2 जून की रोटी यह कहावत तो हम सभी ने अपने बचपन में अपने मां-बाप या बडें बुजुर्गों से सुनी ही होगी। इस कहावत के बारें में किताबों में भी लिखा गया है की 2 जून की रोटी बड़े नसीब वालों को मिलती है। इसके लिए लोगों को किस-किस तरह के जुगाड़ करने पड़ते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, यह कहावत कोई साल दो साल या फिर दस-बीस साल से नहीं कही जा रही। यह बात हमारे पूर्वज बीते करीब छह सौ साल से प्रयोग कर रहे हैं।
लेकिन हमारे बड़े-बुजुर्गों की कहावत को लोगो ने 2 जून तारीख से भी जोड़ दिया है और आज के दिन को इसके लिए खास बना दिया है। तो सबसे पहले आज रोटी खाइए, क्योंकि आज 2 जून हैं।
आपको बता दें की हर साल 2 जून को यह कहावत सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगती है। इसकी बड़ी वजह है कि युवा पीढ़ी इस कहावत को आज की तारीख यानी 2 जून की रोटी से जोड़ती है।लेकिन आज हम आपको बतायेंगे की इस कहावत यानी 2जून का क्या अर्थ है
इस कहावत का मतलब सिर्फ आज यानी 2 जून तारीख को खाई गई रोटी से नहीं था। उनका मतलब था कि रोज दोनों समय यानी दिन और रात के लिए रोटी का जुगाड़ करने के लिए इंसान कितनी महनत करता है। तरह तरह के पापड़े बेलता है और किन-किन दुश्वारियों से उसे गुजरता है। 2जून एक अवध भाषा का शब्द है, 2 जून की रोटी का महत्व वही समझ रहा, जो मेहनत से कमाकर खा रहा। आज भी बहुत से लोगों से पूछा जाए तो वे इसे नहीं समझते होंगे। उनके लिए यह बात सिर्फ आज की तारीख से जोड़ी है। मगर देखा जाए तो जिस तरह महंगाई बढ़ गई है और लोगों के लिए घर का खर्च चलाना किसी चुनौती से कम नहीं है, उसमें बुजुर्गो की यह कहावत 2 जून सच साबित होती है। आज घर का खर्च चलाने के लिए लोगों को लोगों को किस-किस तरह के जुगाड़ करने पड़ते हैं, यह बताने की जरूरत नहीं। तो शायद अब आप इस कहावत का मतलब समझ गाए होंगे कि असल में 2 जून की रोटी का क्या अर्थ है।
बॉलीवुड और टीवी की अन्य ख़बरों के लिए यहाँ क्लिक करें: