Women’s Equality Day: क्यों मनाया जाता है महिला समानता दिवस? जाने इसके पीछे की दिलचस्प कहानी

 महिलाएं ही पूरे मानव प्रजाति की धुरी हैं. जो न केवल बच्चे को जन्म देती हैं बल्कि उनका भरण-पोषण और उन्हें संस्कार भी देती हैं. महिलाएं अपने जीवन में एक साथ कई तरह की भूमिकाएं निभाती है जैसे- मां, पत्नी, बहन, शिक्षक, दोस्त और भी बहुत सारी. अपने बच्चों को मां जीवन के बारे में कई सीख देती है- जैसे कि विपरीत हालात में कैसे असफलताओं का मुकाबला किया जाए और किस तरफ सफलता की ओर एक-एक कदम बढ़ाया जाए.

Women’s Equality Day: आज यानी 26 अगस्त 2022 को महिला समानता दिवस मनाया जाता है (Women’s Equality Day) सन 1920 में इस दिन महिलाओं को पुरुषों के समान मानने की दिशा में एक कदम उठाया गाया था. इस दिन महिलाओं के अधिकारों की बात की जाती है. पूरे देश भर में ये महिलाए इस समानता दिवस को दिवस  (Women’s Equality Day) जोर शोर से मनाती हैंऔर रोजगार और शिक्षा के क्षेत्र में महिलाओं को समान अधिकार दिलाने की पुरजोर कोशिश करती है.

 महिलाओं की कई तरह की भूमिकाएं

महिलाएं ही पूरे मानव प्रजाति की धुरी हैं. जो न केवल बच्चे को जन्म देती हैं बल्कि उनका भरण-पोषण और उन्हें संस्कार भी देती हैं. महिलाएं अपने जीवन में एक साथ कई तरह की भूमिकाएं निभाती है जैसे- मां, पत्नी, बहन, शिक्षक, दोस्त और भी बहुत सारी. अपने बच्चों को मां जीवन के बारे में कई सीख देती है- जैसे कि विपरीत हालात में कैसे असफलताओं का मुकाबला किया जाए और किस तरफ सफलता की ओर एक-एक कदम बढ़ाया जाए.

 महिला समानता दिवस का इतिहास

1830 के दशक की बात की जाए तो अमेरिका के अधिकांश राज्यों ने मतदाता अधिकार केवल अमीर श्वेत पुरुषों के लिए ही था. उस दौरान महिलाओं को वोट देने का अधिकार नहीं था इसके बाद संयुक्त राज्य अमेरिका में गृह युद्ध से पहले, महिलाओं के मताधिकार  (Women’s Equality Day) के लिए आंदोलन शुरू किया गया था. इस समय के दौरान, कई नागरिक अधिकार आंदोलनों जैसे गुलामी, संयम आंदोलन, नैतिक आंदोलन, आदि देश भर में बड़ी तेजी से हो रहे थे. महिलाओं ने भी इन आंदोलनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. 1848 में सेनेका फॉल्स, न्यूयॉर्क में उन्मूलनवादियों (abolitionists) का एक समूह इकट्ठा हुआ था. यह समूह महिलाओं की समस्याओं और महिलाओं के अधिकारों के बारे में चर्चा कर रहा था. इस समूह में कुछ पुरुष भी शामिल थे. उन्होंने तय किया है कि अमेरिकी महिलाएं भी अपनी खुद की राजनीतिक पहचान की हकदार हैं

 1890 के दशक में फिर शुरूआत हुई

कुछ सालों बाद इस आन्दोलन ने तेजी पकड़ी लेकिन फिर समय के साथ-साथ, गुलामी-विरोधी आंदोलन के कारण, महिला अधिकारों के आंदोलन ने इस आन्दोलन की रफ़्तार को काफी कम कर दिया. इसके बाद 1890 के दशक के दौरान, नेशनल अमेरिकन वुमन सफ़रेज एसोसिएशन की शुरुआत हुई और इसकी अध्यक्षता एलिजाबेथ कैडी स्टैंटन ने की. दशक के समापन से पहले इडाहो और यूटा ने महिलाओं को वोट देना का अधिकार  (Women’s Equality Day)दिया

 50 वर्ष से अधिक समय लगा

50 वर्ष से अधिक समय लगा लेकिन जागरूक महिलाओं ने अपने देश की सरकारों से आंदोलन किया और आखिरकार 26 अगस्त 1920 को उन्हें पुरुषों की बराबरी का दर्जा प्राप्त हुआ. इस संघर्ष में शामिल वकील बेल्ला अब्जुग के सम्मान में 26 अगस्त 1972 को तत्कालीन राष्ट्रपति ने महिला समनता दिवस (Women’s Equality Day) का एलान कर दिया गया है.

 भारत एवं महिला सशक्तिकरण के नए आयाम

इंडिया हमेशा से ही महिलाओं यदि कुछ अपवादों को छोड़ दिया जाए तो उनकी सामाजिक सुरक्षा, स्वावलंबन, स्वायतता के साथ ही साथ उनके शैक्षिक, आर्थिक एवं राजनितिक सशक्तिकरण के लिए संवेदनशील रहा है. इंडिया में बने विभिन्न कानून इसी बात को प्रदर्शित भी करते हैं. स्त्री अधिकारों और सुरक्षा से जुड़े भारत के वो 5 प्रमुख कानून है, जिसके बारे में हर स्त्री को जानना जरुरी, ताकि वह अपने अधिकारों  (Women’s Equality Day) और सुरक्षा के प्रति सजग और जागरूक हो चुके है.

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chhayasharma :मेरा नाम छाया शर्मा है. मैं एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में एक जर्नलिस्ट के रूप में पिछले 6 साल से ज्यादा समय से काम कर रही हूं. मैं सेलिब्रिटी न्यूज, लाइफस्टाइल कंटेंट और फैशन ट्रेंड्स की विशेषज्ञ हूं. मुझे नई और अनोखी कहानियों की खोज करने का शौक है और मुझें अपने रीडर्स के लिए एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री की नई-नई खबरें और गॉसिप लिखना बेहद पसंद है. मैं एक उत्सुक पाठक, फिल्म शौकीन और संगीत प्रेमी हूं. और हमेशा अगली बेहतरीन कहानी की तलाश में रहती हूं