फिल्म ‘चिकन बिरयानी 2’ में मूक-बधिर (बोलने और सुनने में असमर्थ) बच्चे ‘कश्मीर’ का किरदार निभाने के लिए जयपुर में रहने वाले चौथी कक्षा के छात्र देवांश मिश्रा को चारों तरफ से वाहवाही मिल रही है। ये फिल्म रिलीज होने से पहले ही नौ पुरस्कार और नामांकन के साथ फेमस हो गई है। फिल्म को ‘न्यू दिल्ली फिल्म फेस्टिवल’ में एक पुरस्कार, ‘ग्रेट मैसेज इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल’ में सर्वश्रेष्ठ लघु फिल्म और ‘इंटरनेशनल चिल्ड्रेंस फिल्म फेस्टिवल ऑफ जयपुर’ में विजेता का पुरस्कार मिला है।
दिसंबर में रिलीज होने जा रही फिल्म में देवांश ने एक खोए हुए मूक-बधिर बच्चे का किरदार निभाया है। देवांश ने अपनी आंखों और शानदार एक्टिंग से फिल्म में बिना कुछ बोले दर्शकों को बांधे रखने का काम किया है। किरदार के बारे में जब देवांश से पूछा गया तो वह मुस्कराते हुए बोले, ‘फिल्म में मेरा नाम ‘कश्मीर’ है और मैंने एक खोए हुए बच्चे का किरदार निभाया है जो बोल और सुन नहीं सकता है। फिल्म में मैंने भारत और पाकिस्तान, दोनों देशों की एकता का संदेश दिया है।” इसके साथ ही देवांश ने आगे कहा कि, ‘ मैं जब भारत और पाकिस्तान की विवादित सीमा पर खो जाता हूं और जीरो-पॉइंट पर बेहोश हो जाता हूं, तो दोनों देशों की सेना मेरी पहचान जानने की कोशिश करती है। लेकिन जब मैं अपनी पहचान बताने में असमर्थ हो जाता हूं तो वे मेरा नाम ‘कश्मीर’ रख देते हैं और मुझे अपने साथ रखने की इच्छा जताते हैं और फिल्म शुरू हो जाती है।”
इस उम्र में भी देवांश को चुनौतीपूर्ण चीजें करना बहुत पसंद है। उन्हें स्टंट करना, एक टायर पर बिना हैंडल पकड़े साइकिल चलाना और इसे तुरंत मोड़ना बहुत पसंद है। देवांश ने बताया, ‘ रोमांचक चीजें करना बहुत पसंद है। मुझे किसी चीज से डर नहीं लगता।’ शूटिंग के अनुभवों के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, ‘गुजरात में भारत-पाकिस्तान की सीमा पर शूटिंग करते हुए मुझे मजा आया।’
एक सीन को याद करते हुए देवांश ने कहा, ‘कच्छ सीमा पर मुझे भारत और पाकिस्तान के झंडों को जोड़ने के लिए कहा गया। मैंने जैसे ही दोनों झंडो को कस कर पकड़ा, तो लकड़ी के कुछ टुकड़े मेरे हाथ में फंस गए जिससे मेरे हाथो से खून आने लगा। लेकिन मैं वह दृश्य पूरा करना चाहता था इसलिए शूटिंग के समय किसी को इसके बारे में नहीं बताया।’ आगे देवांश ने कहा, ‘सीन पूरा होने के बाद मैंने वहां उपस्थित सहयोगी को बताया कि झंडे में लगे डंडे के पैने किनारों से मेरे हाथ जख्मी हो गए हैं। शूटिंग के दौरान बालू भी बहुत गर्म थी लेकिन मैंने इसे बुद्धिमानी से पूरा किया।’ घाव के दर्द को सहन करने के सवाल पर उन्होंने शर्माते हुए मुस्कान के साथ कहा, ‘मैं मजबूत लड़का हूं और ऐसी छोटी चोटों से परेशान नहीं होता।’
अपनी उम्र के अन्य लड़कों के विपरीत देवांश की दिनचर्या नियमित है। इस दौरान वे अपने घर पर लगभग दो घंटों तक अभिनय और कोरियोग्राफी सीखते हैं। इसके बाद अन्य बच्चों की तरह वे स्कूल जाते हैं और फिर अपने दोस्तों के साथ खेलते हैं। वे घर पर शाम आठ बजे तक आ जाते हैं, पढ़ाई करते हैं फिर सोते हैं। चिकन बिरयानी 2 का निर्देशन जाने-माने भारतीय-ऑस्ट्रेलियाई निर्देशक लोम हर्श ने किया है। निर्देशक के तौर पर उन्हें उनकी पहली फिल्म ये है इंडिया तथा इसके बाद चिकन बिरयानी से प्रसिद्धि मिली थी। अब तक उन्हें लगभग 25 पुरस्कार और नामांकन मिल चुके हैं।