ये उस समय की बात है जब राजा इन्द्रसेन को अपने सपने में पिता के नरक की यात्रा देखने को मिली| ये जानने के बाद पिता ने रजा इन्द्रसेन से याचना कि वो उन्हें इस नरक से मुक्ति दिलाने का कोई उपाय करें| राजा इंद्रसेन को कुछ समझ नहीं आया तो वो नारद मुनि के पास गए जहाँ नारद मुनि ने उन्हें आश्विन महीने की कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत करने को कहा| जिसके बाद राजा इन्द्रसेन ने ये व्रत कर इसका पुन्य अपने पिता को दान में दे दिया और पिता अपनी मृत्यु के बाद बैकुंठ चले गए|
इस एकादशी व्रत को पुराणों में इंदिरा एकादशी के नाम से जाना जाता है| आज के दिन हिन्दू धर्म के लोग इस व्रत को करने वाले हैं| इस बार सूर्य के जगह बदलने के बाद इस एकादशी का महत्त्व और भी बढ़ गया है|
यमलोक से मुक्ति दिलाता है ये त्यौहार
जैसे की राजा इन्द्रसेन ने यमलोक की यातना से अपने पिता को बचाया था वैसे ही आप भइये व्रत कर यमलोक की यातना से बाख सकते हैं| इस व्रत को करने पुराणों में बताया गया है कि इस एकादशी के व्रत से मनुष्य को यमलोक की यातना का सामना नहीं करना पड़ता है। पद्म पुराण में तो यह भी कहा गया है कि श्राद्ध पक्ष में आने वाली इस एकादशी का पुण्य अगर पितृगणों को दिया जाए तो नरक में गए पितृगण भी नरक से मुक्त होकर स्वर्ग चले जाते हैं। इस विषय में पुराण में एक रोचक कथा मिलती है।
इसलिए मनाया जाता है ये त्यौहार
ये उस समय की बात है जब राजा इन्द्रसेन को अपने सपने में पिता के नरक की यात्रा देखने को मिली| ये जानने के बाद पिता ने रजा इन्द्रसेन से याचना कि वो उन्हें इस नरक से मुक्ति दिलाने का कोई उपाय करें| राजा इंद्रसेन को कुछ समझ नहीं आया तो वो नारद मुनि के पास गए जहाँ नारद मुनि ने उन्हें आश्विन महीने की कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत करने को कहा| जिसके बाद राजा इन्द्रसेन ने ये व्रत कर इसका पुन्य अपने पिता को दान में दे दिया और पिता अपनी मृत्यु के बाद बैकुंठ चले गए|
ऐसे करें ये व्रत
इस व्रत को करने का विधान यह है कि इस दिन काले तिल और इस समय पाए जाने वाले फलों से भगवान विष्णु के चार रूपों की पूजा की जाए और विष्णु पाठ किया जायेगा| अगले दिन सुबह पूजा के बाद इस व्रत को तोड़ दें|
शनि से मुक्ति दिलाएगा ये त्यौहार
इंदिरा एकादशी इस बा शनिवार के दिन है| इस योग में पूजा करने पर आपका शनि दोष भी कम हो जाएगा|