Javed Akhtar Birthday Special: कवि, फिल्म लेखक के तौर पर पहचाने जाने वाले जावेद अख्तर (Javed Akhtar) आज अपना 75वां जन्मदिन मना रहे हैं। जावेद उन लेखकों में से एक हैं जो चंद शब्दों में भी दिल जीत ले जाते हैं। प्यार, ज़िन्दगी और दुनिया जैसे कई जॉनर पर उन्होंने अपनी पंक्तियां लिखी हैं। वह सीता और गीता, ज़ंजीर, दीवार और शोले की कहानी और डायलॉग लिखने के लिये प्रसिद्ध है। ऐसा वो सलीम खान के साथ सलीम-जावेद की जोड़ी के रूप में करते थे। इसके बाद उन्होंने गीत लिखना जारी किया जिसमें तेज़ाब, 1942: अ लव स्टोरी, बॉर्डर और लगान शामिल हैं। उन्हें कई फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार, राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार और पद्म भूषण प्राप्त हैं। इनका जन्म 17 जनवरी 1945 को ग्वालियर में हुआ था।
पिता जाँ निसार अख़्तर प्रसिद्ध प्रगतिशील कवि और माता सफिया अख्तर मशहूर उर्दु लेखिका और शिक्षिका थीं।छोटी उम्र में ही माँ का आंचल सर से उठ गया और लखनऊ में कुछ समय अपने नाना नानी के घर बिताने के बाद उन्हें अलीगढ अपने खाला के घर भेज दिया गया जहाँ के स्कूल में उनकी शुरूआती पढाई हुई। जावेद ने दो विवाह किये हैं। उन कि पहली पत्नी से दो बच्चे हैं- फरहान अख्तर और ज़ोया अख़्तर। जावेद की दूसरी पत्नी अभिनेत्री शबाना आज़मी है।
बात करते हैं जावेद की लिखी कुछ शायरियों की जो कि भले ही एक या दो लाइन की हैं मगर, एक बार पढ़ने एक बाद आप इन्हें भूल नहीं पाएंगे।
“इन चराग़ों में तेल ही कम था
क्यूं गिला फिर हमें हवा से रहे”
“हम तो बचपन में भी अकेले थे
सिर्फ़ दिल की गली में खेले थे”
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“तब हम दोनों वक़्त चुरा कर लाते थे अब मिलते हैं जब भी फ़ुर्सत होती है”
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“कभी जो ख़्वाब था वो पा लिया है
मगर जो खो गई वो चीज़ क्या थी”
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“डर हम को भी लगता है रास्ते के सन्नाटे से
लेकिन एक सफ़र पर ऐ दिल अब जाना तो होगा”
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“ऊंची इमारतों से मकां मेरा घिर गया
कुछ लोग मेरे हिस्से का सूरज भी खा गए”
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“इस शहर में जीने के अंदाज़ निराले हैं
होंटों पे लतीफ़े हैं आवाज़ में छाले हैं”
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“इक मोहब्बत की ये तस्वीर है दो रंगों में
शौक़ सब मेरा है और सारी हया उस की है”
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“है पाश पाश मगर फिर भी मुस्कुराता है
वो चेहरा जैसे हो टूटे हुए खिलौने का”
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“तुम ये कहते हो कि मैं ग़ैर हूं फिर भी शायद
निकल आए कोई पहचान ज़रा देख तो लो”
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“उस की आंखों में भी काजल फैल रहा है
मैं भी मुड़ के जाते जाते देख रहा हूं”
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