Dilip Kumar 100th Birth Anniversary: दिलीप कुमार पर लगा था पाकिस्तानी जासूस होने का आरोप, विवादों से रहा नाता

Dilip Kumar 100 Birth Anniversary: बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता दिलीप कुमार हमारे बीच नही है लेकिन उनके काम को हमेशा याद किया जाएगा.

Dilip Kumar 100 Birth Anniversary: बॉलीवुड के ट्रेजेडी किंग कहलाए जाने वाले दिलीप कुमार ने अपने फिल्मी करियर में एक से बढ़कर एक फिल्में देकर लोगों के दिलों में खास जगह बनाई. दिलीप के स्टाइल, एक्टिंग पर सभी फिदा थे. उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री को कई हिट फिल्में दी. वहीं इसके साथ-साथ वो विवादों में भी खूब रहे. वहीं चलिए आ उनकी बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर उनसे जुड़े कुछ विवादों के बारे में बताते हैं. यह भी पढ़ें: Bigg Boss 16: एविक्शन की खबरों के बीच सीक्रेट रूम भेजी गई टीना दत्ता, क्या आज होंगी घर से बेघर?

नाम को लेकर विवाद

दिलीप कुमार मुसलमान थे. उनका नाम युसूफ खान था. कहा जाता है कि एक प्रोड्यूसर के कहने पर अभिनेता ने अपना नाम युसूफ खान से दिलीप कुमार कर लिया था जिसके बाद वह बॉलीवुड के सुपरस्टार बन गए थे. उनके नाम को लेकर काफी विवाद हुआ था क्योंकि उन्होंने मुस्लिम होते हुए भारतीय नाम रख लिया था.

जब पाकिस्तान का जासूस होने का लगा था आरोप

इसके अलावा दिलीप कुमार को लेकर जो सबसे बड़ा विवाद है वो है उन पर पाकिस्तान का जासूस होने का आरोप था. जी हां दिलीप कुमार पर ये आरोप उस समय और पुख्ता हो गया था जब दिलीप को पाकिस्तान के सर्वोच्च नागरिक सम्मान निशान ए इम्तियाज़ दिया गया. ये उस दौरान की बात ही है जब उनपर सवाल उठने लगे थे. देशभर में उनको लेकर बवाल हुआ कि दिलीप ने ये सम्मान क्यों लिया. इस मामले को लेकर काफी हंगामा हुआ था.

पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान वापस करने से किया था इंकार 

दिलीप कुमार पर कई बार सवाल उठ चुके हैं. कहा जाता है कि कारगिल युद्ध के दौरान देश ने उनसे अपील की कि थी की वो पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान वापस कर दें लेकिन दिलीप कुमार ने इससे इंकार कर दिया था.  दरअसल 1998 में दिलीप को पाकिस्तान ने ये सम्मान दिया था लेकिन 1999 में इस्लामिक आतंकी मुल्क पाकिस्तान भारत से युद्ध कर रहा था, भारत की जमीन कब्जाने की कोशिश कर रहा था लेकिन इसके बाद भी दिलीप कुमार ने जनभावनाओं को अनसुना कर दिया और पाकिस्तानी सर्वोच्च नागरिक सम्मान वापस नहीं किया था. ये सब देखते हुए एक बार फिर जनता उनपर बरस पड़ी थी. इसे लेकर भी काफी विवाद हुआ था.

लता मंगेशकर के साथ हुई थी लड़ाई 

दिलीप कुमार और लता मंगेशकर काफी अच्छे दोस्त हुआ करते थे. लेकिन एक विवाद की वजह से दोनों की दोस्ती में दरार आ गई थी. कहा जाता है कि साल 1957 में ‘मुसाफिर’ फिल्म के गाने ‘लागी नाहीं छूटे’ के वक्त दिलीप कुमार ने लता मंगेशकर पर कमेंट किया था कि ‘मराठियों की उर्दू बिल्कुल दाल और चावल की तरह होती है. फिर क्या दिलीप की इस टिप्पणी को सुन लता जी को काफी गुस्सा आ गया था.  जिसके बाद उन्होंने हिंदी और उर्दू सीखने का फैसला कर लिया. इस किस्से के बाद दोनों के बीच कई सालों तक लड़ाई रही थी. यह भी पढ़ें: दीपिका पादुकोण के साथ रणवीर सिंह ने की वादाखिलाफी, अमिताभ बच्चन के सामने किया था ये प्रॉमिस!

जब दिलीप को जाना पड़ गया था जेल 

एक बार पुणे के एक क्लब में दिलीप ने अंग्रेजों के खिलाफ एक भाषण दिया था. इस भाषण में उन्होंने अंग्रेज सरकार की खूब आलोचना की. इस भाषण को देते समय दिलीप ने कहा था कि आजादी की लड़ाई जायज है. इस क्रान्तिकारी भाषण पर तालियां तो खूब बजीं लेकिन वहां पुलिस आ गई और दिलीप साहब को गिरफ्तार कर लिया गया था. पुलिस ने उन्हें अंग्रेज सरकार के खिलाफ बोलने के जुर्म में जेल में डाल दिया था.

दिलीप कुमार ने दी कई सुपरहिट फिल्में 

बता दें, दिलीप कुमार ने कई फिल्मों के जरिए लोगों को दीवाना किया. उनकी पहली फिल्म 1944 में रिलीज हुई थी जिसका नाम था ज्वार भाटा. इसके बाद उन्होंने जुगनू, शहीद, दाग, आन, देवदास, नया दौर जैसी कई फिल्मों में वो नजर आए और उन्होंने इंडस्ट्री में एक अलग ही जगह बना ली थी.

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Tanvi Sood :मेरा नाम तन्वी सूद है और मैं इस इंडस्ट्री में पिछले 6 साल से काम कर रही हूं. एक एंटरटेनमेंट जर्नलिस्ट होने के नाते मैं खबरों की परख रखती हूं और मुझे अपने काम से प्यार है. मुझे किताबें पढ़ना, कविताएं लिखना काफी पसंद है.