कलंक जैसी मल्टी स्टाटर फिल्मों की सफलता का फिल्म समीक्षक गिरीश जोहर ने खोला राज, बताई ये जरुरी बातें

फिल्म समीक्षक गिरीश जौहर यह भी मानना है फिल्म की सफलता मल्टी स्टाटर के साथ साथ उसकी स्टोरी पर भी निर्भर करता हैं। इसके साथ साथ उनका यह भी मानना है कि बॉक्स ऑफिस पर फिल्मों का प्रदर्शन इस बात पर भी निर्भर करता है कि उन्हें किस तरह बनाया गया है और उन्हें कब रिलीज किया जा रहा है।

मल्टीस्टारर फिल्म 'कलंक' (फोटो- हिंदी रश)

फिल्म ‘कलंक’ 17 अप्रैल को बॉक्स ऑफिस पर रिलीज हुई। फिल्म ने अपने रिलीज के दिन रिकॉर्डतोड़ 21.60करोड़ का बिजनस किया। यह फिल्म इस साल की अबतक ओपनिंग डे पर सबसे ज्यादा बिजनस करने वाली फिल्म साबित हुई हैं। यह एक मल्टी स्टाटर फिल्म हैं जिसमे वरुण धवन,आलिया भट्ट,आदित्य रॉय कपूर, सोनाक्षी सिन्हा, माधुरी दीक्षित, संजय दत्त जैसे कलाकार एक साथ नजर आ रहे हैं। बॉलीवुड से जुड़े लोगो का मानना है की इस फिल्म की मल्टी स्टाटर होने का फायदा मिला हैं।

जब न्यूज़ एजेंसी आईएएनएस ने फिल्म समीक्षक, निर्मता और एक्टर से बात की तो उनकी अलग अलग प्रतिक्रिया सामने आई। फिल्म समीक्षक गिरीश जौहर ने इस बारे में बात करते हुए कहा ‘मल्टी स्टाटर फिल्मों ने हमेशा से ही दर्शकों को अपनी ओर खींचा है। हालांकि यह कोई नई बात नहीं है। मुझे याद है कि ‘शान’ और ‘नसीब’ जैसी फिल्में भी मल्टी स्टारर थीं। आज के जमाने में दर्शकों के पास मनोरंजन के कई साधन उपलब्ध हैं। उनके पास सिनेमा हॉल जाने का विकल्प है और इसके साथ ही वे अपने मोबाइल फोन सेट पर भी फिल्म देख सकते हैं। इस वजह से दर्शकों को बड़े पर्दे की ओर आकर्षित करने के लिए मल्टी स्टारर फिल्में काफी काम आती हैं।’

फिल्म समीक्षक गिरीश जौहर यह भी मानना है फिल्म की सफलता मल्टी स्टाटर के साथ साथ उसकी स्टोरी पर भी निर्भर करता हैं। इसके साथ साथ उनका यह भी मानना है कि बॉक्स ऑफिस पर फिल्मों का प्रदर्शन इस बात पर भी निर्भर करता है कि उन्हें किस तरह बनाया गया है और उन्हें कब रिलीज किया जा रहा है।उदाहरण के तौर पर ‘केसरी’ और ‘गली ब्वॉय’ को लिया जा सकता है, ये दोनों फिल्में सिंगल हीरो पर आधारित थीं। पहले दिन इनकी कमाई क्रमश: 21.06 करोड़ रुपये और 19.40 करोड़ रुपये थी, जबकि मल्टी स्टारर होने के बावजूद ‘टोटल धमाल’ के पहले दिन का कलेक्शन 16.50 करोड़ रुपये रहा।

इसके साथ ही इस बार में जब फिल्म निर्माता अनीस बज्मी से बात की गई तो उन्होंने कहा। ‘वह अपनी फिल्मों में कलाकारों को महज इस वजह से नहीं लेते कि पोस्टर में उनके चेहरे दिखाये जा सकें। अगर मूवी में 7 से 10 कलाकार हैं तो इसका मतलब यह है कि फिल्म में 7 से 10 कैरेक्टर हैं। उन्हें ऐसा महसूस करना चाहिए कि यह उनकी अपनी फिल्म है। ‘ अनीस अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहते हैं की ‘मल्टी स्टारर फिल्मों को बनाना काफी मुश्किल भी होता है। कलाकारों के डेट्स को मैनेज कर शूटिंग करना पड़ता है।’

एक्टर कुणाल खेमू जो कई सारी मल्टी स्टारर फिल्मों में नजर आ चुके हैं ,उन्होंने अपनी बात रखते हुए कहा ‘मल्टी स्टारर फिल्मों की सबसे खास बात यह होती है कि इसकी जिम्मेदारी किसी एक ऊपर नहीं होती। हालांकि यही एकवजह नहीं है, मल्टी स्टारर फिल्मों ने हमेशा से ही मुझे अपनी ओर आकर्षित किया है। ‘गोलमाल’ जैसी फिल्में सभी कलाकारों की वजह से चलती है। यह फिल्म जितनी अजय देवगन की है, उतनी ही मेरी या अरशद या तुषार की है। इस तरह की कहानियां एक गैंग की हैं। ‘

कलंक फिल्म का पब्लिक रिव्यु …

रत्नेश मिश्रा :बचपन से ही इंजीनियर बनने का सपना था. इसे पूरा करने के लिए इंजीनियरिंग की पढ़ाई की, लेकिन खबरों के प्रति ललक ने जर्नलिस्ट बना दिया. बीटेक के बाद जर्नलिज्म किया. उसके बाद अब पत्रकारिता में ही मन रम गया है.