Janmashtami 2022: इस वर्ष देशभर में जन्माष्टमी का त्योहार 18 और 19 अगस्त को मनाया जाएगा. जन्माष्टमी की तैयारी कई दिनों पहले से ही शुरू हो जाती है. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (Janmashtami 2022) हर साल भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि को मनाई जाती है. कृष्ण के भक्तों में इस दिन एक अलग ही उत्साह देखने को मिलता है. जन्माष्टमी के अवसर पर आज हम आपको कृष्ण के दिव्य ज्ञान के बारे में बताते हैं. जिसमें जीवन की सफलता का राज छुपा हुआ है. भगवान श्रीकृष्ण की वो 5 बातें जिसे अपने व्यवहार में शामिल करके सफलता का रास्ता अपना सकते हैं…
श्रीकृष्ण का पूरा जीवन ही एक प्रबंधन की किताब है. भगवत गीता में बताए गए उपदेशों को अपनाकर आप सफलता प्राप्त कर सकते हैं. इन उपदेशों को पढ़कर इंसान किसी भी परिस्थिति का मुकाबला कर सकता है.
श्रीकृष्ण ने दिया संघर्ष करने का मंत्र:
संघर्ष भगवान श्रीकृष्ण की जिंदगी में बचपन से ही शुरू हो गया था. उन्होंने अपने बालपन से काफी कठिनाइयों का सामना किया. पैदा होने के बाद यमुना पार कर गोकुल पहुंचे. कुछ तीन के थे तब उन्हें पूतना मारने आई. कान्हा जी ने तब से लेकर जीवन के अंतिम पल तक वो संघर्ष किया. अगर आप धरती पर आए हैं तो संघर्ष हमेशा जीवन में बना रहेगा. इससे घबराना नहीं है, बल्कि धैर्य के साथ हर परिस्थिति का अच्छे से सामना करना चाहिए. श्रीकृष्ण कहते हैं कि मानव के जीवन का पहला कर्तव्य हैं कर्म करना. हम इससे ही हर मुश्किल का सामना कर सकते हैं.
जीवन में रचनात्मकता:
भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि आपको सिर्फ किताबी पढ़ाई ही नहीं करनी चाहिए, बल्कि रचनात्मकता भी जरूरी है. इसे आप अलग-अलग अनुभव के चलते प्राप्त करते हैं. श्रीकृष्ण 64 दिन में 64 कलाओं में निपुण हो गए थे. उन्होंने संदीपनी ऋषि के आश्रम में रहकर अपनी शिक्षा पूरी की, लेकिन इसके बाद भी उन्होंने कई और कलाएं भी सीखीं. श्रीकृष्ण जी का कहना हैं कि शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो इंसान में रचनात्मकता का विकास करें.
रिश्तों का करें सम्मान:
भगवान श्रीकृष्ण रिश्तों का साथ निभाने की बात करते हैं. उन्होंने अपने जीवन में कभी भी किसी का साथ नहीं छोड़ा. जिन्होंने उन्हें गाली दी उन्हें भी कृष्ण ने सहृदय अपनाया.सुदामा और उद्धव से मित्रता निभाई. प्रेमी और पति के रूप में कृष्ण जी को हमेशा याद किया जाता है. रिश्तों के लिए कृष्ण ने लड़ाइयां लड़ी और रिश्तों से ही उन्होंने कई लड़ाइयों पर विजय पाई. उन्होंने हर उस रिश्ते का सम्मान किया.
स्वस्थ जीवन:
भगवन श्रीकृष्ण अखाड़ा में उतकर कर कुश्ती भी लड़ते थे. उन्होंने कुश्ती में अपने मामा कंस को पराजित भी किया था. वो हमेशा स्वस्थ रहने की बात करते थे. वो बचपन में माखन-मिश्री खाते थे. दूध-दही का भरपूर इस्तेमाल करते थे. कहते हैं स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन का बास होता है. जीवन में आगे बढ़ने के लिए स्वस्थ रहना भी बेहद जरूरी है.
युद्ध से पहले शांति प्रस्ताव:
भगवान कृष्ण ने हमेशा शांति की बात की है. उनका कहना हैं कि अगर बात शांति से बन जाए तो सबसे पहले उस पर ही आगे बढ़ना चाहिए. कृष्ण जी ये कभी नहीं चाहते थे कि कौरव और पांडव के बीच युद्ध हो. इसलिए वो कौरव के पास शांति प्रस्ताव लेकर गए थे. जब बात नहीं बनी तब युद्ध करने के लिए उतरें. कृष्ण का मंत्र हैं कि शांति से ही समाज और देश आगे बढ़ सकता है.
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