भगवान गणेश का नाम लेते ही हमारे सारे काम सफल तरीक से हो जाते है। किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले भगवान गणेश का नाम इसलिए ही लिया जाता है ताकि बिना किसी रुकावट के सारे काम अच्छी तरीके से हो जाए। भगवान गणेश ने भी बाकी भगवानों की तरह ही धरती पर पाप को मिटाने के लिए अनेकों अवतार लिए थे। उन्हीं अवतारों में से एक है गजानन। आज हम आपको बताएंगे भगवान गणेश ने आखिर गजानन के अवतार के बारे में कुछ जरुरी बातें।
लेकिन इससे पहले आपके लिए ये जानना बेहद जरूरी है की आखिरी भगवान गणेश ने गजानन का रुप क्यों लिया। दरअसल इसके पीछे एक कहानी है कैलाश पर कुबेर जी भगवान शिव और पार्वती जी के दर्शन करने के लिए पहुंचे थे लेकिन वह मां पर्वती का रुप देखते ही दंग रह गए और उन्हें लगातार देखते ही रहें।
ऐसे हुआ लाभासुर का जन्म
मां पर्वती को कुबेर जी का यह बर्ताव बिलकुल भी पसंद नहीं आया और मां पर्वती के डर से कुबरे जी ने अपनी नजर हटा ली, पर इस दौरान उनके मन में जो लोभ पैदा हो गया था उससे लाभासुर नाम का राक्षस पैदा हुआ।
गजानन के अवतार ने किया कमाल
लोभासुर ने ही कालांतर में तीनों लोकों के साथ – साथ कैलाश और वैकुंठ पर अपना कब्जा कर लिया। लोभासुर से परेशान होकर सभी देवता भगवान गणेश की उपासना करने लगे और भगवान गणेश ने गजानन का अवतार लेते हुए लोभासुर से कालांतर के तीनों लोकों के साथ ही बैकुंठ और कैलाश को मुक्ति दिलाई।
गणेश चुतर्थी की है गुंज
‘गणपति बप्पा मोरया मंगल मूर्ति मोरिया’ की गुंज आपको इन दिनों हर गली और हर जगह सुनने को मिलेगी। 13 सिंतबर से शुरू हुई गणेश चतुर्थी 23 सिंतबर तक मनाई जाएगी। 23 सिंतबर वो आखिरी दिन है जब बप्पा का विसर्जन किया जाएगा। इस साल के विसर्जन का सही समय सुबह 8 बजे से ही शुरु हो जाएगा।
गणपति जी के विसर्जन वाले दिन सुबह जल्द भगवान श्री गणेश की पूजा करके विसर्जन की तैयारी की जाएगी। इस दिन लोग नाचते गाते और हल्ला गुल्ला करते हुए बप्पा को पूरे शहर में घुमाएंगे। साथ ही बप्पा की अलग – अलग तरह की झाकियां भी लोगों को इस दिन देखने को मिल जाएगी।