दिवाली पर पटाखों को बैन (Crackers Ban) करने पर आप नाराज हो सकते हैं। नाराज हो कर ही सही ये रिपोर्ट पढ़िए! पटाखों के धमाके से जितना डर आपको लगता है। उससे कई गुना ज्यादा खतरनाक तो इसके भीतर के रसायनिक मिश्रण हैं। और उससे कई गुना खतरनाक उससे निकलने वाली गैसे हैं। सल्फर डाइआक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड, मोनो डाइऑक्साइड के प्रभाव को देखिएगा तो दिल दहल जाएगा। बारूद, चारकोल और सल्फर के केमिकल्स आपकी हैप्पी दिवाली में जहर घोलने का काम करते हैं। यकीन नहीं होता है ना, लेकिन इससे होने वाले मौत पर यकीन किजिए। हर साल लाखों लोग वायु प्रदूषण के कारण मारे जाते हैं। पटाखों के आवाज से मत डरिए लेकिन इस अकाल मौत से तो डरिए।
1996 में इंडिया टूडे की एक रिपोर्ट ने इसका खुलासा किया था। विश्व बैंक के मुताबिक, भारत में हर साल 40,000 से ज्यादा लोग वायु प्रदूषण के कारण असमय मरते हैं। वर्ष 2000 में यह आंकड़ा एक लाख तक पहुंच गया और 2010 तक 6,27,000 हो गया। देखिए कितनी तेजी से ये आंकड़ा बढ़ रहा है। यह आंकड़ा विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) तथा 50 देशों की 300 संस्थाओं के बीच एक गठजोड़ के तहत किए गए ग्लोबल बर्डेन ऑफ डिजीज नामक अध्ययन में सामने आया था। कंजर्वेशन ऐक्शन ट्रस्ट और अर्बन एमिशंस नामक स्वतंत्र शोध समूहों का किया एक ताजा अध्ययन बताता है कि 2030 तक कोयला जलाने से प्रदूषण संबंधी मौत दोगुनी या तिगुनी भी हो सकती है।
2015 में प्रदूषण की वजह से सबसे अधिक लोगों की मौत भारत में हुई और अभी जारी है। जहां 25 लाख लोग इसकी भेंट चढ़ गए तो चीन में 18 लाख लोगों की मौत हुई। अब जरा 6,27,000 को 30 से गुणा करें। आंखे फटी की फटी रह जाएंगी। इतने ज्यादा मौत तो बाढ़, सुनामी या किसी प्राकृतिक आपदा से नहीं होती है। भूल जाइए इसके पीछे होने वाली धार्मिक आस्था और तमाम बातों को और एक बार जरा अपनी जिंदगी के बारे में ख्याल किजिए।
— Delhi Traffic Police (@dtptraffic) November 6, 2018
पटाखा इतना खतरनाक क्यों?
पटाखों में बारूद, चारकोल और सल्फर के केमिकल्स का इस्तेमाल होता है जिससे पटाखे से चिनगारी, धुआं और तेज आवाज निकलती है। इनके मिलने से प्रदूषण होता है। पटाखों से (सल्फर डाइआक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड, मोनो डाइऑक्साइड) जैसी जहरीली गैस निकलती है, जो पृथ्वी पर जीव को नुकसान पहुंचाती है। इससे कैंसर और फेफड़ों की गंभीर बीमारी होती है। त्वचा, नाक, आंख, गला, लीवर, फेफड़े, दिल, किडनी पर ये ज्यादा असर डालते हैं। ये गैस कम समय में तेजी से वायु को दूषित करते हैं। बस इतना समझ लिजिए कि दिवाली के बाद वायु प्रदूषण एकाएक सात गुना ज्यादा हो जाता है।
— Delhi Traffic Police (@dtptraffic) November 5, 2018
पटाखों की रोशनी और खतरनाक
पटाखे में ग्रीन रोशनी निकालने के लिए बेरियम नाइट्रेट का इस्तेमाल होता है। ये विस्फोटक पदार्थ का भी काम करता है। बारूद में मिश्रण होने पर ये रंग बदलता है। पटाखे से लाल रंग की रोशनी निकालने के लिए सीजियम नाइट्रेट डाला जाता है। इस रसायन को बारूद के साथ मिलाने पर इसका रंग लाल पड़ जाता है। इसके बाद मिश्रण को ठोस बनाकर पटाखे में भरा जाता है। इसका प्रयोग ज्यादातर अनार और रॉकेट में किया जाता है। जिसमें से ज्यादा रोशनी निकलती है। इसमें नाइट्रेट की मात्रा बढ़ाई जाती है। इससे इसका रंग और भी गाढ़ा पीला हो जाता है। कॉपर, कैडियम, लेड, मैग्नेशियम, सोडियम, जिंक, नाइट्रेट और नाइट्राइट जैसे रसायन का मिश्रण पटाखों को घातक बना देते है।
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