आजकल की भागदौड़ वाली जिंदगी में स्ट्रेस, तनाव-चिड़चिड़ापन जैसे लक्षण स्वभाविक हैं लेकिन जब ये लक्षण जरूरत से ज्यादा हो जाएं तो ये आपके लिए एक खतरा है। जी हां, तनाव और सिरदर्द जैसी समस्या आज के समय में आम है लेकिन ये समस्या एक दिन की नहीं बल्कि रोज की है तो ये आपके लिए थोड़ा चिंता का विषय है। कभी अपने इस बात पर गौर किया है कि आखिर क्यों सिर में दर्द बार-बार हो रहा है? अक्सर एक पेनकिलर लेने के बाद ये सर दर्द बंद हो जाता है वरना फिर चालू। अगर आपने अभी तक इन बातों पर अब तक ध्यान नहीं दिया तो आज से ही देना शुरू कर दीजिए। यदि आप इन छोटे-छोटे संकेतों को समझ गए तो आप खुद को एक जानलेवा बीमारी की चपेट में आने से बचा सकते हैं।
ब्रेन ट्यूरमर की शुरुआत होने पर पीड़ित व्यक्ति में कुछ ऐसे ही लक्षण नजर आते हैं। कई बार यह दिक्कत हो जाने के बाद रोगी में किस तरह के बदलाव आते हैं और इस बीमारी की पहचान कैसे की जा सकती है, इस जानकारी होना बेहद जरूरी है। कई मरीजों में ब्रेन ट्यूमर के लक्षण बहुत पहले से नजर आने लगते हैं जबकि कुछ केस में ऐसे लक्षण किसी दूसरी बीमारी के कारण भी हो सकते हैं।
क्या है ब्रेन ट्यूमर?
ब्रेन ट्यूमर को आमतौर भाषा में कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी से जोड़ कर देखा जाता है, हालांकि ट्यूमर कैंसर के लिए जिम्मेदार नहीं होता है। जब मस्तिष्क में कोशिकाओं के असामान्य रूप से बढ़ने वाली एक गांठ बन जाती है तो इसे ही ब्रेन ट्यूमर कहा जाता है। इस रोग में मस्तिष्क के खास हिस्से में कोशिकाओं का गुच्छा बन जाता है। ये किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है।
ब्रेन ट्यूमर कारण क्या हैं?
वैसे तो इस बीमारी के असली वजह का कुछ पता नहीं चला है लेकिन खराब लाइफस्टाइल, खान-पान और आस-पास का वातावरण रेडिएशन, आनुवांशिक कारण इसके जिम्मेदार माने गए हैं।
ब्रेन ट्यूमर के लक्षण
अक्सर किसी काम पर ध्यान केंद्रित करते समय या सुबह सोकर उठने के वक्त होता है।
कई लोगों का खुद पर नियंत्रण नहीं रहता है और उनकी नसों में तेज दर्द और ऐठन होती है।
बेहोश हो जाना या अपने शरीर के अंगों और दिमाग पर नियंत्रण खो देना।
कुछ सेकेंड्स के लिए लगभग 20 से 30 सेकेंड्स के लिए सांस ना आना और इस दौरान त्वचा का रंग ग्रे, ब्लू, पर्पल, वाइट और ग्रीन शेड्स में बदलना।
पीड़ित व्यक्ति की यादाश्त कुछ कमजोर हो सकती है। ब्रेन ट्यूमर के लक्षणों में हर समय थकान महसूस होना, वॉमिट जैसा फील होना, उबासी आते रहना, नींद से जुड़ी समस्याएं होना।
बोलने, सुनने और यादाश्त में दिक्कत होना।
ऊपर की तरफ देखने में परेशानी होना।
चेहरे पर सुन्नता का महसूस होना, शरीर के कुछ अंगों में बदलाव होना।
देखने की क्षमता प्रभावित होना, खाते समय कुछ निगलने में दिक्कत होना।
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