नाम, पैसा और शोहरत से कहीं आगे निकल चुकी थीं परवीन बाबी, कई दिनों बाद कमरे में मिली थी लाश

70 के दशक की खूबसूरत ग्लैमरस एक्ट्रेस परवीन बाबी का चेहरा भुलाए नहीं भुलाया जा सकता। स्टारडम से कहीं आगे निकल चुकीं अभिनेत्री 2005 में अपने कमरे में बेड पर मृत पाई गई थीं।

4 अप्रैल, 1949 को सौराष्ट्र के जूनागढ़ में परवीन बाबी का जन्म हुआ था। (फोटो- ट्विटर)

70 के दशक में जब बॉलीवुड इंडस्ट्री में कई बदलाव हो रहे थे, फिल्में बनाने का नजरिया ग्लैमर की चकाचौंध में लिपटा आगे बढ़ रहा था तब साल 1973 में बॉलीवुड में एंट्री होती है एक ऐसी बिंदास लड़की की, जो फिल्ममेकर बी.आर. इशारा को सिगरेट का धुआं उड़ाते हुए दिखी थी। उस लड़की का नाम था परवीन बाबी। इशारा ने परवीन को देखते ही अपनी हिरोइन बनाने का फैसला कर लिया था।

परवीन बाबी के जीवन में एक समय ऐसा भी आया था जब प्रोड्यूसर्स उन्हें अपनी फिल्म में लेने के लिए उनके घर के बाहर लाइन में खड़े रहते थे। अभिनेत्री के जीवन में एक समय ऐसा भी आया जब वह गुमनामी के साये में बगैर किसी को बताए दुनिया से रुखसत हो गईं। परवीन बाबी बॉलीवुड की वो खूबसूरत अदाकारा जिसे जीवन में बेशुमार शोहरत मिली, तीन बार प्यार भी हुआ, लेकिन हर बार सच्चे प्यार के बदले किस्मत में बेवफाई ही लिखी मिली।

सौराष्ट्र के जूनागढ़ में हुआ था परवीन बाबी का जन्म

4 अप्रैल, 1949 को सौराष्ट्र के जूनागढ़ में परवीन बाबी का जन्म हुआ था। मध्यमवर्गीय मुस्लिम परिवार में जन्मी परवीन ने अहमदाबाद के सेंट जेवियर्स कॉलेज से अंग्रेजी साहित्य में ग्रेजुएशन किया था। इसी दौरान उनका मॉडलिंग की ओर रुझान हो गया। बी.आर. इशारा ने साल 1973 में अपनी फिल्म ‘चरित्र’ में उन्हें क्रिकेटर सलीम दुर्रानी के अपोजिट कास्ट किया था। फिल्म फ्लॉप रही, लेकिन परवीन बाबी हिट हो गई थीं।

‘मजबूर’ फिल्म से मिली थी असल पहचान

परवीन के पास फिल्मों के ऑफर आने लगे थे। 1974 में उन्होंने एंग्री यंगमैन अमिताभ बच्चन के साथ ‘मजबूर’ फिल्म की। फिल्म सुपरहिट रही और असल मायनों में इस फिल्म ने परवीन बाबी को अभिनेत्री बनाया था। रुपहले पर्दे पर अमिताभ और परवीन बाबी की जोड़ी को खूब पसंद किया गया। इस जोड़ी ने ‘दीवार’, ‘शान’, ‘अमर अकबर एंथनी’, ‘कालिया’ जैसी कई सुपरहिट फिल्में एक साथ की थीं।

जब ‘टाइम’ मैगजीन की कवर गर्ल बनी थीं परवीन बाबी

परवीन बाबी की कामयाबी का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि साल 1976 में मशहूर विदेशी मैगजीन ‘टाइम’ ने उनकी तस्वीर को कवर पेज पर छापा था। इस उपलब्धि को हासिल करने वालीं परवीन पहली बॉलीवुड कलाकार थीं। उस दौरान परवीन बाबी और डैनी डेन्जोंगपा रिलेशनशिप में थे। डैनी से अलग होने के बाद 1976 में उन्होंने कबीर बेदी के साथ ‘बुलेट’ फिल्म में काम किया और यहीं से उनके बीच नजदीकियां बढ़नी शुरू हो गईं।

