भारत-पाकिस्तान 1971 युद्ध के हीरो ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी (Kuldip Singh Chandpuri) का निधन हो गया है। मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी ने फोर्टिस अस्पताल में अंतिम सांस ली। अपने साहस और जज्बे के आगे पाकिस्तानी सैनिकों के छक्के छुड़ाने वाले सैनिक ने बीमारी के आगे दम तोड़ दिया। आज देश उनके निधन पर शोक मना रहा है। इनके साहस को यादगार बनाने के लिए जेपी दत्त के निर्देशन में ‘बॉर्डर’ (Border) फिल्म बनी थी जिसमें सन्नी देओल ने कुलदीप सिंह चांदपुरी का रोल अदा किया था। इस मौके पर सन्नी देओल ने शोक प्रकट किया है। एक वीर सैनिक के प्रति श्रध्दांजलि समर्पित की है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी ने मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। 78 की आयु में इन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया। शनिवार को दोपहर में इनके निधन की खबर ने देश को झकझोर कर रख दिया है। ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी देश के दूसरे वीर सैनिक थे जिनको गैलेंट्री अवार्ड से नवाजा गया था। इसके अलावा इनकी वीरता के लिए महावीर चक्र भी प्रदान किया गया था। इनकी वीरता के किस्से आज भी सुनाए जाते हैं। भारत-पाकिस्तान 1971 युद्ध की कहानी सुनकर हमारा सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है।
Sad to know that Brigadier Kuldeep Chandpuri passed away today .
We will forever stay indebted to this great soldier 🇮🇳 pic.twitter.com/XLcU3exIoa— Sunny Deol (@iamsunnydeol) November 17, 2018
जानें इनकी खास बातें
-22 नवंबर 1940 को पंजाब के प्रांत में इनका जन्म हुआ था।
-ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी अपने माता-पिता के इकलौते संतान थे।
-पढाई के दौरान एनसीसी के एक्टिव मेंबर रहे।
-22 साल की आयु में ही ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी 23 वीं पंजाब रेजिमेंट में शामिल हुए।
-1962-1996 तक ये भारतीय सेना में अपना योगदान दिए।
-1965 के युद्ध में भी इन्होंने दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए थे।
-100 सैनिकों के साथ पाकिस्तान के 2000 सैनिकों हरा दिया था।
-भारत-पाकिस्तान 1971 युद्ध के बाद ये खासे चर्चा में आए।
-1971 युद्ध के बाद इनको महावीर चक्र से सम्मानित किया गया।
-1997 में इनकी वीरता पर बॉर्डर फिल्म बनाई गई।
-इनके चाचा भारतीय वायुसेना में सर्विस कर चुके हैं।
-भारतीय सेना का सर्वोच्च सेवा सम्मान गैलेंट्री अवार्ड भी इनको मिला।
Today, Brig Kuldeep Singh Chandpuri passed away. In 1971, he led a rifle company of 23 Punjab Regiment consisting of 120 men which defied the might of 2000 Pak soldiers & one Pak armoured regiment & broke their back. This was the Battle of Longewala. Salute the legend 🙏 pic.twitter.com/aPEH1CL8u5
— Major Gaurav Arya (@majorgauravarya) November 17, 2018
देखिए वीडियो…