Birthday Anniversary: जब पत्नी शौकत आज़मी ने कैफी आज़मी को कहा ‘बद्तमीज़’, जानिए ये दिलचस्प लव स्टोरी

कैफ़ी आज़मी(Kaifi Azmi), जिन्हे शायद ही कोई भुला होगा। लेकिन ऐसा भी एक बार हुआ था जब कैफ़ी आज़मी की पत्नी ने भरी महफ़िल में उन्हें बद्तमीज़ कह दिया था।

कैफ़ी आज़मी फोटो - इंस्टाग्राम

गाने, ग़ज़ल और नज़्म को आप सुनते तो हैं लेकिन, उसके शब्द ही है जो आपको उसकी तरफ आकर्षित करते हैं। ऐसे ही अपने शब्दों से सभीं को आकर्षित करने वाले थे कैफ़ी आज़मी(Kaifi Azmi), जिन्हे शायद ही कोई भुला होगा। लेकिन ऐसा भी एक बार हुआ था जब कैफ़ी आज़मी की पत्नी ने भरी महफ़िल में उन्हें बद्तमीज़ कह दिया था। आज कैफ़ी आज़मी के जन्मदिन के ख़ास मौके पर हम आपको बताएंगे शौकत के साथ कैफ़ी की लव स्टोरी का एक दिलचस्प किस्सा।

जी हाँ, आपने सही पढ़ा कि शौकत ने उन्हें बद्तमीज़ कहा था। बात यह हुई कि कैफ़ी हैदराबाद में एक मुशायरे में अपनी नज़्म ‘उठ मेरी जान मेरे साथ ही चलना है तुझे’ सुना रहे थे। इस नज़्म के बोल कुछ ऐसे थे –

“उठ मेरी जान मेरे साथ ही चलना है तुझे,

क़द्र अब तक तेरी तारीख़ ने जानी ही नहीं,

तुझमें शोले भी हैं बस अश्क़ फिशानी ही नहीं,

तू हक़ीकत भी है दिलचस्प कहानी ही नहीं,

तेरी हस्ती भी है इक चीज़ जवानी ही नहीं,

अपनी तारीख़ का उन्वान बदलना है तुझे,

उठ मेरी जान मेरे साथ ही चलना है तुझे,”

 

इस नज़्म की पहली लाइन पर दर्शकों के बीच बैठी शौकत को इस बात का बुरा लगा कि नज़्म में अपनी जान को ‘उठ’ क्यों कहा, ‘उठिये’ नहीं कह सकते थे। उन्होंने यह तक कहा कि ‘कैसा बद्तमीज़ शायर है!’ इसे तो अदब के बारे में कुछ नहीं आता। कौन इसके साथ उठकर जाने को तैयार होगा? “लेकिन जब कैफ़ी साहाब ने अपनी पूरी नज्म सुनाई तो महफिल में बस वाहवाही और तालियों की आवाज सुनाई दे रही थी। इस नज़्म का असर यह हुआ कि बाद में वही लड़की जिसे कैफी साहाब के ‘उठ मेरी जान’ कहने से आपत्ति थी वह उनकी पत्नी शौक़त आज़मी बनी।

नज़्म खत्म होते-होते कैफी पर अपना दिल हार बैठीं। शादी के बाद उनका एक बेटा हुआ जिसकी कुछ दिनों बात ही मृत्यु हो गई। इसके बाद वह लखनऊ आ गए. कुछ दिनों बाद उनकी पत्नी शौकत फिर गर्भवती हुईं लेकिन कम्यूनिस्ट पार्टी ने फरमान सुना दिया कि गर्भपात कराओ, कैफ़ी उस वक्त अंडरग्राउंड थे, उनके पास इतने भी रुपये भी नहीं थे कि वह शौकत की डिलीवरी करा पाते। वह अपनी मां के पास हैदराबाद चली गईं और वहीं पर उनकी बेटी शबाना आज़मी का जन्म हुआ।

कैफ़ी आज़मी ने 1951 में पहला गीत ‘बुजदिल फ़िल्म’ के लिए लिखा- ‘रोते-रोते बदल गई रात’. उन्होंने अनेक फ़िल्मों में गीत लिखें जिनमें कुछ प्रमुख हैं- ‘काग़ज़ के फूल’ ‘हक़ीक़त’, हिन्दुस्तान की क़सम’, हंसते जख़्म ‘आख़री ख़त’ और हीर रांझा’ जैसे कई मशहूर गीत लिखे।

 

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Shikha Sharma :शिखा, इसका मतलब होता है पहाड़ की चोटी लेकिन, अपने काम में मैं चोटी से लेकर एड़ी तक ज़ोर लगा देती हूं! बॉलीवुड फ़िल्में और गानें मेरी रगों में हैं! किशोर कुमार से लेकर बादशाह तक, म्युज़िक मेरी ज़िन्दगी है!