Sita Jayanti 2020: सीता जयंती 16 फरवरी को मनाया जाएगा। इसे सीता जयंती और सीता अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, जानकी जंयती काे त्योहार फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन मनाया जाता है। इस दिन माता सीता की विशेष रूप से पूजा की जाती है। जानकी जंयती को सीता अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दू धार्मिक आस्था के लिए यह बेहद ही पावन दिन है।आज के दिन सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। आज के दिन मां सीता की पूजा अर्चना करने से वैवाहिक जीवन में आ रही परेशानियों का अंत होता है। इस दिन को माता सीता के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। माता सीता राजा जनक की पुत्री थी। इसलिए माता सीता को जानकी नाम से भी जाना जाता है।
सीता माता की जन्म की कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, मिथिला में एक बार भयानक अकाल पड़ा। इसे दूर करने के लिए एक यज्ञ का आयोजन किया जा रहा था। यज्ञ अनुष्ठान के लिए राजा जनक खेत में हल चला रहे थे। तभी एक कन्या उत्पन्न हुईं। राजा जनक ने उनको गोद में उठा लिया। मैथिली भाषा में हल को सीता कहते हैं, इसलिए जनक जी ने उनका नाम सीता रख दिया। जनक पुत्री होने के कारण सीता को जानकी, जनकात्मजा और जनकसुता कहा जाता है। मिथिला की राजकुमारी होने से उनको मैथिली भी कहा जाता है।
सीता माता की पूजा इस विधि के साथ करे
इस दिन सुबह उठते ही नहा धोकर तैयार हो जाए और सीता जयंती व्रत का संकल्प करें। और फिर पूजा स्थल पर माता सीता और श्री राम की प्रतिमा स्थापित करें। अब पूजा का प्रारंभ गणेश जी और अंबिका जी की आराधना से करें। इसके बाद सीता जी को पीले फूल, कपड़े और श्रृंगार का सामान अर्पित करें। अक्षत्, रोली, चंदन, धूप, गंध, मिठाई आदि अर्पित करें। इसके पश्चात श्रीसीता-रामाय नमः या श्री सीतायै नमः मंत्र का जाप करें। सीता माता को फल मेवा चढ़ाकर पूरी विधि के साथ आरती करले। बाद में सभी में प्रशाद बाट दे।
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