ASIA CUP: श्रीलंका को धूल चटाने वाली अफगान टीम की कहानी, प्लेयर्स ने रिफ्यूजी कैंप में ली है ट्रेनिंग

अफगानिस्तान क्रिकेट टीम ने वर्ल्ड क्रिकेट में शानदार वापसी की है, तो वहीं श्रीलंका, बांग्लादेश को हराकर विश्व क्रिकेट में आगे बढ़ रही है

एशिया कप 2018 में अफगानिस्तान क्रिकेट टीम ने शानदार वापसी की है। इस टूर्नामेंट में अफगानिस्तान क्रिकेट टीम की प्रदर्शन बेहतर दिख रही है। इस कारण अफगानिस्तान क्रिकेट टीम ने एशिया कप के सुपर 4 में शीर्ष पर बनी हुई है। इसके साथ ही श्रीलंका टीम की ‘घर वापसी’ करा दी है।

प्राप्त जानकारी के मुताबिक गुरुवार को अफगानिस्तान और बांग्लादेश का मैच दुबई में खेला गया। इस ग्रुप चरण का यह अंतिम मुकाबला और टूर्नामेंट का छठा वनडे मैच था जिसको अफगानिस्तान ने अपने नाम कर लिया। ये दोनों ही टीम पांच बार की एशिया कप विजेता रह चुकी श्रीलंका टीम को हराकर आगे चल रहे हैं।

बांग्लादेश के बाद किसका नंबर
आज शाम पांच बजे अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच मैच खेला जाएगा। इस मैच में कांटे की टक्कर होने वाली है। भारत से हारने के बाद पाकिस्तान इस टूर्नामेंट में अफगानिस्तान को हराकर वापसी करने की पूरी कोशिश करेगा। पर अफगान टीम को इतनी आसानी से हराना संभव नहीं है।

रिफ्यूजी कैंप में इसलिए ली ट्रेनिंग
एक तरफ जहां अन्य देश के खिलाड़ी को सारी सुविधाएं दी गई हैं तो वहीं अफगानिस्तान कई सालों से युद्ध के कारण टूट गया है। तालीबान के साथ अफगानिस्तान का युद्ध चलता रहता है। ऐसे में अफगान खिलाड़ियों ने खेल को जिंदा रखने के लिए रिफ्यूजी कैंप में ही खुद को तैयार किया। इतना ही नहीं कई बार तो भूखे पेट रहकर भी क्रिकेट को दिल से खेला।

रशिद खान से बचके रहना!
अफगानिस्तान के रशिद खान की पहचान लेग स्पीनर के तौर पर है। लेकिन उनको ऑलराउंडर ही मानकर चलिए क्योंकि अंतिम आकर वे अच्छे रन बटोर लेते हैं। इनके खेल का दिवाना पूरा अफगानिस्तान है। अब तक वे 49 वनडे खेल कर 3 हाफ सेंचुरी जमा चुके हैं। वहीं उनके नाम अब तक 112 विकेट हैं, जिसमें चार मौकों पर उन्होंने पांच या इससे ज्यादा विकेट उखाड़े हैं।

आपको बताते चलें कि रशिद खान के अलावा अफगान टीम के विकेटकीपर बल्लेबाज मोहम्मद शहजाद, बल्लेबाज रहमत शाह, हसमुतुल्लाह शाहिदी, तेज गेंदबाज मोहम्मद नबी और स्पिनर मुजीब उर रहमान जैसे खिलाड़ी भी अफगान टीम के लिए अपनी जान पर खेलते हैं।

रवि गुप्ता :पत्रकार, परिंदा ही तो है. जैसे मैं जन्मजात बिहारी, लेकिन घाट-घाट ठिकाने बनाते रहता हूं. साहित्य-मनोरंजन के सागर में गोते लगाना, खबर लिखना दिली तमन्ना है जो अब मेरी रोजी रोटी है. राजनीति तो रग-रग में है.