Women Toe Rings: (बिछिया) भारत एक ऐसा देश है जहां पर अलग-अलग रीति-रिवाजों का पालन किया जाता है. हिंदू धर्म में आपने विवाहित महिलाओं को गले में मंगलसूत्र, मांग में सिंदूर, हाथों में चूड़ा पहने देखा होगा. एक सुहागन महिला कि निशानी होती हैं ये सब. लेकिन इसी के साथ आपने बहुत सी महिलाओं को अंगूठे में बिछिया पहने देखा होगा. बिछिया को अंगूठे की बगल वाली उंगली में पहना जाता है. लेकिन क्या आपने कभी ये सोचा है कि महिलाएं बिछिया क्यों पहनती हैं? आखिर इसका महत्व क्या है? आइए यहां जानें. यह भी पढ़े: Glowing Skin Packs: इन इंग्रेडिएंट के पैक बनाने से चमक उठेगा आपका चेहरा, मेकअप की नहीं पड़ेगी जरूरत
दरअसल हिंदू धर्म में बिछिया पहनना विवाहित होने का प्रतीक माना जाता है. इसे पहनने से न केवल आपके पैरों की खूबसूरती बढ़ती है बल्कि इसके पीछे कई धार्मिक और वैज्ञानिक कारण भी हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बिछिया दुल्हन के सोलह श्रंगार का हिस्सा होते हैं. ये सुहाग की निशानी होती है. इसे लक्ष्मी माता का वाहक माना जाता है. इसलिए अगर ये खो जाए तो बहुत अशुभ माना जाता है. यह भी पढ़े: Karwa Chauth 2022: इस साल करवा चौथ पर बन रहा है शुभ संयोग! जानें कब है करवा चौथ?
वैज्ञानिक महत्व की अगर बात की जाए तो ऐसा कहा जाता है कि बिछिया पहनने से स्वास्थय अच्छा रहता है. क्योंकि बिछिया को अंगूठे की बगल वाली उंगली में पहना जाता है. ये एक्यूप्रेशर का काम करती है. इस उंगली की नसें सीधे सीधे हृदय और महिलाओं के गर्भाशय से जुड़ी होती हैं. इससे उंगली की नसों पर दवाब पड़ता है जिससे नसों में खून का संचार सही तरीके से होता है. इससे ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहता है. महिलाओं को अनियमित पीरियड्स की समस्या सामना नहीं करना पड़ता है.
वहीं बिछिया को बहुत शुभ भी माना जाता है ऐसा कहा गया है कि रावण ने जब माता सीता का अपहरण किया था, तो उन्होंने अपनी पहचान के लिए ये बिछिया फेंक दिए थे. इसलिए महिलाओं के लिए इन्हें पहनना बहुत ही शुभ माना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि ये महिला को उसके पति से जोड़कर रखता है.
चांदी की बिछियां ही क्यों पहनती हैं औरतें?
आपने हमेशा देखा होगा कि बिछिया सिर्फ चांदी की ही पहनी जाती है. सोने की बिछिया औरतें नहीं पहनती हैं. इसके पीछे भी खास कारण है. सोने को देवी लक्षमी का रूप माना जाता है. ऐसे में औरतें कमर के नीचे सोने से बना कोई भी आभूषण नहीं पहनती हैं क्योंकि वो देवी का अपमान माना जाता है. दूसरा कारण ये भी है कि सिल्वर को विद्युत का चालक माना जाता है. चांदी, धरती की पोलर ऊर्जाओं को सोखकर हमारे शरीर में पहुंचाती है. इस तरह इस ऊर्जा का हमारे पूरे शरीर में संचार होता है. यह भी पढ़े: Hindi Diwas 2022: हिंदी दिवस पर जाने इससे जुड़ी कुछ दिलचस्प और गर्व महसूस करवा देने वाली बाते
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