पीसीओएस / पीसीओडी(PCOD/PCOS): भारत के साथ-साथ पूरे देश में पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम तेजी से बढ़ रहा है। बता दे पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम जिसे पीसीओएस और पॉलीसिस्टिक ओवरी डिजीज और पीसीओडी के नाम से इसको जानी जाती है। यह बहुत ही आम समस्या है जिससे आजकल बहुत सारी लड़कियां और महिलाएं परेशान रहती है। ऐसा उन महिलाओं में होता है जिनके हार्मोन बैलेंस से बिगड़ जाते है। जिसमें शरीर में ‘एस्ट्रोजेन’ (फीमेल हार्मोन) से ज्यादा ‘एंड्रोजन’ (मेल हार्मोन) बनने लगते हैं। इसके कारण लड़कियों को अनचाहे बाल, अनियमित पीरियड्स या ज्यादा ब्लीडिंग, पीरियड्स के दौरान दर्द, गालों या ठोड़ी के आस-पास पिंपल्स और लोअर बैली पर ज्यादा फैट जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वहीं इसके कारण महिलाओं को गर्भधारण करने में भी काफी मुश्किल आती है। लेकिन ऐसा नहीं है की आप माँ नहीं बन सकती है।
पीसीओएस / पीसीओडी होने पर भी आप बन सकती है माँ, फॉलो करें एक्सपर्ट का टिप्स:
यह तो आप भी जानते हैं कि पीसीओएस (PCOS-polycystic ovarian syndrome) की वजह से बांझपन या इनफर्टिलिटी और इससे सम्बद्ध समस्याएं तेज़ी से बढ़ रही हैं। विशेषकर कम उम्र के लोगों में यह समस्याएं अधिक देखी जाती है। यही नहीं, डॉक्टरों का भी यही कहना है कि उनके पास ओपीडी में आनेवाले किशोर लोगों में से लगभग 40% पीसीओएस से पीड़ित होते हैं।पॉलिसिस्टिक ऑवरी सिंड्रोम (PCOS-polycystic ovarian syndrome) के समय महिलाओं के शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलाव, गर्भ धारण करने की क्षमता को भी प्रभावित करते हैं। इसलिए अगर आप पीसीओएस से पीड़ित हैं और अपनी प्रेगनेंसी को लेकर परेशान हैं, तो जानिए क्या कहना है लोकमान्य तिलक मेडिकल कॉलेज और सायन हॉस्पिटल, मुंबई के गाइनकलॉजी डिपार्टमेंट के प्रमुख डॉ. वाय.एस. नंदनवार का इस बारे में।
अगर आप पीसीओएस से पीड़ित हैं तो गर्भधारण करना मुश्किल होगा। क्योंकि इस स्थिति में ओव्यलैशन कम, अनियमतित या बिल्कुल भी नहीं होता, जिसका सीधा अर्थ है कि कोई एग रिलीज़ नहीं होनेवाला। एग न होने की वजह से भ्रूण नहीं बनेगा और आपको गर्भधारण भी नहीं होता। लेकिन इसका यह मतलब बिल्कुल नहीं है कि पीसीओएस के कारण आप प्रेगनेंट नहीं हो सकती। जी हां, अब ऐसी विभिन्न प्रकार की तकनीकें उपलब्ध हैं, जो पीसीओएस में गर्भधारण करने में मददगार साबित होती हैं।
इसके लिए जो एक आम तरीका अपनाया जाता है वह है, ओव्यलैशन करानेवाली दवाइयां या इंजेक्शन्स का इस्तेमाल। सही डायट, एक्सरसाइज़ और वज़न नियंत्रित करने के साथ-साथ इन दवाइयों को लेने ले प्रेगनेंट होने में मदद हो सकती है। इन दवाइयों में ऐसे हार्मोन्स होते हैं जो अंडाशय या ओवरी को एक से अधिक अंड़े निकालने के लिए उत्तेजित करने का काम करते हैं। इसलिए अगर आप इन दवाइयों की मदद से नियमित रुप से आव्युलेट कर रही हैं या आपके अंडाशय से नियमित रुप से एग रिलीज़ हो रहे हैं। तो आप प्रेगनेंट हो सकती हैं। कुछ महिलाओं के लिए इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (invitro fertilisation) तकनीक भी मददगार साबित होती है। आईवीएफ विशेषकर उन मामलों में सहायता करता है जहां एक और स्पर्म को मिलने में परेशानी होती है।
इसी तरह, अगर आप थायराइड, डायबिटीज़ या मोटापे जैसी किसी समस्या से पीड़ित हैं, तो इन समस्याओं को नियंत्रित करना ही बेहतर होगा। ताकि आप गर्भधारण कर सकें और एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सकें। थायराइड में थायराइड हार्मोन्स के निर्माण को कंट्रोल करनेवाली दवाइयां दी जाती हैं। लेकिन अगर आपका वज़न अधिक है तो वेट लॉस के लिए डायट पर ध्यान देना और एक्सरसाइज़ बेहतरीन तरीके हो सकते हैं।
हालांकि, बेहतर यही होगा कि आप किसी अच्छे गाइनकलॉजिस्ट से अपनी स्थिति के बारे में बात करें। ताकि पता लगाया जा सके कि पीसीओएस के साथ आपके गर्भधारण की सम्भावना कितनी है। जैसा कि कुछ मामलों में, केवल वेट लॉस या वज़न कम करने से ही मदद हो जाती है, तो वहीं कुछ मरीज़ों को ओव्यलैशन करानेवाली दवाइयां या इंजेक्शन्स की भी सलाह दी जाती है। जो आपको अंडोत्सर्ग करने या आव्युलेट करने और गर्भधारण करने में मदद करती हैं।