दीपिका पादुकोण (Deepika Padukone) स्टारर ‘छपाक’ (Chhapaak) आज सिनेमाघरों में लग चुकी है। फिल्म के रिव्यु में दीपिका की काफी तारीफ़ भी की जा रही है। फिल्म को दर्शकों की अच्छी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। वहीं दीपिका की फिल्म छपाक की तुलना मलयालम फिल्म उयारे (Uyare) से भी की जा रही है। सोशल मीडिया पर इसको लेकर जमकर ट्वीट किये भी किये जा रहे हैं।
दीपिका पादुकोण छपाक में जहां एसिड अटैक सर्वाइवर लक्ष्मी अग्रवाल की भूमिका में हैं। दीपिका ने लक्ष्मी के किरदार को बखूबी निभाया है। वहीं मलयालम फिल्म उयारे भी एक एसिड अटैक सर्वाइवर पर आधारित थी। जो अप्रैल में रिलीज हुई थी। उयारे एक विमान उड़ाने वाली छात्रा की कहानी है। इस छात्रा पर भी एसिड अटैक होता है। जिसके बाद वह अपने जीवन को कैसे जीती है। इन दोनों फिल्मों को लेकर ट्विटर पर बहस सी छिड़ है है।
एक यूजर ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि छपाक के बजाय पार्वती की उयारे देख लें। उयारे में पार्वती ने शानदार और शक्तिशाली अभिनय किया है। वहीं एक दूसरे यूजर ने छपाक और उयारे की किसी भी तरह की कोई तुलना न करने की बात कही है। यूजर ने लिखा है कि ये दोनों फ़िल्में अलग मुद्दे पर हैं। दोनों की कोई तुलना ही नहीं की जा सकती है।
When I watched #Uyare I had this very uneasy pain and gratitude towards the movie. It's going to be hard to take the journey of #Chhapaak once again, but it's going to be worth it. For the encouragement and smiles of those survivors.
— Karson Lusi (@KarsonLusi) January 9, 2020
Two different movies about the same social issue dont have to be similar !? Right from chhapaak promotions we have realised that the movie had a different tone to what we might have seen in uyare, anupama should have given it a fair chance tbh maybe another viewing…
— mashal || happy chhapaak day (@partyypants) January 10, 2020
haven't seen Chhapaak yet but @WhateverYaaaaar prompted this. will repeat this again, Uyare is a great movie 🙊
— Vandana (@vandanadevi97) January 9, 2020
बता दें इससे पहले राजीव मसंद के एक इंटरव्यू में दीपिका ने क्लियर कर दिया था कि दोनों फ़िल्में अलग हैं। राजीव मसंद ने दीपिका से छपाक की तुलना की बात कही थी। दीपिका ने इसका जवाब देते हुए कहा कि यह एक एसिड अटैक सर्वाइवर की कहानी है। हर किसी के पास इसे कहने का एक अलग तरीका होता है। आज, कोई और व्यक्ति उठ सकता है और लक्ष्मी या एसिड हिंसा पर फिल्म बनाने का फैसला कर सकता है। मुझे लगता है कि हर फिल्म में एक अलग होगी।