‘नारी अस्य समाजस्य कुशलवास्तुकारा अस्ति’ मतलब महिलाएं समाज की आदर्श शिल्पकार होती हैं. बात करें हमारे देश की तो यहां महिलाओं का दर्जा सर्वापरि है. एक महिला हर रूप में अपने घर वालों को सुरक्षित रखती है. आज के दौर में लगभग महिलाएं पुरुषों से कंधे से कन्धा मिला कर चल रही हैं. एक आदर्श समाज की स्थापना करने कोशिश कर रही हैं. घर- गृहस्ती से लेकर नौकरी तक का सफर महिलाएं बड़े बेहतर ढंग से तय करती हैं. और जब आगे बात राजनीति की हो तो वहां भी महिलाओं ने अपना झंडा फहराया है. आज की राजनीति की बात करें तो कई महिला नेत्री जैसे सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी, स्मृति ईरानी, निर्मला सीतारमण और हमारी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जैसी कई महिलाएं राजनीति में सक्रीय हैं.
वोटिंग का अधिकार :
लेकिन क्या आपको पता हैं कि एक समय ऐसा था जब महिलाओं को नेता बनना तो दूर वोट करने का अधिकार भी नहीं था. गौरतलब है कि, आज पूरा देश महिला समानता दिवस (Women’s Equality Day) मना रहा है. आज इस मौके पर आज हम आपको बताएंगे कि हमारे देश में महिलाओं को समान वोट डालने का अधिकार कब मिला? भारत में महिलाओं को वोट का अधिकार भारत में आजादी के साथ ही यानि साल 1947 से मिली. न्यूजीलैंड दुनिया का पहला देश है जिसने महिलाओं को वोट देने का अधिकार दिया है.
न्यूजीलैंड सरकार की एक आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, 28 नवंबर, 1893 को न्यूजीलैंड ने महिलाओं को पहली बार मतदान करने का अधिकार दिया था. जबकि अमेरिका में महिलाओं को वोटिंग (Women’s Equality Day) का अधिकार साल 1919 में मिला. कुछ और देशो की बात करें तो उनमें हाल ही के सालों में महिलाओं को वोट डालने का अधिकार दिया. जैसे अफ्रीका में साल 1994 में, कुवैत में 2005 में, सऊदी अरबिया 2015 में जा कर वोटिंग का अधिकार मिला. गौरतलब हैं कि महिलाओं के समानता के अधिकार के साथ-साथ वयस्क भारतीय नागरिकों को भी वोट देने का संवैधानिक अधिकार 26 जनवरी 1950 को मिला.
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