अनंत चतुर्दशी 2018: जानें इसके कथा और पूजन की सही विधि, मिलेगा मनचाहा लाभ

अनंत चतुर्दशी व्रत करने के बाद पांडवों को अपना राजपाट मिल गया था, लेकिन ऐसे करनी होगी पूजा

गणेश विसर्जन के साथ-साथ अनंत चतुर्दशी 2018 भी आ गया है। इस पूजा के लिए भी तैयारी करनी पड़ेगी। अनंत चतुर्दशी के पूजा-पाठ से लेकर तमाम विधियों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है नहीं तो भगवान श्री विष्णु खुश नहीं होंगे और ऐसे में आपकी मनचाही इच्छा मन में ही रह जाएगी। अनंत चतुर्दशी की कथा और पूजा विधि की पूरी जानकारी के लिए ये खबर मदद करेगी।

वैसे तो भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चौदस को अनंत चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है। इस साल यह 23 सितंबर को मनाया जाएगा। हाालंकि इस दिन गणेश विसर्जन भी किया जाता है जिसके चलते इसका महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। अनंत चतुर्दशी पर भगवान विष्णु के इसी अनंत स्वरूप को खुश करने और अनंत फल पाने की इच्छा से किया जाता है और इसीलिए व्रत रखा जाता है। ऐसे में इसकी जानकारी को जानना और भी जरूरी है।

ऐसे करें पूजा
हालांकि हर पूजा पाठ तो हमें पूरी तरह शुद्ध तन-मन रहकर करना चाहिए। इसलिए सबसे पहले तो घर की सफाई के साथ-साथ खुद को स्वच्छ रखें। इसके अलावा साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें। इस दिन श्री विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ करना अति उत्तम माना जाता है। इस दिन ढेरो सारे लोग घरों में सत्यनारायण की कथा भी करवाते हैं।

ऐसे करें पूजन
लोगों की ऐसी आस्था है कि इस दिन महिलाएं सुख और ऐश्वर्य की प्राप्ति के लिए व्रत करती है। इस दिन भगवान विष्णु की परंपरागत तरीके से पूजा की जाती है। इतना ही नहीं इसी दिन भगवान विष्णु के सामने चौदह गांठ वाला धागा रख कर श्री हरि के साथ उसकी भी पूजा करनी चाहिए। इसे कतई नहीं भूलना चाहिए। पूजन में फूल, चावल, दही, रोली, मालि, चंदन, इत्र, अगर, धूप, दीप, नैवेद्य का होना अनिवार्य है। लेकिन इनको समर्पित करते समय ॐ अनंताय नमः मंत्र का निरंतर जाप करते रहें।

अनंत चतुर्दशी की कथा
इस दिन खासकर भगवान विष्णु की प्रार्थना करके उनकी कथा अवश्य सुनें। इसके बाद अनंत रक्षासूत्र को पुरुष और महिला अपने हाथ में बांधें। बांधते समय अनंत देवता का पूरे मन से ध्यान करें। अंत में ब्राह्मणों को सादा भोजन कराएं। इसके बाद स्वयं भोजन ग्रहण करें। हां, भोजन ग्रहण से पहले पूजा पाठ पर चढ़ाई गई प्रसाद को अवश्य ग्रहण कर लें।

महाभारत के समय जब…
अनंत चतुर्दशी से जुड़ी एक कहानी महाभारत के समय की भी कही जाती है। महाभारत की एक कथा के अनुसार जब कौरवों ने छल से जुए में पांडवों को हरा तब पांडवों को अपना राजपाट त्याग कर वनवास जाना पड़ा। ऐसे में जब एक दिन भगवान श्रीकृष्ण पांडवों से मिलने वन आए तो उन्होंने युधिष्ठिर को इस कष्ट से निकलने के लिए अनंत चतुर्दशी का व्रत रखने को कहा और फिर पांडवों ने ऐसा किया। और तभी उन्हें दुबारा हस्तिनापुर का राज मिला।

रवि गुप्ता :पत्रकार, परिंदा ही तो है. जैसे मैं जन्मजात बिहारी, लेकिन घाट-घाट ठिकाने बनाते रहता हूं. साहित्य-मनोरंजन के सागर में गोते लगाना, खबर लिखना दिली तमन्ना है जो अब मेरी रोजी रोटी है. राजनीति तो रग-रग में है.