फिल्म एक्ट्रेस पूजा भट्ट ने कहा- मेरी फिल्म में महिलाएं बोल्ड होती हैं, लेकिन कभी वल्गर नहीं हो सकतीं

अपनी फिल्मों में महिला को कास्ट करने के सवाल पर 'दिल है कि मानता नहीं' की इस अभिनेत्री ने बताया कि उनका पैमाना एकता कपूर से बहुत अलग है, जिसे आप 'रागिनी एमएमएस 2' और 'जिस्म 2' में स्पष्ट रूप से देख सकते हैं।

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फिल्म एक्ट्रेस पूजा भट्ट ने कहा- मेरी फिल्म में महिलाएं बोल्ड होती हैं, लेकिन कभी वल्गर नहीं हो सकतीं
पूजा भट्ट का महिला कास्ट को लेकर एकता कपूर से अलग है पैमाना

फिल्म एक्ट्रेस पूजा भट्ट ने साल 1989 में दूरदर्शन के लिए बनी फिल्म ‘डैडी’ से 17 वर्ष की उम्र में बॉलीवुड में एंट्री की थी। उनके पिता महेश भट्ट इस फिल्म के निर्माता थे। इसमें मुख्य भूमिका में अनुपम खेर ने निभाई थी। पूजा बॉलीवुड में एक सफल निर्माता और निर्देशक के रूप में अपनी अलग पहचान बना चुकी है। वह ‘जिस्म’ जैसी फिल्म फ्रेंचाइजी के निर्माण से लेकर ‘कैबरेट’ जैसी फिल्म तक फिल्म निर्माता रह चुकी है। वो साल 1990 से भारतीय सिनेमा में महिला की छवि की नई परिभाषाएं गढ़ती आ रही हैं। उनका कहना है कि महिला की कामुकता और सुंदरता का इस्तेमाल वह कभी असभ्य तरीके से नहीं करती हैं।

पूजा भट्ट ने एक साक्षात्कार के दौरान कहा…

फिल्म उद्योग में अभिनेत्री के तौर पर करियर शुरू करने के बाद से मैंने विजुअल्स की ताकत को महसूस किया, और यह भी कैसे वे हमारी सोच को नई उड़ान दे सकते हैं। यह बहुत शक्तिशाली है। इसलिए मैं हमेशा सबसे पहले अपनी खुद की संवेदनशीलता और फिर दुनिया की संवेदनशीलता का उपयोग करती हूं।

उन्होंने आगे बताया, ‘मेरा सेंसर बोर्ड मेरा अपना दिल और दिमाग है। हमारे दर्शक कह सकते हैं कि मेरी फिल्म में महिलाएं बोल्ड और कामुक होती हैं, लेकिन वे कभी असभ्य नहीं होतीं। मैं कभी किसी महिला के शरीर को बुरी नजर से नहीं देखती, चाहे वह निर्वस्त्र ही क्यों न हो।’अपनी फिल्मों में महिला को कास्ट करने के सवाल पर ‘दिल है कि मानता नहीं’ की इस अभिनेत्री ने बताया कि उनका पैमाना एकता कपूर से बहुत अलग है, जिसे आप ‘रागिनी एमएमएस 2’ और ‘जिस्म 2’ में स्पष्ट रूप से देख सकते हैं।

पूजा भट्ट, एकता कपूर के बारे में आगे कहती हैं…

मैं उनका उदाहरण इसलिए ले रही हूं, क्योंकि वे सफल हैं। मेरे मन में उनके लिए सम्मान है। दोनों फिल्मों का निर्माण महिलाओं ने किया। दोनों फिल्मों की अभिनेत्री सन्नी लियोन ही हैं। लेकिन उनका प्रस्तुतिकरण बहुत अलग है। ऐसा शायद इसलिए है, क्योंकि हम दोनों एक ही खिड़की से बाहर देख सकते हैं, लेकिन चीजों को अलग तरीके से देखते हैं। मैं सिर्फ पुरुष दर्शकों के लिए ही नहीं, बल्कि महिलाओं के लिए भी फिल्म बनाती हूं। इसीलिए मैंने रणदीप हुड्डा को भी इसी तरह पेश किया जैसा कि मैंने ‘जिस्म 2’ में किया।

पूजा भट्ट मानती हैं कि पर्दे पर बदन दिखाने से ज्यादा किरदार की प्रस्तुति एक महिला को ज्यादा कामुक बनाती है। उन्होंने कहा कि पहले की फिल्मों में कोई नग्नता नहीं होती थी, तो लोगों को ‘फिर तेरी कहानी याद आई’ बहुत कामुक क्यों लगी? क्योंकि वह ऐसा किरदार था, जिसे मैंने निभाया था और फिल्म निर्माता द्वारा मुझे उस तरीके से प्रस्तुत किया गया था। एक निर्माता के तौर पर पूजा ‘सुर: द मेलोडी ऑफ लाइफ’, ‘जिस्म’, ‘पाप’ और ‘रोग’ जैसी फिल्में बना चुकी हैं।

यहां देखिए तस्वीर…

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वीडियो में देखिए अलिअ भट्ट का िइंटरव्यू …

 

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Story Author: रत्नेश मिश्रा

बचपन से ही इंजीनियर बनने का सपना था. इसे पूरा करने के लिए इंजीनियरिंग की पढ़ाई की, लेकिन खबरों के प्रति ललक ने जर्नलिस्ट बना दिया. बीटेक के बाद जर्नलिज्म किया. उसके बाद अब पत्रकारिता में ही मन रम गया है.

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