Onam 2022: हमारे देश के हर कोने-कोने में त्योहारों का खास महत्त्व है. ऐसे में दक्षिण क्षेत्र में ओणम (Onam) का त्योहार बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. दस दिनों तक चलने वाले इस त्योहार को केरल में खास ढंग से लोग मानते हैं. ओणम (Onam) के त्योहार के मौके पर केरल राज्य में चार दिन की लोकल छुट्टी भी दी जाती है. गौरतलब है कि, साल 1961 में ओणम को केरल का नेशनल फेस्टिवल घोषित किया गया था.
जानें मुहूर्त :
केरल में ओणम (Onam) त्योहार की तारीखें मलयालम कैलेंडर और स्थानीय परंपराओं और रीति-रिवाजों के अनुसार तय की जाती हैं. ओणम का त्योहार दस दिनों तक चलता है. मलयालम कैलेंडर के अनुसार ओणम का त्योहार अक्सर अगस्त-सितंबर महीने में मनाया जाता है. इस साल 10 दस दिन तक चलने वाला ओणम (Onam) उत्सव 30 अगस्त से शुरू हुआ और 8 सितंबर को समाप्त होगा. यह भी पढ़ें: The Kapil Sharma: अब चंदन प्रभाकर भी नहीं होंगे ‘द कपिल शर्मा’ शो का हिस्सा, बताई ये वजह !
बता दें, ओणम (Onam) का त्योहार चिंगम के महीने में शिरुवोणम नक्षत्र में मनाया जाता है. हिंदी पंचांग में थिरुवोनम नक्षत्र को श्रावण नक्षत्र कहा जाता है. वहीं मलयालम पंचाग के अनुसार, इस साल थिरुवोणम नक्षत्र 07 सितंबर 2022 को शाम 04 बजे आरम्भ हुआ और 08 सितंबर को दोपहर 01 बजकर 46 मिनट तक रहेगा. केरल में इस नक्षत्र को थिरु ओणम (Onam) के नाम से भी जाना जाता है.
ये है पौराणिक कथा :
दक्षिण भारत में ओणम (Onam) का त्योहार बड़े धूम धाम से मनाया जाता है. इस त्योहार के पीछे एक पौराणिक कथा है. जिसके अनुसार, प्रहलाद के पुत्र राजा महाबली ने देवताओं पर विजय पाने के बाद तीनों लोकों पर शासन करना शुरू कर दिया. असुर होने के बाद भी राजा महाबली एक उदार शासक थे. उसके शासन काल में सभी लोग समान हुआ करते थे और छल-कपट और चोरी जैसे घटनाएं नहीं होती थी. जनता उन्हें भगवान का दर्जा देती थी. इतनी लोकप्रियता मिलने के बाद महाबली में घमंड आ गया. लोक में असुर शक्तियां भी बढ़ने लगी. इस बात से देवता खुद को असुरक्षित महसूस करने लगे.
सभी देवताओं ने भगवान विष्णु से उनकी मदद करने के लिए गुहार लगाई. भगवान विष्णु ने वामन के रूप में अवतार लिया. भगवान विष्णु ने वामन रूप का महाबली ने सम्मान किया और वर में कुछ मांगने की बात कही. तभी वामन रूप धारण किये भगवान विष्णु ने तीन डग जमीन वर में मांगा. महाबली इस बार से सहमत होते है. तभी भगवान विष्णु अपने रूप में आते है और तीन पग में पहले धरती, दूसरे में स्वर्गलोक लेते है. और तीसरे में कुछ नहीं बचता है तो महाबली वामन देव के पैर के नीचे अपना सिर रख देते है. ऐसा करने पर राजा महाबली पाताललोक में समां जाते हैं. उनकी अंतिम इच्छा थी कि उनकी याद में हर साल ओणम (Onam) त्योहार मनाया जाए.
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