा बनाना सिख गया हूँ। मुझे अभी समझ आया हैं की खाना बनाना इतना चिकित्सकीय क्यों है।

घर से काम करना में कम थकावट होती है, इस वजह से हम और दूसरे काम भी बड़े आराम से कर सकते है। अहमदाबाद के एक कंटेंट स्ट्रैटेजिस्ट अर्पित शर्मा कहते है, ‘इस समय मैं अपनी मां का काम में हाथ बटा रहा हूँ। मेरा काम है घर के बर्तन धोना और घर साफ़ करना। मेरे काम में से एक घंटा बचाता हूँ और मेरी मां को घर के काम में मदद करता हूँ।

घर के काम में (साफ सफाई करना, खाना बनाना) हाथ बटाना कुछ लोगों के लिए नया काम है। सितांशु देसाई कहते है, ‘यह सब मेरे लिए नया है। जब से मैं और मेरी पत्नी घर से ऑफिस का काम कर रहे हैं तो हमने घर का काम आपस में बांट लिया हैं, और यह सिर्फ 1 या 2 हफ़्तों के लिए नहीं है। बता दें, पूरी दुनिया में इस समय हर पुरुष अपनी पत्नी, मां या बहन को घर के काम में मदद कर रहा होगा, और करना भी चाहिए।

Exclusive News, TV News और Bhojpuri News in Hindi के लिए देखें HindiRush । देश और दुन‍िया की सभी खबरों की ताजा अपडेट के ल‍िए जुड़िए हमारे FACEBOOK पेज से ।

Story Author: Mamta Hatle



    +91 9004241611
601, ड्यूरोलाइट हाउस, न्यू लिंक रोड, अंधेरी वेस्ट,मुंबई, महाराष्ट्र, इंडिया- 400053
    Tags: , , ,

    Leave a Reply