बंगाली फिल्मों के जाने-माने दिग्गज निर्देशक तरुण मजूमदार (Tarun Majumdar) का आज 91 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उनके निधन से फिल्म इंडस्ट्री में शोक की लहर है। बढ़ती उम्र के चलते वह काफी समय से बीमार थे। तरुण लंबे समय से कोलकाता के एसएसकेएम के सरकारी अस्पताल में भर्ती थे। उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था। कई कलाकारों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी है।
साल 1985 में तरुण मजूमदार ने ‘अलोर पीपसा’ में बसंत चौधरी के साथ फिल्म उद्योग में एक निर्देशक के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी। उन्होंने फिल्म निर्माताओं के ग्रुप ‘यात्रिक’ के तहत काम किया। जिसमें तरुण मजूमदार, दिलीप मुखोपाध्याय और सचिन मुखर्जी प्रमुख रूप से शामिल रहे। इसके बाद साल 1963 में वो यात्रिक अलग हो गए।
अपनी फिल्मों के बारे में बात करते हुए तरुण मजूमदार ने 2015 में कहा था, ‘मैं हमेशा मानवीय रिश्तों और मूल्यों से प्रभावित रहा हूं। मुझे लगता है कि एक आदमी की तलाश एक बेहतर इंसान बनने की होती है। मुझे लगता है कि मैं मध्यवर्गीय परिवेश को बेहतर ढंग से समझता हूं।
तरुण मजूमदार इंडस्ट्री को एक से बढ़कर एक फ़िल्में दीं। उनकी बेहतरीन फिल्मों में स्मृति तुकू ठक (1960), पलटक (1963) , बालिका बधू (1976), कुहेली (1971), श्रीमन पृथ्वीराज (1972), दादर कीर्ति (1980) और गणदेवता (1978) शामिल है।
तरुण ने अपने करियर में सुचित्रा सेन, छबी विश्वास, उत्तम कुमार, सौमित्र चटर्जी और संध्या रॉय जैसे कई बड़े अभिनेताओं के साथ काम किया। तरुण मजूमदार को 1990 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया। वहीं साल 2021 में लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड सहित पांच फिल्मफेयर पुरस्कार जीते।
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