Surya Grahan 2020: सूर्य ग्रहण एक तरह का ग्रहण है जब चन्द्रमा, पृथ्वी और सूर्य के मध्य से होकर गुजरता है तथा पृथ्वी से देखने पर सूर्य पूर्ण अथवा आंशिक रूप से चन्द्रमा द्वारा आच्छादित होता है। भौतिक विज्ञान की दृष्टि से जब सूर्य व पृथ्वी के बीच में चन्द्रमा आ जाता है तो चन्द्रमा के पीछे सूर्य का बिम्ब कुछ समय के लिए ढक जाता है, उसी घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है। पृथ्वी सूरज की परिक्रमा करती है और चाँद पृथ्वी की। कभी-कभी चाँद, सूरज और धरती के बीच आ जाता है। फिर वह सूरज की कुछ या सारी रोशनी रोक लेता है जिससे धरती पर साया फैल जाता है। यह घटना सदा सर्वदा अमावस्या को ही होती है।
साल का पहला सूर्य ग्रहण 21 जून को लगने वाला है। जो सुबह 9 बजकर 15 मिनट से दोपहर 3 बजकर 4 मिनट तक रहेगा। यह ग्रहण मंगल के नक्षत्र में पड़ने वाला है। ये सूर्य ग्रहण बहुत खास है क्योंकि इस ग्रहण पर मिथुन राशि में सूर्य, बुध, राहु और चंद्रमा की युति बनी रहेगी। इसके अलावा इस समय राहु, केतु प्लूटो, शनि, बृहस्पति बुध, शुक्र वक्री रहेंगे और मंगल अपना राशि परिवर्तन कर चुका होगा।
ये वक्री ग्रह आपके जीवन में और देश-दुनिया में कई तरह के बदलाव लेकर आने वाले हैं। इस समय पूरी दुनिया में महामारी फैली हुई है। इसके अलावा इन ग्रहों की वजह से देश के कई हिस्सो में भूकंप आने की भी संभावना बनी रहेगी।
ग्रहण का सूतक काल
सूतक काल 20 जून शनिवार रात 9:15 बजे से शुरू हो जायेगा। इसी के साथ शहर के मठ-मंदिर के पट भी बंद हो जाएंगे। आपको बता दें कि ज्योतिषशास्त्री ग्रहण के ग्रहण के 12 घंटे पहले और 12 घंटे बाद तक के समय को सूतक काल मानते हैं।
वलयाकार होगा ग्रहण
बताया जा रहा है कि सूर्य ग्रहण की स्थिति वलयाकार रहेगी। यह न पूर्ण होता है न ही आंशिक। प्रयागराज में सूर्यग्रहण 78 प्रतिशत ही दिखाई देगा। हरियाणा के कुरुक्षेत्र, सिरसा, राजस्थान के सूरजगढ़, देहरादून और चमोली में पूरा सूर्यग्रहण दिखाई देगा। उन्होंने कहा कि चन्द्रमा अपने कक्ष में अंडाकार घूमता रहता है। चन्द्रमा से सूर्य की दूरी अधिक होने से दोनों का आकार बराबर दिखाई देता है। 21 जून को ही सूर्य कर्क रेखा के ठीक मध्य में होगा। यह साल का सबसे बड़ा दिन है।
यह ग्रहण 24 अक्टूबर 1995 के ग्रहण की याद दिलाएगा
21 जून को होने वाला सूर्यग्रहण 25 साल पहले घटित हुए 24 अक्टूबर 1995 के ग्रहण की याद दिलाएगा। उस दिन पूर्ण सूर्य ग्रहण के चलते दिन में ही अंधेरा छा गया था। पक्षी घोंसलों में लौट आए थे। हवा ठंडी हो गई थी। कंकणाकृति के ग्रहण के समय सूर्य किसी कंगन की भांति नजऱ आता है। इसलिए इसे कंकणाकृति ग्रहण कहा जाता है। पिछली बार वर्ष 1995 के पूर्ण ग्रहण के समय ऐसा हुआ था।
सूर्य के वलय पर दिखेगा चांद का पूरा आकार
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार 21 जून को सूर्य के वलय पर चंद्रमा का पूरा आकार नजर आएगा। सूर्य के केंद्र का भाग पूरा काला नजर आने वाला है, जबकि किनारों पर चमक रहेगी। इस तरह के सूर्य ग्रहण को पूरे विश्व में कहीं-कहीं ही देखा जा सकता है और अधिकतर जगह लोगों को आंशिक ग्रहण नजर आता है। जब भी सूर्य ग्रहण होता है, दो चंद्र ग्रहण के साथ होता है। इसमें या तो दोनों चंद्रग्रहण उससे पहले होते हैं अथवा एक चंद्रग्रहण सूर्य ग्रहण से पहले एवं दूसरा सूर्यग्रहण के बाद दिखाई देता है। इस बार भी ऐसा ही हो रहा है।
सूर्य ग्रहण के दौरान बरतें ये सावधानियां
आपको बता दें कि ज्योतिषशास्त्री ग्रहण के ग्रहण के 12 घंटे पहले और 12 घंटे बाद तक के समय को सूतक काल मानते हैं। ज्योतिषियों की मानें तो सूर्यग्रहण में ग्रहण लगने से 12 घंटे पहले ही भोजन कर लेना चाहिए। बूढ़े, बालक, रोगी और गर्भवती महिलाएं डेढ़ प्रहर चार घंटे पहले तक खा सकते हैं ।
ग्रहण के बाद नया भोजन बना लेना चाहिए। सम्भव हो तो ग्रहण के पश्चात् घर में रखा सारा पानी बदल दें। कहा जाता है ग्रहण के बाद पानी दूषित हो जाता है। ग्रहण के कुप्रभाव से खाने-पीने की वस्तुएँ दूषित न हों इसलिए सभी खाद्य पदार्थों एवं पीने के जल में तुलसी का पत्ता अथवा कुश डाल दें।
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