कबीर बेदी की खातिर करियर को लगाया दांव पर

अब परवीन कबीर बेदी के प्यार में बुरी तरह घिर चुकी थीं। करीब 3 साल तक उनका रिलेशनशिप चला। वह कबीर से इस कदर प्यार करती थीं कि उनकी खातिर परवीन ने अपना चमचमाता फिल्मी करियर तक दांव पर लगा दिया था। दरअसल कबीर बेदी के पास बॉलीवुड में ज्यादा काम नहीं था। उस दौरान उन्हें एक इटैलियन टीवी सीरियल में बतौर लीड एक्टर कास्ट किया गया, तो परवीन भी बॉलीवुड को छोड़ उनके साथ यूरोप चली गईं।

परवीन बाबी के साथ लिव इन में रहने लगे थे महेश भट्ट

धीरे-धीरे परवीन बाबी और कबीर बेदी के रिश्ते में खटास आने लगी। उनका अलगाव हुआ तो वह भारत लौट आईं और एक बार फिर बॉलीवुड में पैर जमाने की कोशिश करने लगीं। इस दौरान उनकी नजदीकियां महेश भट्ट के साथ बढ़ीं। महेश भट्ट शादीशुदा थे, लेकिन कथित तौर पर वह परवीन बाबी के प्यार में इस कदर घिर चुके थे कि अपनी पत्नी और बेटी को छोड़ वह अभिनेत्री के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहने लगे।

महेश भट्ट ने अपने रिश्ते को लेकर बनाईं दो फिल्में!

महेश भट्ट की दो फिल्मों ‘अर्थ’ और ‘वो लम्हे’ को उनके और परवीन बाबी की कहानी पर आधारित बताया जाता है। लिव इन के दौरान महेश भट्ट ने परवीन का वह रूप देख लिया जिसकी उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की थी। महेश भट्ट ने कई इंटरव्यू में बताया था कि परवीन पैरानायड सिजोफ्रेनिया नामक बीमारी से पीड़ित थीं और एक बार वह चाकू हाथ में लिए घर में बैठी थीं। महेश परवीन से बेतहाशा प्यार करते थे।

महेश भट्ट ने परवीन के इलाज के लिए मांगी एक्स-बॉयफ्रेंड्स की मदद

महेश भट्ट ने परवीन के इलाज के लिए डैनी और कबीर बेदी तक की मदद ली थी, लेकिन अभिनेत्री हर रोज बीमारी की चपेट में घिरती चली जा रही थीं। हद तो तब हो गई जब परवीन ने अमिताभ बच्चन समेत कई नामी हस्तियों पर उन्हें जान से मारने का संगीन आरोप लगाया। परवीन को लगता था कि यह लोग उन्हें जान से मारना चाहते हैं। भारत ही नहीं बल्कि अमेरिका से लेकर कई देशों में उनका इलाज कराया गया, लेकिन वह ठीक नहीं हो पाईं।

20 जनवरी, 2005 को अपने घर में मृत मिली थीं परवीन बाबी

1989 में वह थक-हारकर भारत लौट आईं और बॉलीवुड की चकाचौंध से दूर रहने लगीं। 20 जनवरी, 2005 को वह अपने घर में मृत पाई गईं। कहा जाता है कि उनकी मौत के कई दिनों बाद उनके शव को घर से बरामद किया गया था। शुरूआत में उनकी मौत को संदिग्ध मानते हुए काफी शक जताया गया, लेकिन पुलिस जांच में उनकी मौत को सामान्य पाया गया था। एक लड़की जिसने अपनी जिंदगी को हर पल जिया था, वह दम तोड़ चुकी थी, गुमनामी की मौत मर चुकी थी। ग्लैमरस जिंदगी जीने वालीं परवीन बाबी के आखिरी दिन अकेलेपन और अवसाद में गुजरे थे। भले ही हिंदी सिनेमा में उनकी फिल्मों की संख्या उतनी ना हो, लेकिन ये फिल्मी दुनिया परवीन बाबी का मुस्कुराता चेहरा कभी नहीं भुला पाएगी।

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राहुल सिंह :उत्तराखंड के छोटे से शहर हल्द्वानी से ताल्लुक रखता हूं। वैसे लिखने को बहुत कुछ है अपने बारे में, लेकिन यहां शब्दों की सीमा तय है। पत्रकारिता का छात्र रहा हूं। सीख रहा हूं और हमेशा सीखता रहूंगा।