अमरीश पुरी का फिल्मी सफर नहीं था आसान, रिजेक्शन झेलने के बाद ऐसे बनाई बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड में अपनी पहचान

आज बॉलीवुड के सबसे बड़ खलनायक अमरीश पुरी का 87वां जन्मदिन है। उनका जन्म 22 जून 1932 को हुआ था। अमरीश पुरी को हर कोई पसंद करता रहा है। आज भी उनकी फिल्में और डायलॉग को काफी पसंद किया जाता है।

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अमरीश पुरी का फिल्मी सफर नहीं था आसान, रिजेक्शन झेलने के बाद ऐसे बनाई बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड में अपनी पहचान
बॉलीवुड के खलनायक अमरीश पुरी। (फोटोः ट्विटर)

आज बॉलीवुड के सबसे बड़ खलनायक अमरीश पुरी (Amrish Puri Birthday)  का 87वां जन्मदिन है। उनका जन्म 22 जून 1932 को हुआ था। अमरीश पुरी को हर कोई पसंद करता रहा है। आज भी उनकी फिल्में और डायलॉग को काफी पसंद किया जाता है। उन्होंने अपने केरेक्टर और दमदार परफॉर्मेंस से उन्हें साबित किया कि वह अच्छे विलेन हैं। अमरीश पुरी ने डायरेक्टर श्याम बेनेगल की फिल्म निशांत, भूमिका, जुबेदा, सुभाष घई के फिल्म परदेलस, मेरी जंग, ताल, यश चोपड़ा की फिल्म दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे, मशाल और हॉलीवुड डायरेक्टर स्टीवन स्पेलबर्ग इंडियाना जोन्स एंड द टेंपल ऑफ डूम में यादगार किरदार निभाया है।

अमरीश पुरी (Amrish Puri) ऐसे अभिनेता रहे हैं जिन्होंने अपने केरेक्टर में नफरत, डर और प्यार को एक ही वक्त में दिखाया। उन्होंने अपने ऑडियंस को हमेशा परफेक्ट बैलेंस दिया। बॉलीवुड के मोगेंबो से लेकर हॉलीवुड के मोला राम तक उन्होंने खलनायक का किरदार निभाया, जबकि दूसरी ओर,उन्होंने दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे के चौधरी बलदेव सिंह और दिल परदेसी हो गया में ब्रिगेडियर सरफराज खान के रूप में सादगी और प्यार का किरदार निभाया।

कई बार हुआ रिजेक्शन

अमरीश पुरी ने दोहरी जिंदगी जी। फिल्मों में आने से पहले वह लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी बेचा करते थे। उनके दो भाई थे, जो फिल्मों में एक्टिंग करते थे। उनके बड़े भाई मदन पुरी एक सफल एक्टर थे और उन्होंने 1940 से 1970 के दशक कई फिल्मों में काम किया। 1950 के दशक में अमरीश पुरी ने फिल्मों के लिए ट्राई किया, लेकिन उन्हें रिजेक्ट कर दिया गया।

पृथ्वी थियेटर से मिली पहचान

कई बार रिजेक्शन झेलने के बाद अमरीश पुरी ने अपने लाइफ कंप्रोमाइज नहीं किया, वह कोई छोटा रोल नहीं करना चाहते थे। पृथ्वी थियेटर में उनके काम से उन्हें काफी लाभ मिला और इसी लाभ के चलते वह स्टेज एक्टर बने और उन्होंने 1979 में संगीत नाटक अकादमी अवार्ड से नवाजा गया। थियेटर के रिकोगनाइजेशन से उन्हें टीवी के लिए विज्ञापन मिलने लगे और 40 साल की उम्र में फिल्मों में काम मिला।

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Story Author: रमेश कुमार

जाकिर हुसैन कॉलेज (डीयू) से बीए (हॉनर्स) पॉलिटिकल साइंस में डिग्री लेने के बाद रामजस कॉलेज में दाखिला लिया और डिपार्टमेंट ऑफ पॉलिटकल साइंस में पढ़ाई की। इसके बाद आईआईएमसी दिल्ली।

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